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Lota-salt : नशा मुक्ति के लिए लोटा-नमक का सहारा

Lota-salt : नशेड़ियों को सरकार दिलायेगी कसम

Lota-salt : नशे की लत में बुरी तरह जकड़े हरियाणा को नशे से मुक्त कराने के लिए हरियाणा नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी ने एक नई प्लानिंग की है, जो परंपराओं से जुड़ी है और रोचक भी है। इसके तहत नशे के आदी लोगों को एनसीबी सार्वजनिक रुप से लोटा-नमक की कसम दिलायेगी। एनसीबी का कहना है कि लोटा-नमक पहाड़ी इलाकों में आस्था का केंद्र है और इसकी कसम खाकर कोई भी अपनी बात से नहीं पलटता। इसी कारण चुनावों के दौरान चुनावी पार्टियां लोटा-नून की कसम खिलाती हैं। एनसीबी को विश्वास है कि यह अभियान नशा रोकने में काफी कारगर साबित होगा।

लोटा-नूण परपंरा आखिर है क्या

लूण लोटा एक समय में न्याय व्यवस्था का एक हिस्सा था. लोग लूण लोटा की प्रथा से ही खुद को सच्चा झूठा साबित करते थे. हिमालच के अलग-अलग इलाकों में आज भी ये प्रथा मौजूद है. लूण का मतलब है नमक और लोटा मतलब कलश. एक शख्स हाथ में पानी से भरे लोटे को पकड़ता है. दूसरे हाथ से उसमें नमक डालता है. इस दौरान वे एक वादा करता है, जिसे पूरा करने की वो कसम खाता है. लोटे में नमक डालने के बाद वो किसी भी सूरत में अपने वचन को पूरा करने से पीछे नहीं हट सकता. हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के दूरदराज क्षेत्र गिरिपार में चुनावों के दौरान वोट हासिल करने के लिए आज भी प्रत्याशी लोटा-नूण से कसम दिलवाते हैं। ग्रामीण अंचलों में नमक को स्थानीय बोली में नूण कहा जाता है। लोटा तथा नमक की कसम मजबूत कसम मानी जाती है। पुराने समय में यह कसम एक प्रकार से अदालत में सच सामने लाने में भी काम आती थी। जो सच अदालत में भी साबित नहीं होता था, उसे साबित कराने के लिए लोटा नमक कसम खिलाकर साबित किया जाता था। अब इस परंपरा के जरिए ही लोगों के वोट हासिल करने की कोशिश की जाती है। ग्रामीण इलाकों में यह आज भी प्रचलित है। ब्यूरो के अधिकारियों ने बताया कि इसके तहत गांव-गांव में कैंप लगाकर लोटा-नूण की कसम खिलाकर लोगों को नशे से दूर किया जायेगा। इस पहल का नाम हार्ट चेंज कैंपेन रखा गया है। इसका उद्देश्य नशीली दवाओं के आदी लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना है। अभियान के तहत गांव में नशीली दवाओं के तस्कर और उपभोक्ताओं की पहचान करने के बाद, उन्हें गांव में ही समुदाय, बुजुर्गों और पंडितों के सामने लाया जाएगा। सबके सामने उन्हें बताया जाएगा कि नशे से उन्हें, उनके परिवार और समुदाय को कितना नुकसान हो रहा है। एनसीबी अधिकारियों का कहना है कि पहले युवाओं को नुकसान के बारे में बताने के बाद और यह बताया जाएगा कि राज्य में नशीली दवाओं के तस्करों के खिलाफ सख्त कदम उठाया जा रहा है। पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है। इस कारण से दर्जनों तस्कर जेल की हवा खा रहे हैं।

नशे की लत से हालत चिंताजनक

अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस’ पर आयोजित ‘नशा मुक्त हरियाणा’ कार्यक्रम मेें हरियाणा सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव आईएएस अधिकारी राजेश खुल्लर खुद सार्वजनिक तौर पर स्वीकार कर चुके हैं कि हरियाणा के कुल 22 जिलों में से 16 जिले नशे की दल-दल में फंस चुके हैं। 2018 में हुए केंद्रीय सर्वेक्षण के मुताबिक पूरे भारत में 254 जिलों में नशे की समस्या गंभीर बनी हुई है, जिसमे से 16 जिले हरियाणा के हैं। हरियाणा में भी नशा रोकने को अनेकों कदम उठाये गए लेकिन नशे का जाल रुकने की बजाय फैलता ही जा रहा है। चिंता की बात ये भी है के ये 16 जिले सिरसा से अम्बाला तक कहीं न कहीं पंजाब के साथ जुड़े हुए हैं. ऐसा नहीं है कि हरियाणा सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है. 2022 में नशा तस्करी से जुड़े 6044 लोगों को गिरफ्तार किया गया और कई तस्करों की 53 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति भी अटैच की गयी है . प्रदेश भर में 152 नशा मुक्ति केंद्र चल रहे हैं. कई कार्यक्रम भी चलाएं लेकिन नशे पर काबू नहीं पाया जा सका है. इस साल एनसीबी ने हरियाणा की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर पहले 11 महीनों में ही 3,500 से अधिक ड्रग तस्करों को पकड़ा है। हालांकि, आंकड़ों के अनुसार, एक आश्चर्यजनक बात सामने आई। इनमें से 90 प्रतिशत गिरफ्तारियों में छोटे पैमाने के ड्रग पैडलर शामिल रहे, जो अक्सर गरीबी या लत के कारण इस व्यापार में शामिल होते थे।

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