Harihar Milan Sawari: हरिहर भेट की सवारी से निकाली गयी
Harihar Milan Sawari: हर ने सौपा हरि को सृष्टि का कार्यभार

Harihar Milan Sawari: श्री महाकालेश्वर मंदिर से 25 नवम्बर वैकुण्ठ चतुर्दशी की रात्रि 11 बजे हरिहर भेट की सवारी निकाली गयी। वैकुण्ठ चतुर्दशी पर श्री हर ने (श्री महाकालेश्वर) श्री हरि (श्री गोपाल) को सृष्टि का भार सौपा। 25 दिसम्बर को रात्रि 11 बजे भगवान श्री महाकालेश्वर रजत पालकी में सवार होकर श्री हरि श्री द्वारकाधीश जी से भेंट करने गए और उनको सम्पूर्ण सृष्टि कार्यभार सौपा। भगवान श्री महाकालेश्वर जी की सवारी श्री महाकालेश्वर मंदिर से महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पहुची। जहॉ पूजन के दौरान बाबा श्री महाकालेश्वर बिल्वपत्र की माला श्री गोपाल जी को भेंट की गयी एवं वैकुण्ठनाथ अर्थात श्री हरि तुलसी की माला बाबा श्री महाकालेश्वर को भेंट की। पूजन के बाद सवारी पुन: इसी मार्ग से श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आयी। सवारी के साथ श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर श्री कुमार पुरुषोत्तम, पुलिस अधीक्षक श्री सचिन शर्मा, प्रशासक एवं अपर कलेक्टर श्री संदीप कुमार सोनी, सहायक प्रशासक, श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी/पुरोहित पर्याप्त संख्या में पुलिस बल, नगर सैनिक, विशेष सशस्त्र बल की टुकडियॉ तथा पुलिस बैंड आदि सम्मिलित थे।
उज्जैन में बैकुंठ चतुर्दशी के मौके पर शनिवार आधी रात को भगवान महाकाल ने सृष्टि का कार्यभार भगवान विष्णु को सौंप दिया। परंपरा के अनुसार, रात करीब 11:30 बजे महाकालेश्वर मंदिर पर पूजन के बाद बाबा की सवारी गोपाल मंदिर के लिए निकली। सवारी मार्ग पर जगह-जगह भूतभावन भगवान का जमकर स्वागत किया गया। आतिशबाजी भी की गई। सवारी रात 12 बजे गोपाल मंदिर पहुंची। यहां बाबा महाकाल और भगवान विष्णु का पूजन किया गया। सृष्टि की सत्ता के हस्तांतरण की परंपरा दोनों देवताओं की माला बदलकर निभाई गई। इसे हरि-हर मिलन भी कहते हैं। सवारी मार्ग पर दोनों ओर बेरिकेड्स लगाए गए थे। श्रद्धालु भगवान महाकाल की सवारी पर पुष्प वर्षा कर रहे थे। पूरा माहौल भगवान महाकाल और द्वारकाधीश के जयकारों से गूंज रहा था। ऊंची बिल्डिंगों से पुलिसकर्मियों और ड्रोन के माध्यम से नजर रखी जा रही थी।