fire-in-mahakal : महाकाल को भस्म चढ़ने वाली है-माताएं पल्लू से सिर ढंक लें : भस्मारती में बरसों पुरानी आवाज अब नहीं सुनाई देगी
fire-in-mahakal : धुलेंडी पर अग्निकांड में झुलसे महाकाल सेवक सत्यनारायण सोनी पहुंचे शिवधाम, मुंबई में दम तोड़ा

fire-in-mahakal : महाकाल मंदिर उज्जैन में सुबह भस्मारती में महिलाओं को पल्न्लू से सिर ढंकने की आवाज लगाने वाले महाकाल सेवक सत्यनारायण सोनी अब नहीं रहे। धुलेंडी पर हुए अग्निकांड में सोनी सर्वाधिक झुलसे थे। करीब 15 दिन इलाज के बाद बुधवार 10 अप्रैल 2024 को वे नहीं रहे।
उज्जैन के महाकाल मंदिर के गर्भगृह में धुलेंडी (25 मार्च) के दिन केमिकल युक्त गुलाल से आग लगने की घटना हुई थी जिसमें 14 लोग झुलसे थे। इस आग में झुलसे सेवक सत्यनारायण सोनी (80) की बुधवार 10 अप्रैल को मौत हो गई। उन्होंने बुधवार सुबह मुंबई के अस्पताल में अंतिम सांस ली। सत्यनारायण गंभीर रूप से झुलसे थे। पहले उन्हें इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालत बिगड़ने पर 8 अप्रैल को मुंबई के नेशनल बर्न यूनिट में भर्ती कराया गया था। महाकाल मंदिर में 25 मार्च की सुबह 5.49 बजे भस्म आरती के दौरान गर्भगृह में आग से 14 लोग झुलस गए थे। घायलों में 13 को इंदौर रेफर किया गया था। 1 का इलाज उज्जैन में ही चला। पुजारी घनश्याम शर्मा के पुत्र मनोज शर्मा (43), पुजारी संजय शर्मा (50) और सेवक चिंतामण (65) अभी इंदौर के अरबिंदो अस्पताल में भर्ती हैं।

40 प्रतिशत झुलसे थे सोनी
महाकाल मंदिर के गर्भगृह में झुलसे 13 लोगों को इंदौर के अरबिंदो अस्पताल रेफर किया गया था। सेवक सत्यनारायण सोनी को 8 अप्रैल को इंदौर से मुंबई रेफर किया गया था। वे 40 प्रतिशत झुलसे थे। अरबिंदो अस्पताल से 8 लोगों को डिस्चार्ज कर दिया गया है। 3 लोगों का इलाज चल रहा है। इनमें से मनोज शर्मा और संजय पुजारी बर्न यूनिट में भर्ती हैं। एक अन्य घायल को वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है।
अवंतिपुरा स्थित निवास से निकली अंतिम यात्रा
दिवंगत सत्यनारायण सोनी की अंतिम यात्रा बुधवार 10 अप्रैल को उनके अवंतीपुरा उज्जैन स्थित निवास से निकाली गई। जिसमें कलेक्टर उज्जैन नीरज कुमार सिंह, श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रशासक मृणाल मीणा, अपर कलेक्टर अनुकूल जैन, सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल सहित अन्य अधिकारी और गणमान्य नागरिकों ने शामिल हो दिवंगत श्री सोनी को पुष्पांजलि अर्पित की और शोक संतप्त परिवार को ढांढस बंधाया।
ये लोग हुए थे अग्निकांड में घायल
- सेवक सत्यनारायण सोनी (80), निधन
- पुजारी संजय उर्फ संजीव शर्मा (50), भर्ती
- पुजारी पुत्र मनोज शर्मा (43), भर्ती
- सेवक चिंतामण (65), भर्ती
- सेवक रमेश (60), अस्पताल से छुट्टी
- सेवक महेश (27), अस्पताल से छुट्टी
- पुजारी प्रतिनिधि (35), अस्पताल से छुट्टी
- पुरोहित पुत्र अंश (13), अस्पताल से छुट्टी
- सेवक शिवम (21), अस्पताल से छुट्टी
- सेवक आनंद (23), अस्पताल से छुट्टी
- सेवक सोनू (54), अस्पताल से छुट्टी
- सेवक राजकुमार (50), अस्पताल से छुट्टी
- गर्भगृह निरीक्षक कमल जोशी (44), अस्पताल से छुट्टी
- सफाई कर्मचारी मंगल बिंजवा (36), अस्पताल से छुट्टी

भस्म आरती में सिर्फ सोनी की आवाज ही सुनाई देती थी.. बिना कोई शुल्क नि:स्वार्थ सेवा देते थे
सत्यनारायण सोनी को भले ही कोई नाम से नही जानता हो लेकिन उनकी आवाज से उन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है। उनका कद जरूर सामान्य था लेकिन आवाज बुलंद थी। भस्म आरती में भक्तों तक संदेश वे ही पहुंचाते थे।भस्मारती श्रृंगार के दौरान भक्तों से भेंट-दान एकत्रित करने के लिए वे ही आवाज लगाते थे और सामग्री एकत्रित कर गर्भगृह तक पहुंचाते थे। श्रृंगार के बाद जब भगवान महाकाल को भस्म चढ़ाने का वक्त आता उस वक्त भी उनकी बुलंद आवाज गूजती थी- माता-बहनें अपना सिर पल्लू से ढंक ले। भगवान महाकाल को भस्म चढ़ने वाली है। माता-बहने भगवान को भस्म चढ़ते हुए नहीं देंखें। और जब भस्म चढ़ जाती थी तब भी उनकी आवाज गूंजती थी- बाबा को भस्म चढ़ चुकी है महिलाएं अपना पल्लू हटा लें और बाबा के दर्शन करें। यह बुलंद आवाज ही मंदिर परिसर में बैठे लोगों को भस्म चढ़ने संदेश देती थी। श्री सोनी की सेवा सच्ची थी। वे पिछले करीब 40 से अधिक सालों से रोज नियमित रूप से भस्म आरती में सेवा दे रहे थे, वो भी नि:शुल्क। भस्म आरती में सफाई करना हो, पूजन सामग्री एकत्रित करना हो, थाली सजाना हो या अन्य कोई भी काम हो वे हमेशा हर कार्य करने के लिए तत्पर होते थे। महाकाल मंदिर के पुजारी बताते हैं कि बाबा महाकाल की पूजा करने के लिए भले ही कोई भी पुजारी मंदिर में आते हों लेकिन उनके सहयोगी के रूप मे सत्यनारायण सोनी सेवा देने के लिए जरूर मौजूद रहते थे। महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित राम गुरु ने बताया कि कई बरसों से महाकाल भक्त सत्यनारायण सोनी भस्म आरती में अपनी सेवाएं दे रहे थे पुजारी परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ उन्होंने बाबा महाकाल की सेवा की। अंत भी उनका महाकाल के चरणों में हुआ। बुधवार को उन्हें भोले के धाम के लिए बिदाई दी गई
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