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महाकाल मंदिर की सुरक्षा होमगार्ड संभालेंगे

महाकाल मंदिर की सुरक्षा के लिए 500 जवानों की भर्ती होगी, उन्हें विशेष ट्रेनिंग भी दी जायेगी

महाकाल मंदिर की सुरक्षा का जिम्मा बहुत जल्दी ही होमगार्ड के जिम्मे आने वाली है। महाकाल मंदिर के साथ ही महाकाल महालोक की सुरक्षा व्यवस्था भी होम गार्ड संभालेंगे। इसके लिये आगामी दिनों में लगभग 500 नवीन होमगार्ड जवानों की भर्ती भी की तैयारी शुरू हो गई है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इसके लिये काफी पहले निर्देशित कर चुके हैं। महाकाल की सुरक्षा व्यवस्था के संबंध में होमगार्ड एवं एसडीईआरएफ के डी.आई.जी मनीष अग्रवाल ने १७ अक्टूबर को महाकाल मंदिर कंट्रोल रूम में बैठक ली।

मंदिर क्षेत्र में घूमकर सुरक्षा व्यवस्था का रिव्यू भी किया

महाकाल मंदिर सुरक्षा के लिए होमगार्ड डी.आई.जी. ने महाकाल मंदिर सहित महालोक का भ्रमण कर मंदिर परिसर के मुख्य प्रवेश द्वार सहित अन्य इंट्री पाइंट, पार्किंग स्थल, व्हीआईपी इंट्री पाइंट, मानसरोवर गेट का निरीक्षण कर सुरक्षा व्यवस्था को रिव्यू किया गया।

मोबाइल अंदर ले जाने के मुद्दे पर भी चर्चा

बैठक के दौरान दर्शनार्थियों के मोबाइल मंदिर के अंदर ले जाने से रोकने के बारे में भी चर्चा हुई। महाकाल सुरक्षा व्यवस्था से जुडे सभी सदस्यों के मध्य हुई चर्चा के दौरान यह सुझाव भी आया कि कुछ छोटी कस्टमाईज ट्राली का निर्माण कराया जाये, जिनमें दर्शनार्थी के मोबाइल जमा करवाकर उन्हे इक_े एक्जिट गेट पर पहुंचाया जा सके, ताकि वहीं से मोबाइलों को संबंधितों को प्रदान किया जा सके, जिससे समय भी बचेगा और आम लोगों की भी आसानी और सुविधा रहेगी।

संभागीय बैठक में नए जवानों की ट्रेनिंग पर चर्चा

इसके उपरांत डी.आई.जी ने होमगार्ड लाईन का निरीक्षण कर संभागीय स्तर की बैठक आयोजित की। इसमें डिवीजनल कमाण्डेन्ट होमगार्ड रोहिताष पाठक, डिस्ट्रिक्ट कमाण्डेन्ट संतोष कुमार जाट, डिस्ट्रिक्ट कमाण्डेन्ट होमगार्ड शाजापुर/आगर-मालवा विक्रम सिंह मालवीय, डिस्ट्रिक्ट कमाण्डेन्ट होमगार्ड देवास श्रीमती मधुराजेश तिवारी एवं अन्य कार्यालयीन स्टाफ उपस्थित रहा। बैठक में आगामी दिवस में महाकाल मंदिर सुरक्षा व्यवस्था में तैनात होने वाले जवानों की भर्ती सहित जवानों की ट्रेनिंग मुख्य मुद्दा रहा।

इस तरह दर्शन व्यवस्था आदर्श बनाई जा सकती है मंदिर की

  • महाकाल मंदिर कंट्रोल रूम को और अधिक प्रभावी बनाकर विभिन्न एजेसियों के बीच बेहतर समन्वय बनाने, मंदिर में कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारियों के बीच स्पष्ट कार्य विभाजन किया जाये जिससे प्रत्येक कर्मचारी की व्यक्तिश: जिम्मेदारी तय की जा सके।
  • मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा में लगे जवानों की 10 दिवसीय ट्रेनिंग इस बात को ध्यान में रख कर की जाये कि उनका व्यवहार श्रद्धालुओं के प्रति आदरपूर्वक एवं विनम्र हो।
    दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं के लिये रूट चार्ट जगह-जगह पर लगाये जाना चाहिए। जिससे की उन्हें परिसर में भटकना न पड़े।
  • आपदाओं जैसे भगदड़, आगजनी आदि को लेकर मंदिर में समय-समय पर मॉकड्रिल आयोजित करने ताकि आपदा की स्थिति में समय से रिस्पोंस किया जाकर जन हानि को रोका जा सके।
  • जवानों को ड्यूटी पर तैनात करने से पूर्व सम्पूर्ण मंदिर परिसर का विजिट कराया जाये, जिससे कि वे मंदिर परिसर से भलीभांति परिचित हो सकें।
  • बल की तैनाती करते समय पीक आवर को ध्यान में रखा जाये, जिससे उस समय ज्यादा बल मंदिर परिसर में उपलब्ध हो।
  • रिस्पोंस टाईम को न्यूनतम करना, श्रद्धालुओं को दर्शन करने में सुलभता हो।
  • मंदिर परिसर में नवीन निर्माण के अनुसार एस.ओ.पी. एवं सुरक्षा प्लान तैयार किया जाये।
  • मंदिर को विभिन्न झोन में बांटकर झोन प्रभारी नियुक्त किये जायें एवं कंट्रोल रूम से प्रत्येक घण्टे सुरक्षा संबंधी अपडेट लिया जाये।

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