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महाकाल मंदिर में यजमानों को प्रवेश कराने का खेल अब बंद, जानिये ऐसा क्यो

महाकाल मंदिर के गेट नंबर 13 से भस्मारती में अनाधिकृत प्रवेश पर कार्रवाई के बाद प्रशासन सख्त

mahakal-temple-ujjain महाकाल मंदिर के 13 नंबर गेट से प्रवेश के नाम पर सख्ती शुरू कर दी गई है। यहां से भस्मारती व अन्य समय पर पूजन-अभिषेक के नाम पर दर्शनार्थियों को प्रवेश कराये जाने का खेल चल रहा था। इसी खेल में यहां ड्यूटी कर रहा मंदिर समिति का कर्मचारी भी कार्रवाई के घेरे में आ गया।

महाकाल मंदिर समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने पिछले दिनों गेट नंबर 13 से अनाधिकृत रूप से भस्मारती में प्रवेश करते हुए कुछ लोगों को पकड़ा था। गेट नंबर 13 बड़े गणेश मंदिर के सामने स्थित द्वार है जहां से कोटितीर्थ कुंड होते हुए सभा मंडप पहुंचा जा सकता है। यह अति प्राचीन द्वार है और प्राचीन दौर से यहां से पूजन के लिये पंडे-पुजारी मंदिर में प्रवेश करते आये हैं। बीच में इसे कुछ समय के लिये अतिविशिष्ट और शीघ्रदर्शन दर्शनार्थियों का प्रवेश द्वार भी बनाया गया था। प्रशासक को सूचना मिली थी कि यहां से भस्मारती के वक्त अनाधिकृत व्यक्तियों को प्रवेश दिया जा रहा है। मौके पर जाकर प्रशासक ने चैक किया तो शिकायत सही मिली और ड्यूटी पर तैनात मंदिर कर्मचारी सोनू तिलवे को बर्खास्त कर पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।

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महाकाल मंदिर कर्मचारी ने कहा पुजारी के कहने पर दी थी एंट्री

महाकाल मंदिर के गेट नंबर 13 पर तैनात मंदिर कर्मचारी ने वहां से दर्शनार्थियों को मंदिर के एक पुजारी के भाई के कहने पर एंट्री दी थी। ऐसा बयान उसने मंदिर समिति को भी दिया है। हालांकि मंदिर समिति फिलहाल जांच में इसकी पुष्टि कर रही है कि सच्चाई क्या है। सूत्रों का कहना है कि इस द्वार से रोज ही पंडे-पुजारी अपने साथ कई लोगों को प्रवेश कराते हैं। वे अपने साथ जाने वाले दर्शनार्थियों को दान दाता या पूजन-अभिषेक का यजमान बताकर ले जाते हैं। चूंकि पंडे-पुजारियों का मंदिर में वर्चस्व है, इस कारण मंदिर कर्मचारी या सुरक्षा कर्मी उनके साथ आये लोगों को जाने देते हैं।

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महाकाल मंदिर के कोटितीर्थ कुंड के आसपास ही चलती है पूजन

मंदिर में पदस्थ पंडे-पुजारी और उनके सेवकों द्वारा कोटितीर्थ कुंड के आसपास स्थित प्राचीन मंदिरों पर पूजन-अभिषेक भी कराया जा रहा है, जिस पर पहले से ही प्रतिबंध है। यहां पर पंडे-पुजारियों को सिर्फ स्वयं द्वारा पूजन कराने की अनुमति दी गई है, न कि यजमान को बैठाकर तमाम तरह की पूजन कराने की। सूत्रों के मुताबिक यहां स्थित प्राचीन शिव मंदिरों में रोज तमाम पूजन कराई जाती है और यहां पूजन के लिये आने वालों को एंट्री गेट नंबर 13 से ही मिलती है, जिन्हें बाद में महाकाल दर्शन के लिये भी ले जाया जाता है।

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सिर्फ पूजन के लिये जाने वाले पंडे-पुजारियों को ही मिलेगा प्रवेश

मंदिर समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि 13 नंबर गेट के प्रवेश पर सख्ती कर दी गई है। अब यहां से सिर्फ वे ही पंडे-पुजारी या उनके सेवक अंदर प्रवेश कर सकेंगे जिन्हें मंदिर में पूजन के लिए मंदिर में जाना है। अन्य नहीं। इसके लिए वहां ड्यूटी पर तैनात लोगों को सख्त हिदायत दे दी है। श्री धाकड़ ने बताया कि भस्मारती के दौरान प्रवेश करने के मामले मेें कर्मचारी सोनू तिलवे को बर्खास्त किया है। मामले की जांच चल रही है। जांच रिपोर्ट में जो सामने आयेगा, उसके मुताबिक कार्रवाई की जायेगी।

हरिओम राय @ उज्जैन

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