हम अपना दायित्व भूले, दूसरे का याद दिला रहे

-वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हिमांशु द्विवेदी की पत्रकारों को सलाह-अपनी लक्ष्मण रेखा की चिंता मत करो आप पत्रकारिता करते चलो
-उज्जैन में मालवा पत्रकारिता उत्सव का पहला दिन
समाचार आज। उज्जैन
सोसायटी फॉर प्रेस क्लब द्वारा आयोजित दो दिवसीय मालवा पत्रकारिता उत्सव का आगाज वरिष्ठ पत्रकारों के मार्गदर्शन के साथ शुरू हो गया है। शनिवार को पहले दिन रायपुर से पधारे हरिभूमि के प्रधान सम्पादक एवं अतिथि वक्ता डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने पत्रकारिता का नया दौर और मीडिया की लक्ष्मण रेखा विषय पर बोलते हुए कहा कोई बताने वाला नहीं है, सब लोग अपने दायित्व भूल गए हैं। दूसरों के दायित्व याद दिला रहे हैं। सत्य को आज कोई स्वीकार नहीं कर रहा है। आप लक्ष्मण रेखा की चिंता मत करो आप पत्रकारिता करते चलो। आज लक्ष्मण रेखा कौन तय करेगा, आज सब अपने आपको राम मानते हैं, लक्ष्मण तो कोई खुद को मानता नहीं।
कार्यक्रम का शुभारंभ उपस्थित अतिथि डॉ. मोहन यादव, उच्च शिक्षा मंत्री, मप्र. शासन, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक एवं पूर्व मंत्री जीतू पटवारी, उत्तर विधायक पारस जैन, तराना विधायक महेश परमार, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राकेश पाठक ग्वालियर, वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल नई दिल्ली, प्रेस क्लब के संस्थापक अध्यक्ष सुनील जैन व प्रेस क्लब के अध्यक्ष विशालसिंह हाड़ा, सचिव उदयसिंह चंदेल, कोषाध्यक्ष प्रदीप मालवीय, उपाध्यक्षद्वय विक्रम जाट व पुष्करण दुबे, संयुक्त सचिव रामचंद्र गिरी ने वाग्देवी के सम्मुख दीप प्रज्जवलन कर किया। इस दौरान छोटी बालिकाओं ने सरस्वती वंदना की नृत्य आराधना प्रस्तुत की। स्वागत भाषण प्रेस क्लब संस्थापक अध्यक्ष सुनील जैन ने दिया। प्रेस क्लब के पदाधिकारियों द्वारा उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया गया।
प्रतियोगिता में चयनित पत्रकार हुए पुरस्कृत
मालवा पत्रकारिता उत्सव के दौरान आयोजित प्रतियोगिता में श्रेष्ठ समाचार के लिए पत्रकारों को पुरस्कृत किया गया। प्रिंट मीडिया के पत्रकारों में प्रथम रवि चंद्रवंशी दैनिक भास्कर, द्वितीय धर्मेन्द्र भाटी दैनिक दबंग दुनिया, तृतीय चंद्रपाल दीखित अक्षरबाण, प्रोत्साहन पुरस्कार जितेंद्र चौहान व ललित जैन को प्राप्त हुआ। इलेक्ट्रॉनिक चैनल में विजेता पत्रकारों में प्रथम मनोज कुशवाहा, द्वितीय संतोष कृष्णानी, तृतीय शमशाद खान और प्रोत्साहन पुरस्कार अमृत बैंडवाल व मनोज भटनागर को दिया गया। श्रेष्ठ फोटोग्राफी में प्रथम गोविंद प्रजापत पत्रिका, द्वितीय मनोज तिलक दबंग दुनिया, तृतीय नौमिश दुबे नई दुनिया रहे। प्रोत्साहन पुरस्कार शाहिद खान दैनिक भास्कर और प्रकाश प्रजापत नई दुनिया को दिया गया। प्रिंट मीडिया के लिए निर्णायक मण्डल में प्रकाश त्रिवेदी, मुकेश भीष्म, प्रशांत अंजाना, हिना तिवारी, परमानंद शर्मा थे। वहीं इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए संदीप कुलश्रेष्ठ, विजय व्यास, राजेशसिंह कुशवाह निर्णायक मंडल में शामिल थे। वहीं फोटोग्राफर पुरस्कार के चयन समिति में रशीद खान, शकील गुट्टी, मृत्युंजयसिंह हाड़ा शामिल थे।
ये रहे उपस्थित
कार्यक्रम के दौरान प्रेस क्लब के सभी सम्मानीय सदस्य गणों में वरिष्ठ पत्रकार भूपेन्द्र दलाल, पुष्कर बाहेती, विवेक चौरसिया, अनूप शाह, प्रशांत सोनी, राजेश जोशी, प्रकाश रघुवंशी, नंदलाल यादव, नरेश सोनी, अभय तिरवार, सुदर्शन सोनी, सहित कार्यकारिणी के पुष्करण दुबे, विक्रम जाट, प्रदीप मालवीय, सचिन सिन्हा, हर्ष जायसवाल, शादाब अंसारी, धर्मेन्द्र भाटी, उदय चंदेल, निलेश खोयरे, सुमेरसिंह सोलंकी, गणपतसिंह चौहान, धर्मेन्द्र सिरोलिया, राहुल यादव, संदीप गोस्वामी, प्रणव नागर, मनोज तिलक, रामचंद्र गिरी आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।
त्याग का अभाव है आज के पत्रकार और पत्रकारिता में – राजेश बादल

अतिथि वक्ता वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने कहा कि आपातकाल के दौरान के मुद्दे जो पत्रकारों ने लिखे समाचार वे आज दस्तावेज बन गए हैं। उन्हें पढऩा चाहिए। उन्होंने आज के दौर के मीडिया की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पहले हमारे घर वाले बोलते थे कि मनोरंजन चैनल मत देखों समाचार चैनल देखों, लेकिन हम आज अपने बच्चों को कहते हैं कि समाचार चैनल में देखों बाकी कुछ भी देखो।
उन्होंने पत्रकारिता के शुरुआती दौर पर बोलते हुए कहा कि शहीद भगतसिंह ने 50 दिन अनशन किया था। भगतसिंह विचारों की आग थे, बहुत बड़े पत्रकार भी थे। 12 साल की उनकी पत्रकारिता में आजादी के आंदोलन की राह प्रस्तुत हुई। इस इस दौर के पत्रकारों को ये करना चाहिए। उस दौर में कई पत्रकारों को फांसी दे दी गई इसमें सबसे पहला नाम मौलाना बकर अली का है। भगतसिंह को फांसी दे दी गई। गणेश विद्यार्थी को अकाल मौत मिली। आज पत्रकारिता में उस त्याग का अभाव है।
सच लिखने के साहस में डर कैसा, खुलकर लिखो- राकेश पाठक

अतिथि वक्ता एवं वरिष्ठ पत्रकार राकेश पाठक ने उपस्थित जनप्रतिनिधियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि आज हम सब पत्रकार कटघरे में खड़े हैं। आज का दौर देखा जाए तो लोकतंत्र के चारों स्तम्भ कटघरे में है। ये लोकतंत्र की पालकी 4 कंधों पर है। आज के दौर में ये कंधे डगमगाने लगे हैं। चौथे स्तम्भ को डगमगाने से रोकना हमारी जिम्मेदारी है। वैसे हम लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ हैं ऐसा संविधान में कहीं लिखा नहीं है। हमें कोई सुविधा नहीं, कोई सुरक्षा नहीं। जबकि बाकी के तीनों स्तंभों को शासन-प्रशासन द्वारा पर्याप्त सहूलियत दी जा रही है। आपातकाल के दौरान पत्रकारों ने अपनी कलम रूपी तलवारों को बखूबी इस्तेमाल किया वे किसी भी तानाशाही से नहीं डरे। लेकिन वर्तमान की विडंबना देखिए यह भी अघोषित आपातकाल जैसा है। आज किसी भी पत्रकार में सच लिखने का साहस नहीं है। अगर वह शासन के खिलाफ लिखता है तो उसे देशद्रोही का तमगा दे दिया जाता है। हमें इस डर से निकलना होगा। सरकारों के गलत नियमों और भ्रष्टाचारों के खिलाफ खुलकर लिखना होगा।
जो छिपाया जा रहा है वहीं खबर है, उसे उजागर करो- जीतू पटवारी
कार्यक्रम में अतिथि के रूप में उपस्थित पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने उत्सव में उपस्थित पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। हमने भी कई पत्रकार देखे और उनसे मिलने की इच्छा मन में रखी। लेकिन वर्तमान पत्रकारिता को देखते हुए अब वैसा समय नहीं रहा। आज पत्रकारिता कॉर्पोरेट के हाथों में चली गई है। उन्होंने कहा कि जो खबर दबाना पड़े असल में वहीं खबर है। पत्रकारों को चाहिए कि वे नीडर होकर पत्रकारिता करें। उन्होंने कहा कि सभी राजनैतिक पार्टियों चाहे व सत्तासीन हो या विपक्ष उन्हें पत्रकारिता की स्वतंत्रता को बनाये रखना चाहिए। इसके लिए कानून में कुछ बदलाव करना पड़े तो करे। पत्रकारों की आर्थिक स्थिति पर भी हमें विचार करना चाहिए।
आपातकाल में सम्पादकीय पृष्ठ काले प्रकाशित हुए- अनिल फिरोजिया
स्थानीय सांसद अनिल फिरोजिया ने पत्रकारिता विषय पर बोलते हुए बताया कि आपातकाल के दौरान प्रेस पर सेंसरशिप लागू कर दी गई थी। उन्हें लिखने, छापने से रोका गया। कई बड़े समाचार पत्रों ने अपने सम्पादकीय पृष्ठ को काला या कोरा छापा। आज के दौर में यह स्वतंत्रता है कि पत्रकार स्वतंत्र होकर शासन के खिलाफ मुखर होता है। पत्रकार देश और जनप्रतिनिधियों का पथ प्रदर्शित करती है।
नारद थे सबसे पहले पत्रकार- डॉ. मोहन यादव
मालवा पत्रकारिता उत्सव में अतिथि के रूप में उपस्थित उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने श्रीकृष्ण प्रसंग पर बोलते हुए बताया कि इस सृष्टि के सबसे पहले पत्रकार नारद थे। उन्होंने भली भांति अपना पत्रकारिता धर्म निभाया। देवताओं के अन्दर की बात को श्री नारद जी द्वारा ही बाहर लाया जाता रहा है। श्रीकृष्ण जन्म होगा और कंस का वध उनके हाथों होगा इस खबर का प्रसारण श्री नारद जी द्वारा ही किया गया था। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में उपस्थित तराना के विधायक महेश परमार ने भी आज के दौर की पत्रकारिता पर चिंता व्यक्त की और खबरों में निष्पक्षता लाने की बात कही उज्जैन उत्तर विधायक पारस जैन ने पत्रकारों को संबोधित किया।