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उज्जैन में मां गढ़कालिका मंदिर पर आष्टमी की रात आत्माएं भी पहुंची

उज्जैन में मां गढ़कालिका महाआरती के दौरान युवक ने जीभ को लहूलुहान किया, देखें वीडियो

उज्जैन में मां गढ़कालिका माता मंदिर पर शारदीय नवरात्रि की महाअष्टमी की रात 11 अक्टूबर को होने वाली महाआरती में तमाम आत्माएं भी पहुंची और झूमते नाचते हुए अजीबोगरीब हरकतें करती रहीं। इस दौरान एक युवक ने तो खुद की जीभ को लहूलहुान भी कर लिया।

अतिप्राचीन धार्मिक स्थल, महाकवि कालिदास की आराध्य देवी मां गढक़ालिका का मंदिर जो कि आस्था का केंद्रबिंदु है, ऐसे पवित्र स्थल पर नवरात्रि की महाष्टमी की रात कुछ अलग ही नजारा था। महाष्टमी की रात बरसों से यहां महाआरती का आयोजन होता आ रहा है। रात ठीक 12 बजे से माता की आरती-पूजन का दौर शुरू होता है तो करीब डेढ़ घंटे तक चलता है। आस्था के इस महाआयोजन में सैकड़ों लोग सहभागी बनते हैं। लेकिन इस बार महाष्टमी की महाआरती में आस्था से ज्यादा भय का माहौल देखा गया।

आस्था के बीच आत्माओं की चीत्कार

आरती में शामिल होने आये कुछ लोगों ने खुद को दैवीय शक्ति का हिस्सा बताते हुए ऐसी हरकतें की कि मौजूद लोग, खासकर महिलाएं-युवतियां और बच्चे भयाग्रस्त हो गये और माता की आराधना के बीच अलग ही माहौल का हिस्सा बन गये। खुद को शक्ति का हिस्सा बताने वाले एक युवक ने तो पहले डरावनी आवास में चिल्लाना शुरू किया, फिर बुरी तरह झूमने लगा और अचानक जेब से चाकू निकालकर खुद की जीभ को लहूलुहान कर लिया। यह दृश्य देखने वाले खौफ में आ गये। इसके साथी भी मौजूद थे और वे उसकी इस हरकत मेें मदद करते दिखे। इस युवक के अलावा करीब एक दर्जन और ऐसे लोग वहां मौजूद थे जो ऐसी हरकतें कर रहे थे। महिलाएं-युवतियां भी चीखने-चिल्लाने वालों में शामिल थी।

महाष्टमी की रात मां गढ़कालिका का सोने के वर्क से श्रृंगार किया गया था।

पवित्र माहौल के बीच खौफ का डेरा

अभी तक मां गढक़ालिका के दरबार में महाष्टमी की रात महाआरती के वक्त आस्था का ऐसा पवित्र माहौल रहता था कि आरती शुरू होते ही हरएक दर्शनार्थी भक्ति में डूब कर माता की आराधना में लीन हो जाता था। लेकिन पिछली नवरात्रि से यहां पर ऐसे तत्वों के कारण माहौल बदल रहा है। इस बार तो शक्ति के दरबार में सीमाएं तोड़ दी गई और इन लोगों की वजह से भक्तिमय माहौल भयाग्रस्थ नजर आया। आरती में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल होते हैं, जो इन लोगों की हरकतें देखकर डरे-सहमे दिखे। इस तरह का माहौल यहां मौजूद पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के समक्ष हुआ। हालांकि धार्मिक कारणों की वजह से पुलिस भी मौन रही। महाआरती में पुलिस अधिकारी भी परिवार के साथ मौजूद थे। वे भी इन हरकतों को देख आरती के तुरंत बाद वहां से चले गये।

जानिए क्या है मां गढ़कालिका की महिमा

उज्जैन में 51 शक्तिपीठो में से एक शक्तिपीठ हरिसिद्धि माता का मंदिर (Harsiddhi Mata Temple) है। लेकिन जानकार यह भी कहते हैं कि उज्जैन में एक नहीं दो शक्तिपीठ (Shaktipeeth) है. हरिसिद्धि में माता सती की दाहिनी कोहनी गिरी तो माता गढ़कालिका ( Maa Gadkalika Mandir) में माता सती के होंठ का अंग गिरा था। कहा जाता है माता तंत्र की देवी (Tantra Devi ) भी हैं। माता महाकवि कालिदास की इष्ट देवी हैं. दरअसल धार्मिक नगरी उज्जैन में माता हरसिद्धि के धाम के बाद दूसरा शक्तिपीठ गढ़कालिका मंदिर को माना गया है. पुजारियों का दावा है कहते हैं पुराणों में उल्लेख है शिप्रा नदी के तट के पास स्थित भैरव पर्वत पर सती के ओष्ट (होंठ) गिरे थे, इसलिए इस जगह को भी शक्तिपीठ के समकक्ष ही माना जाता है. लिंग पुराण में कथा है कि जिस समय रामचंद्रजी युद्ध में विजयी होकर अयोध्या जा रहे थे, वे रुद्रसागर तट के निकट ठहरे थे. इसी रात्रि को भगवती कालिका भक्ष्य की शोध में निकली हुईं इधर आ पहुंचीं और हनुमान को पकड़ने का प्रयत्न किया, परंतु हनुमान ने महान भीषण रूप धारण कर लिया. तब देवी डरकर भागीं. उस समय अंश गलित होकर पड़ गया, जो अंश पड़ा रह गया, वही स्थान कालिका के नाम से विख्यात है. मंदिर के बाहर लगे शासकीय बोर्ड पर अंकित है कि शुंग काल ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी, गुप्त काल चौथी शताब्दी, परमार काल दसवीं से बारहवीं शताब्दी की प्रतिमाएं एवं नीव इस मंदिर के स्थान पर प्राप्त हुई है. कहा जाता है सम्राट हर्षवर्धन ने सातवीं शताब्दी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था. परमार राज्य काल 10 वीं शताब्दी में करवाए गए. जीर्णोद्धार के अवशेष भी मिले हैं. बीसवीं शताब्दी में परंपरागत पुजारी से सिद्ध नाथ जी महाराज ने विक्रम संवत 2001 (1944) में जीर्णोद्वार करवाया था. माना जाता है कि इसकी स्थापना महाभारत काल में हुई थी, लेकिन मूर्ति सतयुग के काल की बताई जाती है।

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