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CM Mohan Yadav stayed in Ujjain : महाकाल का बेटा हूं, मुझे कोई खतरा नहीं

CM Mohan Yadav stayed in Ujjain : उज्जैन में रात रुके एमपी के सीएम मोहन यादव, महाकाल की नगरी में राजा के विश्राम का मिथक टूटा

CM Mohan Yadav stayed in Ujjain : अभी तक कहा जाता था कि उज्जैन में कोई भी राजा या मंत्री, प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री रात नहीं रुकते थे। अगर ऐसा किया जाता था तो उनकी सत्ता छिन जाती थी। लेकिन यह मिथक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तोड़ दिया है। वे 16 दिसंबर की रात को न सिर्फ उज्जैन स्थित अपने घर पर रुके बल्कि उन्होंने मंच से सार्वजनिक तौर पर कहा कि हम महाकाल के बेटे हैं। और बेटे को पिता के होते हुए कोई खतरा नहीं हो सकता। यह सिंधिया काल में राजनीतिक रणनीति के तहत फैलाया गया मिथक है।

उज्जैन को लेकर वर्षों से ऐसी मान्यता है कि अगर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और किसी भी प्रदेश के मुख्यमंत्री व दिग्गज नेता रात में उज्जैन एक रात रुक जाते हैं तो वह सत्ता से बाहर हो जाते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 16 दिसंबर को उज्जैन आये थे। यहां उज्जैनवासियों ने उनका जोरदार स्वागत किया। रात 1 बजे तक स्वागत-सत्कार का सिलसिला चला के बाद सीएम मोहन यादव ने उज्जैन की गीता कॉलोनी स्थित अपने घर में रात गुजर कर एक ऐसा मिथक तोड़ दिया, जो बरसों से सुना जा रहा था। उज्जैन के बारे में कहा जाता है कि यदि कोई मंत्री, मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री उज्जैन में रात गुजरता है तो उसे अपनी सत्ता गंवानी पड़ती है, क्योंकि उज्जैन के राजा सिर्फ और सिर्फ बाबा महाकाल हैं और दूसरा कोई नहीं।

मैं राजा नहीं, महाकाल का बेटा हूं

मुख्यंमंत्री डॉ. मोहन यादव उज्जैन के ही रहने वाले हैं। यहां उनका घर है, तीन भाइयों व पत्नी-बच्चों का परिवार है। उनके यहां आने के पहले इन चर्चाओं का दौर भी चल गया था कि सीएम डॉ. यादव अब उज्जैन में अपने घर पर रहेंगे या नहीं। लेकिन डॉ. यादव ने घर पर रात रुक कर इस मिथक को तोड़ने का प्रयास किया है। घर पहुंचने के पहले छत्री चौक हुई एक सभा में उन्होंने कहा भी कि वे महाकाल के बेटे हैं। छत्रीचौक पर आम सभा के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्र और प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी देने के दौरान इस मिथक के बारे में भी कहा था कि मैं राजा नहीं हूं मैं तो महाकाल का बेटा हूं और महाकाल के मुख्य सेवक के रूप में ही काम कर रहा हूं। उज्जैन में मेरी उपस्थिति सीएम के रूप में नहीं बल्कि भूतभावन महाकाल के सेवक के रूप में है। उन्होंने आमसभा के दौरान ही यह स्पष्ट कर दिया था कि मैं बाबा महाकाल का सेवक बनकर यही रात्रि विश्राम करूंगा और ऐसे जो मिथक हैं उसे मैं तोड़ दूंगा। मुझे मेरे पिता बाबा महाकाल पर पूरा भरोसा है वो अपने बेटे का कभी गलत नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, इस मिथक को तत्कालीन राजा दौलत राव सिंधिया ने बनाया। तत्कालीन राजा महाद जी सिंधिया के निधन के बाद दौलत राव सिंधिया राजधानी को उज्जैन से ग्वालियर ले जाना चाहते थे। 1812 में वे राजधानी तो ले ही गए, धीरे से एक मंत्र फूंक गए कि उज्जैन में कोई राजा रात को नहीं रहेगा। यह उनकी राजनीतिक रणनीति थी। जिससे कोई यहां कब्जा करने नहीं आए। अरे, राजा तो बाबा महाकाल हैं, हम सब तो बेटे हैं उनके, क्यों रात नहीं रहेंगे? ब्रह्मांड में कहां कोई बच सकता है अगर महाकाल ने टेढ़ी निगाह कर ली तो? मुझसे मोदी जी ने कहा कि बनारस मैं संभालता हूं, मोहन जी आप उज्जैन संभालो। मैं मुख्यमंत्री नहीं, मुख्य सेवक हूं।

विद्वतजन के  विचार : तीर्थ क्षेत्र में रात्रि वास करना श्रेयस्कर होता

हालांकि इस मामले में उज्जैन के विद्वतजन पहले भी कह चुके हैं कि डॉ. मोहन यादव महाकाल के कृपा प्रसाद से ही सीएम पद तक पहुंचे हैं। ऐसे में उनके अपने ही नगर में रात्रि विश्राम करने में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। विद्वतजनों का मानना है कि जो व्यक्ति उज्जैन से प्रतिनिधित्व करते हैं, उनके लिए इस मान्यता का प्रभाव लागू नहीं होता, क्योंकि वे सेवाभाव और कर्म को लेकर आगे बढ़ते हैं। भगवान महाकाल को साक्षी मानकर जब ऐसे कर्म होते हैं तो इसका दोष नहीं लगता। इस मिथक को विक्रमादित्य की कथा से जोड़कर ही देखा जाता है। बाहर के लोगों के लिए यह मान्यता है, लेकिन स्थानीय जनता के लिए यह लागू नहीं होती। विक्रम विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के प्राध्यापक राजेश्वर शास्त्री मुसलगांवकर भी कहते हैं कि डॉ. मोहन यादव उज्जैन से ही जुड़े हैं। ऐसे में उन्हें अपने ही नगर में रहने में बाधा नहीं है। मुसलगांवकर कहते हैं कि माना जाता है कि तीर्थ क्षेत्र में रात्रि वास करना श्रेयस्कर होता है। जो ऐसा करता है, वह कई जन्मों तक राजयोग का अधिकारी बनता है। ऐसे में डॉ. मोहन यादव उज्जैयिनी में वास करते हैं तो कोई बाधा नहीं होगी।
सीएम डॉ. मोहन यादव अब इस मिथक को तोड़ने की हिम्मत कर चुके हैं। उनके रात रुकने के अगले दिन सबकुछ ठीकठाक है और भगवान महाकाल से सभी की कामना भी यही है कि उनके साथ हमेशा अच्छा ही हो और यह मिथक अब यहीं समाप्त हो जाये।

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