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उज्जैन में सिंहस्थ बदला-बदला नजर आयेगा, पक्के आश्रम रहेंगे संतों के

उज्जैन में सिंहस्थ क्षेत्र में अब स्थाई निर्माण पर सीएम डॉ. मोहन यादव का जोर

उज्जैन में सिंहस्थ क्षेत्र में अब जल्दी ही स्थाई निर्माण दिखाई देंगे। इसके लिए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सिंहस्थ क्षेत्र में साधु-संतों को आश्रम बनाने के लिए स्थाई निर्माण की अनुमति देने का ऐलान किया है। जिसके तहत कुल जमीन के एक चौथाई भाग पर निर्माण किया जा सकेगा। शेष जमीन पार्किंग व अन्य उपयोग के लिये खुली रखना होगी। सीएम के इस फैसले का अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने भी स्वागत किया है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 21 अक्टूबर 2024 को उज्जैन में मीडिया से मुलाकात की और आगामी सिंहस्थ 2028 की प्लानिंग शेयर की। सीएम ने ने कहा सिंहस्थ की पहचान साधु-संतों से है। इस कारण उन्हें शहर में स्थाई रूप से बसाना जरूरी है। जिस तरह हरिद्वार में साधु-संत-संन्यासी और अखाड़ों के स्थाई आश्रम बने हैं, ठीक उसी तरह उज्जैन में भी बनने चाहिए। इसके लिये संतों को यहां जमीन लेने के प्रयास करना चाहिए। सरकार उन्हें निर्माण कार्य की अनुमति देगी। जिन संतों के पास जमीन है वे निर्माण शुरू करें और जिनके पास नहीं है वे स्थानीय किसानों से मिलकर इसके लिये प्रयास शुरू करें, सरकार इसमें पूरा सहयोग करेगी।प्रशासन हरिद्वार के तर्ज पर साधु-संतों, महंत, अखाड़ा प्रमुखों और महामंडलेश्वर आदि को स्थायी आश्रम बनाने की अनुमति देगा।

25 प्रतिशत जमीन पर कर सकेंगे निर्माण

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सिंहस्थ क्षेत्र की जमीन पर सिर्फ महंत, अखाड़ा प्रमुखों, महामंडलेश्वर को ही आश्रम निर्माण के लिए अनुमति दी जायेगी। इसके लिये प्रावधान किया गया है कि भूखंड के 25 प्रतिशत क्षेत्र पर ही भवन का निर्माण किया जा सकेगा। शेष 75 प्रतिशत भूखंड खुला रहेगा, ताकि पार्किंग व अन्य कार्यों के लिये स्थान रिक्त रहे।

आम लोगों को निर्माण कार्य की अनुमति नहीं

सीएम ने मीडिया के सम्मुख अपने निर्णय को स्पष्ट करते हुए कहा कि सिंहस्थ क्षेत्र में स्थाई निर्माण की अनुमति सिर्फ साधु-संत यानी महंत, अखाड़ा प्रमुखों, महामंडलेश्वर आवासीय और कमर्शियल उपयोग के लिए इस प्रकार की अनुमति नहीं रहेगी। इस मौके पर सांसद अनिल फिरोजिया, राज्यसभा सांसद बालयोगी उमेशनाथ महाराज, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, विधायक सतीश मालवीय, महापौर मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति कलावती यादव, संभागायुक्त संजय गुप्ता, आईजी संतोष कुमार सिंह, कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, एसपी प्रदीप शर्मा मौजूद थे। सीएम ने सभी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के समक्ष कहा कि सिंहस्थ क्षेत्र में स्थाई अनुमति देने के नियमों में ये बदलाव सिर्फ आश्रमों के लिये हैं। आमजन अपने आवासीय या कमर्शियल उपयोग के लिए यहां स्थाई निर्माण नहीं कर सकेगा।

धार्मिक शहर के रूप मेें विकसित होगा उज्जैन

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मेला कार्यालय के ऑडिटोरियम में मीडिया से चर्चा करते हुए कहाकि उज्जैन को धार्मिक शहर के रूप में विकसित करने की प्लानिंग सरकार कर रही है। सभी के साथ इसकी कार्य-योजना तैयार की गई है। उज्जैन सहित प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए प्रदेश सरकार निरंतर आगे बढ़ रही है। समग्र विकास से सभी की खुशहाली के द्वार खुलेंगे। सभी देव-स्थानों के आसपास हमारे धर्माचार्य आ जाए यह हमारी प्राथमिकता हैं।

विकास कार्यों के निर्माण भी स्थाई करने के प्रयास

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सिंहस्थ के दृष्टिगत सडक़, बिजली, पेयजल, जल-निकासी इत्यादि मूलभूत सुविधाओं के लिए भी स्थायी अधोसंरचना का निर्माण भी होगा, जिससे अस्थायी निर्माण से होने वाली समस्याएं निर्मित न हों। अन्य मूलभूत सुविधाओं के विकास कार्यों के साथ ही साधु-संतों के लिए आश्रम निर्माण के कार्य भी समानांतर रूप से चलेंगे। इसके अलावा समाजसेवा के इच्छुक सनातन धर्मावलंबियों के माध्यम से अन्न क्षेत्र, धर्मशाला, आश्रम, चिकित्सा केंद्र, आयुर्वेद केंद्र आदि सार्वजनिक गतिविधियों के संचालन को भी प्राथमिकता दी जाएगी।

इस निर्णय के संतों-श्रद्धालुओं को कई फायदे

12 वर्षों में होने वाले सिंहस्थ के आयोजन में साधु-संत काफी संख्या में आते हैं। उन्हें धार्मिक आयोजन, ठहरने, कथा, भागवत इत्यादि अन्य आयोजन के लिए जमीन की आवश्यकता होती है। हर बार सिंहस्थ के पहले संतों को टेंट आदि माध्यम से अस्थाई आश्रम तैयार करना पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा साधु-संतों के लिये स्थायी आश्रम बनाए जाने की योजना बनाई गई हैं। स्थायी तौर पर आश्रम बनने से साधु-संत और श्रद्धालुओं को होटलों के महंगे टैरिफ से मुक्ति मिलेगी।

हरिद्वार में बने हैं स्थाई आश्रम

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हरिद्वार में जिस प्रकार साधु-संतों के अच्छे आश्रम बने हुए हैं, उसी प्रकार उज्जैन में भी साधु-संतों के स्थायी आश्रम बनवाने के प्रयास किए जाएंगे। उज्जैन विकास प्राधिकरण के माध्यम से योजना को आकार दिया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि महाकाल महालोक बनने के बाद से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन आते हैं। निरंतर धार्मिक आयोजनों का क्रम जारी रहता है, जो कि इसी को ध्यान में रखते हुए पूरी योजना तैयार की गई है।

 

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