dev Diwali :कहा जाता है कि देवभूमि काशी और उज्जैन में दीपावली पर तीनो लोक के देवता भी पधारते हैं। मृत्युलोक के देवता तीनों लोक के स्वामी कालाधिपति भगवान महाकाल के साथ देवता भी दीपावली मनाने की इच्छा रखते हैं। अभिमुक्त नगरी काशी में भी इसी तरह दिवाली मनती है इस कारण यहां देव दिवाली मनती है।
महाकाल में दीपावली महोत्सव
diwali in ujjain: उज्जैन में दीपावली महोत्सव धनतेरस के दिन से शुरू हो जाता है। जैसा कि उज्जैन में परंपरा है कि प्रत्येक त्यौहार सबसे पहले महाकाल मंदिर में मनता है। चाहे होली हो या दिवाली सबसे पहले भगवान महाकाल के साथ त्यौहार मनाया जाता है, फिर पूरे शहर में इसकी शुरुआत होती है। वेसे ही दीपाेेत्सव भी सबसे पहले महाकाल मंदिर में धनतेरस से शुरू होता है। सुबह भस्मारती व पूजन के बाद धनतेरस पर भगवान महाकाल को धनप्रतीक के रूप में सिक्का अर्पित किया जाता है। पुजारी परिवार फुलझड़ी चलाकर दिपावली का आगाज करता है।
उबटन लगाकर गर्म पानी से किया जाता है स्नान
deepawali दीपावली महोत्सव के साथ ही भगवान महाकाल mahakal गर्म पानी से स्नान करना शुरू करते हैं। इसे शीत ऋतु का आगाज भी कहा जा सकता है। पुजारी परिवार की महिलाएं अपने आराध्य देवाधिदेव महादेव को उबटन लगाकर उन्हें गर्म पानी से स्नान करवाती हैं और उसके बाद महाकालेश्वर का आकर्षक श्रृंगार होता है। नए वस्त्र और दिव्य आभूषणों से भगवान महाकाल का श्रृंगार किया जाता है। अन्नकूट का भोग लगता है और विभिन्न प्रकार के मेवे और मिष्ठान्नों का भोग लगाय जाता है।
श्री महाकाल महालोक में जलते है लाखों दीपक
दीपावली के मौके पर श्री महाकाल महालोक और मंदिर परिसर के विभिन्न हिस्सों में लाखाें दीपक प्रज्वलित किये जाते हैं। आकर्षक विद्युत सज्जा से मंदिर क्षेत्र जगमगा उठता है।
दीपावली पर उज्जैन में और भी हैं खास
– मां हरसिद्धि मंदिर पर दीपमाालिका सजती है।
– अतिप्राचीन गजलक्ष्मी माता मंदिर पर विशेष आयोजन, दर्शन-पूजन के लिए उमड़ते हैं हजारों श्रद्धालु।
– शिप्रा किनारे दीपों से जगमगाते हैं।
– शहर में आकर्षक आतिशबाजी के नजारे।
– अगले दिन मंदिरों सहित कई जगह में गोवर्धन पूजन के आयोजन।
– भाई दूज पर भगवान चित्रगुप्त के प्राचीन मंदिर में कार्यक्रम
देव दिवाली का उत्साह अभी से चरम पर
diwali in ujjain : उज्जैन में दीपावली महोत्सव का साक्षी बनने का लोगों में अभी से उत्साह है। देवताओं के धरती पर उतरने के पर्व को मनाने के लिए दूर-दूर से लोग उज्जैन आने की कामना रखते हैं। होटलों पर इंक्वायरी-बुकिंग शुरू हो चुकी है। होटल व्यवसायी संजीव गुप्ता हेप्पी भाई बताते हैं दीपावली पर विशेषकर गुजरात और राजस्थान से लोग परिवार सहित उज्जैन आते हैं। वे यहां धनतेरस से आना शुरू हो जाते हैं और करीब पांच-छह उज्जैन में ही रुकते हैं। इन लोगों की एडवांस बुकिंग भी शुरू हो चुकी है।
मां गजलक्ष्मी का वर्णन महाभारत काल में भी मिलता है
gajlaxmi mandir in ujjain उज्जैन का गजलक्ष्मी मंदिर काफी मशहूर है. दीपावली पर यहां आस्था का सैलाब उमड़ेता है. सुबह माता गजलक्ष्मी का दुग्धाभिषेक किया जाता है और शाम को मां को छप्पन भोग लगाया जाता है. मंदिर को विशेष तौर पर सजाया जाता है और यहां भक्तों की काफी भीड़ जुटती है. ऐसे में आप भी इस दिवाली इस मंदिर में जाकर मां लक्ष्मी के दर्शन कर सकते हैं और पूजा-अर्चना कर सकते हैं. मां गजलक्ष्मी को सम्राट विक्रमादित्य की राज्य लक्ष्मी भी कहा जाता है. गजलक्ष्मी माता का यह प्राचीन मंदिर महाकाल मंदिर के सामने है. माता लक्ष्मी के दोनों ओर हाथी विराजित हैं. दीपावली पर मंदिर में मां की विशेष पूजा होती है. गज लक्ष्मी के मंदिर में दीपावली के दूसरे दिन सुहाग पड़वा का आयोजन किया जाता है. इस दिन माता गजलक्ष्मी का विशेष श्रंगार करने के साथ ही माता को सालभर चढ़े हुए कुमकुम का वितरण किया जाता है. गजलक्ष्मी की पूजा अर्चना माता कुंती ने भी थी. इस मंदिर में दर्शन करने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ऐसे में आप भी इस दिवाली इस मंदिर के दर्शन कर सकते हैं और यहां मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर सकते हैं.
उज्जैन में पूजन/देव दर्शन/आयोजन/ या किसी भी प्रयोजन में हम हैं आपके मददगार- संपर्क- 9425038039
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