मध्यप्रदेश

Electricity Department: बिजली विभाग में दौड़ रहा काला करंट

Electricity Department: कर्मचारी से लेकर अफसर तक सभी को चाहिए काली कमाई

Electricity Department: उज्जैन में लोकायुक्त पुलिस ने मंगलवार 28 नवंबर की शाम को बिजली कंपनी के सहायक यंत्री को 12 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। यह रुपए इंजीनियर बिजली कनेक्शन देने के बदले वसूल रहा था और वो भी डंके की चोंट पर कि उसे यह रुपया ऊपर तक पहुंचाना पड़ता है।

लोकायुक्त के मुताबिक 12 नवंबर को बिजली कंपनी के ठेकेदार राधेश्याम सिसौदिया ने बिजली कंपनी के नई सडक़ झोन में पदस्थ सहायक यंत्री मणिशंकर मणि के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी कि कनेक्शन देने के नाम पर वो 12 हजार की रिश्वत मांग रहे है। शिकायत के आधार पर कार्रवाई करते हुए मंगलवार शाम करीब 7 बजे सहायक यंत्री को इंदौरगेट स्थित पूर्णानंद गणेश मंदिर के पास से ट्रेप किया गया। यहां पर स्वयं सहायक यंत्री ने ही ठेकेदार को रुपए लेकर बुलाया था।

रुपए लेकर पेंट में रख लिए, टीम ने धरदबोचा

ठेकेदार से रुपए लेकर सहायक यंत्री ने उसे जैसे ही पेंट की पीछे की जेब में रखा वैसे ही लोकायुक्त टीम ने उसे रंगेहाथ दबोच लिया। टीम को देखकर सहायक यंत्री चिल्लाया भी- मुझे क्यों पकड़ रहे हो, मैं बिजली विभाग का अधिकारी हूं। इस सवाल पर लोकायुक्त टीम ने अपना परिचय देते हुए कहा आप ट्रेप हो चुके हो। सहायक यंत्री को देवासगेट थाने लाकर रुपए जब्ती की कार्रवाई की गई। उसकी केमिकल लगी पेंट भी जब्ती में ली गई।सहायक यंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का प्रकरण दर्ज कर जमानत पर रिहा किया।

दावा : हर अफसर को जाता है काली कमाई का हिस्सा

लोकायुक्त सूत्रों के मुताबिक जब सहायक यंत्री से रिश्वत के बारे में जानकारी ली गई तो उसने रिश्वत के रुपयों का हिसाब गिना दिया। सहायक यंत्री मणि शंकर मणि का दावा है कि भ्रष्टाचार का रुपया हर अधिकारी तक पहुंचता है। हालांकि लोकायुक्त के समक्ष वो इस बंटवारे का सबूत पेश नहीं कर पाया।

नए बिजली कनेक्शन के नाम पर अगर कोई घरेलु या व्यावसायिक बिजली कनेक्शन की डिमांड करता है तो व्यावसायिक मामले में अधिकारी पहले उसे अधिक लोड की खपत बताकर २५-३० हजार रुपए महीने बिजली बिल के नाम पर डराते हैं। बाद मेें खुद ही कम लोड का कनेक्शन देने के लिए अधिकारियों को राजी करने के बहाने खुलेआम 12-15 हजार रुपए की रिश्वत मांगते हैं। मणिशंकर मणि के मामले में भी यही हुआ है। फरियादी राधेश्याम सिसौदिया का कहना है कि इंदौरगेट क्षेत्र के आनंदगंज की झिरी में बनी तृप्ति गुप्ता की होटल में कनेक्शन के लिये उसने आवेदन दिया था। लेकिन सहायक यंत्री लोड अधिक होने का हवाला देकर 12 हजार मांग रहा था। जबकि व्यवसायिक कनेक्शन चार्ज 35 हजार रुपये अलग बताया गया है। इसी तरह घरेलु कनेक्शन जारी करने में भी प्रति फाइल करीब दो से ढाई हजार रुपए अतिरिक्त वसूले जाते हैं। जब तक यह रुपया नहीं मिलता, तब तक फाइल आगे ही नहीं बढ़ती।

रुटीन चैकिंग के नाम पर

बिजली विभाग के कर्मचारी अकसर टीम बनाकर घर-घर चैकिंग के लिए घूमते हैं। इनका टारगेट अकसर बड़े प्रतिष्ठान या बंगले होते हैं। जहां पर ये लोग लोड चैकिंग के नाम पर लाखों का बिल फाइन कर देते हैं। बाद मेें परेशान उपभोक्ता से इनमें से ही कोई आदमी मिलकर सेटलमेंट कराने का दावा करता है और आधे से भी कम में सेंटिंग कर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है। ऐसा अकसर प्रत्येक झोन पर देखा जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी मोटर चैकिंग के नाम पर लोड अधिक बताकर ग्रामीणों के केस बना दिये जाते हैं और बाद में ले-देकर सेटलमेंट कर दिया जाता है।

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