
उज्जैन में भगवान महाकाल की भव्य पांचवी सवारी सोमवार 11 अगस्त 2025 को निकाली गई, जिसमें धर्म और देशभक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस से चार दिन पहले निकली इस सवारी में हर तरफ तिरंगा लहरा रहा था। महाकाल को तिरंगे के साथ सलामी दी गई और पूरे शहर में हर घर तिरंगा का संदेश गूंजा। पांचवी सवारी की खास बात यह रही कि यह अपने निर्धारित समय शाम 7 बजे के 15 मिनट पहले 6.45 बजे ही मंदिर लौट आई। इस वर्ष की अंतिम और शाही सवारी 18 अगस्त 2025 को निकलेगी, जिसमें 70 भजन मंडलियां और सात स्वरूपों में महाकाल के दर्शन होंगे।
महाकाल को तिरंगे से सलामी
जैसे ही भगवान महाकाल की पालकी मंदिर से बाहर आई, सशस्त्र बल के जवानों ने उन्हें सलामी दी। इस दौरान सबसे खास बात यह थी कि जवानों की बंदूकों पर तिरंगा लगा हुआ था। इस अनूठे सम्मान को देखकर श्रद्धालु भावुक हो गए। इसके अलावा, सवारी के आगे चल रहे पुलिस के घुड़सवार दल और भजन मंडलियों के सदस्यों ने भी हाथों में तिरंगा थाम रखा था। उज्जैन के कलेक्टर रोशन सिंह ने बताया कि इस बार सवारी के जरिए पूरे शहर को हर घर तिरंगा अभियान से जुडऩे का संदेश दिया गया है।
भोले के जयकारों से गूंज उठी अवंतिका नगरी
भोले-शंभू भोलेनाथ के जयकारों से आज पूरी अवंतिका नगरी गूंज उठी, जब भाद्रपद माह के पहले सोमवार को भगवान महाकालेश्वर की पंचम सवारी धूमधाम से निकाली गई। इस साल की पाँचवी सवारी में भगवान महाकाल ने भक्तों को अपने पाँच विभिन्न स्वरूपों में दर्शन दिए। सवारी शुरू होने से पहले मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर का षोडोपचार पूजन किया गया। इस दौरान प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, राज्यमंत्री कृष्णा गौर और विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। सभी ने मिलकर पालकी को कंधा दिया और भगवान को नगर भ्रमण के लिए रवाना किया।
रामघाट पर हुआ मां क्षिप्रा से मिलन
सवारी अपने पारंपरिक मार्ग से होती हुई रामघाट पहुँची, जहाँ माँ क्षिप्रा के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन किया गया। इसके बाद सवारी विभिन्न मार्गों से होते हुए गोपाल मंदिर पहुँची, जहाँ सिंधिया ट्रस्ट के पुजारियों ने पूजन किया। अंत में सवारी वापस श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुँचकर समाप्त हुई।
पांच रूपों में निकले महाकाल
सवारी में भगवान महाकाल ने 5 स्वरूपों में भक्तों को दर्शन दिए।
- पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर,
- गजराज पर श्री मनमहेश,
- गरुड़ रथ पर श्री शिवतांडव,
- नंदी रथ पर श्री उमा-महेश
- डोल रथ पर श्री होल्कर स्टेट के मुखारविंद शामिल रहे।
जनजातीय नृत्यों और झांकियों ने बढ़ाई शोभा
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की मंशानुरूप बाबा श्री महाकालेश्वर की सवारी को भव्य स्वरुप देने के लिए 04 जनजातीय कलाकारों के दल श्री महाकालेश्वर भगवान की पंचम सवारी में सहभागिता की। जिसमे बैतूल से श्री मिलाप इवने के नेतृत्व में गोण्ड जनजातीय ठाट्या नृत्य, खजुराहो से श्री गणेश रजक के नेतृत्व कछियाई लोक नृत्य, दमोह से श्री पंकज नामदेव नेतृत्व में बधाई लोक नृत्य एवं डिण्डोरी के श्री सुखीराम मरावी के नेतृत्व गेडी जनजातीय नृत्य की प्रस्तुतियां देते हुए सम्मिलित हुए। यह सभी दल श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी के साथ अपनी प्रस्तुति देते हुए चले। जनजातीय दलों ने संस्कृति विभाग भोपाल, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद व त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय के माध्यम से भगवान श्री महाकालेश्वर जी की पंचम सवारी में सहभागिता की गई।
मध्यप्रदेश के धार्मिक स्थलों की झाकियां निकाली गई
सवारी को भव्य स्वरुप देने के लिए प्रसंग (थीम) अनुसार 11 अगस्त 2025 को निकलने वाली पंचम सवारी में मध्यप्रदेश के धार्मिक पर्यटन के अंतर्गत श्री राजाराम लोक ओरछा, सर्वसिद्धि श्री माँ बगलामुखी माता मंदिर, माँ शारदा शक्तिपीठ मैहर एवं देवीलोक माँ श्री बिजासन धाम सलकनपुर की प्रतिकृति प्रदर्शित की गई, जिनका निर्माण धार्मिक एवं न्यास एवं अध्यात्म विभाग, मध्यप्रदेश के माध्यम से किया गया।
शाही सवारी 18 अगस्त 2025 को
श्री महाकालेश्वर भगवान की श्रावण-भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में अंतिम व राजसी सवारी 18 अगस्त 2025 को निकलेगी। इस दौरान पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद एवं डोल रथ पर श्री सप्तधान का मुखारविंद सम्मिलित रहेगा। राजसी सवारी में परम्परागत 09 भजन मण्डलियों को मिलाकर कुल 70 भजन मण्डलियाॅं सम्मिलित होगी।
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