उज्जैनमध्यप्रदेश

दूध बेचते-बेचते भूमाफिया बने मोहन वासवानी अब आजीवन जेल काटेंगे


13 साल पुराने एडवोकेट नलिन शर्मा मर्डर केस में उज्जैन दुग्ध विक्रेता संघ के अध्यक्ष मोहन वासवानी सहित 4 को उम्र कैद
शहीद पार्क पर स्थित माणक भवन पर कब्जे के विवाद में दी थी 2 लाख की सुपारी

एडवोकेट नलिन शर्मा

समाचार आज। उज्जैन

करीब 13 साल पहले 28 मार्च 2009 की रात जीप से टक्कर मारकर एडवोकेट नलिन शर्मा की जान लेने के मामले में न्यायालय ने शुक्रवार को फैसला सुनाया है। जिसमें अपर सत्र न्यायालय ने शहर के ख्यात दूध कारोबारी मोहन वासवानी सहित 4 लोगों को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास यानी उम्र कैद की सजा सुनाई है। यह मामला दिखने में तो साधारण-सी सडक़ दुर्घटना-सा लग रहा था लेकिन पुलिस जांच में कई सनसनीखेज खुलासे हुए और पूरा मामला फ्रीगंज के शहीद पार्क पर स्थित माणक भवन पर कब्जे के लिए हत्या के रूप में सामने आया। बिल्डिंग पर कब्जे के विवाद में शहर के प्रमुख दूध व्यापारी मोहन वासवानी और उसके साथी ने 2 लाख रुपए की सुपारी देकर एडवोकेट नलिन शर्मा की हत्या करवाई थी।
शुक्रवार दोपहर अपर सत्र न्यायाधीश संतोष प्रसाद शुक्ला ने आरोपी मोहन वासवानी, राजकुमार पिता शांतिलाल राठौर, दुर्गा पिता मिहीलाल और राजेश पिता लक्ष्मीनारायण शर्मा को दोषी करार दिया। न्यायाधीश ने चारों ही आरोपियों को हत्या की धारा 302 और षडय़ंत्र की धारा 120 बी के तहत आजीवन कारावास और 80 हजार रुपए अर्थदंड से दंडित किया। सजा सुनाए जाने के तत्काल बाद चारों आरोपियों को न्यायालय से सीधे जेल भेज दिया गया।

दूध बेचते-बेचते भूमाफिया बने और विवादों में हाथ डाला

घटना के मुख्य आरोपी मोहन वासवानी का मुख्य कारोबार दूध विक्रय का है। १९८०-९० के दशक में साइकिल पर टंकियां लेकर लाल मस्जिद क्षेत्र में दुकानों के बाहर ओटले पर दूध बेचने वाले मोहन वासवानी ने शुरुआती दौर में दूध व्यापार में ही झंडे गाड़े और जिस दुकान के ओटले पर दूध बेचते थे सबसे पहले वहीं डेयरी डाली। फिर बाद में आसपास की दुकानें खरीदकर अपना व्यापार बढ़ाया और अगले 10 बरसों में फ्रीगंज क्षेत्र में कारोबार जमा लिया। इसी बीच जमीन और विवादित पुराने भवनों की खरीद-फरोख्त शुरू कर दी। इसी के साथ वासवानी का नया चेहरा भूमाफिया के रूप में सामने आया। उन्होंने शहीद पार्क के कार्नर पर स्थित माणक भवन को औने-पौने दाम खरीदा जो कभी विनोद मिल की प्रापर्टी थी। विनोद मिल बंद होने के बाद इसे एरन कॉटन मिल ने खरीदा और इसके बाद इसका सौदा मोहन वासवानी और उनके कुछ पार्टनर्स ने कर लिया। इसी माणक भवन में एडवोकेट नलिन शर्मा और उनके भाई उमेश शर्मा किराएदार थे। मोहन वासवानी और उनके पार्टनर किसी तरह करोड़ों की कीमत वाले माणक भवन खाली कराना चाहते थे, इसके लिए नलिन शर्मा को 35 लाख रुपए तक का ऑफर दिया गया था। नलिन शर्मा का इसी भवन में मेडिकल स्टोर भी है, उन्होंने मोहन वासवानी और उनके पार्टनर्स का ऑफर स्वीकार नहीं किया। सौदेबाजी के बीच ही 28 मार्च 2009 की रात 8.30 बजे शहीद पार्क के नजदीक ही एक टवेरा गाडी ने एडवोकेट नलिन शर्मा को टक्कर मार दी थी। टक्कर इतनी तेज थी कि नलिन शर्मा गाड़ी से उछलकर 20 फीट दूर जाकर गिरे और उनकी मौत हो गई।

एडवोकेट की मौत को पहले दुर्घटना ही मान रही थी पुलिस

साधारण सडक़ दुर्घटना प्रतीत होने वाले इस केस को पुलिस ने दुर्घटना के केस के रूप में ही दर्ज किया। इसी बीच तत्कालीन माधवनगर टीआई के.के. उपाध्याय को सूचना मिली कि केस दुर्घटना नहीं बल्कि हत्या है। पुलिस ने टवेरा गाड़ी के चालक दुर्गा और उसके साथ गाड़ी में सवार रहे राजेश शर्मा को हिरासत में लिया। शुरूआती पूछताछ में दोनों से कुछ खास हांसिल नहीं हो सका। इसके बाद पुलिस ने दोनों के मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाली। बस यहीं चौंकाने वाला खुलासा हुआ, कॉल डिटेल से पता चला कि दुर्घटना के वक्त और इससे पहले व बाद में दुर्गा को अलग-अलग नंबर से कई कॉल किए गए थे। पुलिस ने तफ्तीश आगे बढ़ाई तो पता चला कि फ्रीगंज का ही दूध व्यवसायी राजकुमार राठौर अलग-अलग नंबर से दुर्गा और राजेश शर्मा से बात कर रहा था, उन्हें नलिन शर्मा की लोकेशन बता रहा था। पुलिस ने राजकुमार राठौर को उठाया और उससे पूछताछ की तो खुलासा हुआ कि राजकुमार राठौर-मोहन वासवानी के कहने पर उसने दुर्गा और राजेश शर्मा को नलिन शर्मा की गाड़ी से कुचलकर हत्या करने के लिए 2 लाख रुपए की सुपारी दी थी। यह पूरा मामला शहर में काफी चर्चा में छाया रहा था।

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