भस्मरमैया श्मशानवासी बमबम नाथ भस्मारती के पहले महाकाल से विदाई लेकर चला गया
'भूतभावन' को भस्म अर्पित वाले योगी बमबम नाथ ब्रह्मलीन, महाकाल से डोल के रूप में ली अंतिम विदाई

उज्जैन। प्रसिद्ध तांत्रिक श्मशानवासी अघोरी बाबा श्री योगी बमबम नाथ महाराज अब नहीं रहे। वह प्रतिदिन भूतभावन भगवान महाकाल की भस्मारती में शामिल होते थे और उनके भक्तों का दावा है कि वे अपने हाथ तैयार की गई ताजा भस्म अर्पित करते थे। शनिवार 29 नवंबर 2025 दोपहर 3 बजे ब्रह्मलीन होने के बाद, नाथ संप्रदाय की परंपरानुसार उनका पार्थिव शरीर शनिवार रात 1.30 बजे चक्रतीर्थ श्मशान से ‘डोल’ के रूप में भगवान महाकाल के द्वार तक लाया गया। उन्होंने रविवार 30 नवंबर तड़के 2.30 बजे महाकाल से अंतिम विदाई ली, जो उनका भस्मारती में शामिल होने का नियत समय था। भगवान महाकाल का शिखर दर्शन करने के बाद उनका डोला समाप्त हुआ। पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए राजस्थान के भीलवाड़ा ले जाया गया है, जहाँ भूतनाथ मंदिर प्रांगण में उन्हें समाधि दी गई।

महाकाल नगरी उज्जैन के श्मशानवासी और तांत्रिक अघोरी बाबा श्री योगी बमबम नाथ महाराज अब नहीं रहे। जो अघोरी बाबा पिछले 15 सालों से हर सुबह भगवान महाकाल की भस्मारती में भस्म अर्पित करते थे, उन्होंने रविवार सुबह ठीक 2:30 बजे – उसी भस्मारती के समय – भगवान महाकाल से अंतिम विदाई ली।
नाथ संप्रदाय की परंपरानुसार निकाली गई ‘डोल यात्रा’
योगी बमबम नाथ महाराज शनिवार दोपहर 3 बजे ब्रह्मलीन हो गए थे। इसके बाद नाथ संप्रदाय की सदियों पुरानी परंपरा का पालन करते हुए, रात 1:30 बजे उनके पार्थिव शरीर को चक्रतीर्थ श्मशान से ‘डोल’ के रूप में निकाला गया। यह डोल महाकाल मंदिर के द्वार तक लाया गया। ठीक 2:30 बजे, जब बाबा प्रतिदिन भस्मारती के लिए मंदिर पहुंचते थे, डोल ने भगवान महाकाल का शिखर दर्शन किया और यात्रा समाप्त हुई। महाकाल से विदाई के बाद, बाबा के शरीर को राजस्थान के भीलवाड़ा भेजा गया, जहाँ बाबा भूतनाथ महाकाल मंदिर के प्रांगण में उन्हें समाधि दी गई।

15 साल की कठोर तपस्या
शिष्यों और अनुयायियों के अनुसार, योगी बमबम नाथ महाराज परम तपस्वी थे। वह सालों तक शिप्रा नदी के किनारे चक्रतीर्थ श्मशान में रहकर अघोर तपस्या करते थे। श्मशानवासी होते हुए भी, वह पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ हर दिन महाकाल बाबा भस्म आरती से जुड़े रहे। बाबा के शिष्य खड़ेश्वरी अघोरी बाबा योगी विष्णु नाथ जी ने बताया कि बमबम नाथ महाराज पिछले 15 सालों से रोज भगवान महाकाल की भस्मारती में शामिल होते थे। वे हमेशा चक्रतीर्थ श्मशान में रहकर अघोर साधना करते रहे। उनका मानना था कि उज्जैन नगरी में उनके जैसा तपस्वी न कभी हुआ, न होगा। समाजसेवी धर्मेंद्र जोशी और अनिल डागर ने बताया कि महाराज श्री लंबे समय से पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ महाकाल बाबा को भस्म अर्पित करने की सेवा से जुड़े थे। उनके निधन की सूचना मिलते ही ऋणमुक्तेश्वर मंदिर के महंत महावीरनाथ चक्रतीर्थ पहुँचे और नाथ संप्रदाय के परंपरागत विधानों का पालन कराते हुए अंतिम प्रक्रियाएँ पूरी करवाईं।
योगी आदित्यनाथ को मानते थे गुरु भाई, मृत आत्माओं के लिए करते थे भंडारा
अघोरी बाबा बमबम नाथ महाराज के अनुयायी देश-विदेशों में थे। अनिल डागर ने बताया कि नाथ संप्रदाय से नाता होने के कारण वे योगी आदित्यनाथ को अपना गुरु भाई मानते थे। उन्होंने उज्जैन में श्मशान जगाकर योगी आदित्यनाथ की जीत की कामना की थी और उनकी वापसी की भविष्यवाणी भी की थी। साधारण जीवन व्यतीत करने वाले बाबा बमबम नाथ शिप्रा नदी के किनारे श्मशान में रहते थे। वे भस्मी लगाकर, नाम मात्र के काले कपड़े पहनकर अपने भक्तों के साथ मिलकर समाज कल्याण के लिए तंत्र क्रियाएं भी करते थे। सबसे अनूठी बात यह थी कि अघोरी बाबा श्मशान में मृत आत्माओं के लिए भंडारा करते थे। उनका मानना था कि उनकी सेवाएँ दिन में जीवितों के लिए और रात में मृत आत्माओं के लिए होती हैं। वे कहते थे कि कई बार आत्माएं अपना रुचिकर भोजन न मिल पाने के कारण मोक्ष से वंचित रह जाती हैं, इसलिए उन्हें भोजन करा कर उनकी मुक्ति की कामना की जाती थी।



