कोचिंग सेंटर भ्रामक विज्ञापन नहीं कर सकते… नौकरी-सिलेक्शन का दावा भी नहीं करेंगे
कोचिंग सेंटर के लिये केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइन बनाई; टॉपर्स की फोटो भी बिना परमिशन के नहीं छाप पाएंगे

कोचिंग सेंटर अब भ्रामक विज्ञापन कर कोई दावा नहीं कर सकते हैं। केंद्र सरकार द्वारा 13 नवंबर 2024 को जारी नई गाइड लाइन के मुताबिक कोचिंग सेंटर्स अब 100% सिलेक्शन और 100% नौकरी देने का दावा नहीं कर पाएंगे।
कोचिंग सेंटर पर यह पाबंदी केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने लगाई है। ये गाइडलाइन एकेडमिक सपोर्ट, एजुकेशन, गाइडेंस और ट्यूशन सर्विस से जुड़े सभी संस्थान, कोचिंग सेंटर्स और ऑर्गनाइजेशन पर मान्य होगी। अगर कोचिंग सेंटर्स इसका पालन नहीं करते हैं तो उन पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने यह फैसला कई शिकायतों के बाद किया है। सीसीपीए के अनुसार कोचिंग सेंटर अब ऐसे झूठे दावे नहीं कर सकते जो गुमराह कर सकते हैं। केंद्र सरकार ने कोचिंग संस्थानों को 54 नोटिस जारी किए गए। केंद्र सरकार ने 18 कोचिंग इंस्टीट्यूट्स पर करीब 54.60 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया हैं और उन्हें भ्रामक विज्ञापन वापस लेने का आदेश भी दिया गया है।
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कोचिंग सेंटर से NCH ने 1.15 करोड़ रुपए की फीस वापस भी करवाई
नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन यानी NCH को स्टूडेंट्स और पेरेंट्स से कई शिकायतें मिली थीं। इनमें से ज्यादातर शिकायतें एनरोलमेंट फीस रिफंड न होने की थी। इसके बाद NCH ने पीड़ित स्टूडेंट्स को करीब 1.15 करोड़ रुपए रिफंड की पहल शुरू की और मुकदमेबाजी से पहले ही इन स्टूडेंट्स को उनका रिफंड मिल गया था। कंज्यूमर अफेयर्स सेक्रेटरी निधि खरे ने कहा, ‘हमने देखा कोचिंग सेंटर्स जानबूझकर स्टूडेंट्स को लुभाने के लिए सच्चाई छिपाते हैं। यही वजह है कि हमें कोचिंग इंडस्ट्री के लिए ये गाइडलाइन लानी पड़ी। सरकार कोचिंग सेंटर्स के खिलाफ नहीं है, लेकिन किसी भी एडवर्टाइजमेंट की क्वालिटी कंज्यूमर राइट्स के खिलाफ नहीं हो सकती।’
कोचिंग सेंटर्स के लिए गाइडलाइन की प्रमुख बातें
- कोचिंग सेंटर्स को अपने कोर्सेज से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी स्टूडेंट्स को बतानी होगी।
- कोचिंग सेंटर्स को बताना होगा कि टॉपर्स उनके यहां किस कोर्स में इनरोल्ड थे। यानी उन्होंने किस कोर्स के लिए एडमिशन लिया था।
- टॉपर्स को लेकर कोचिंग सेंटर्स को स्पष्ट डिस्क्लेमर छापने होंगे। उन्हें बताना होगा कि जिस टॉपर को वो कोचिंग के प्रमोशन के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, वो उनके किस कोर्स से और कितने समय के लिए जुड़ा था।
- कोचिंग सेंटर्स अपने कोर्सेज, उनकी अवधि, फैकल्टी, फी स्ट्रक्चर, सिलेक्शन रेट, एग्जामिनेशन रैंकिंग और रिफंड पॉलिसी को लेकर झूठे वादे नहीं कर सकते।
- कोई भी कोचिंग सेंटर जॉब सिक्योरिटी और सैलरी बढ़ने की गारंटी नहीं दे सकता।
- कोचिंग सेंटर्स बिना लिखित कंसेंट के टॉपर्स का नाम, फोटो और टेस्टिमोनियल इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे।
- अगर कोई कोचिंग सेंटर किसी टॉपर का नाम अपने प्रमोशन के लिए इस्तेमाल करना चाहता है तो उसे कैंडिडेट के सिलेक्शन के बाद उसकी लिखित परमिशन लेनी होगी।
- ये गाइडलाइंस काउंसलिंग, स्पोर्ट्स और क्रिएटिव एक्टिविटीज के लिए नहीं हैं।
- कोचिंग सेंटर्स को अपनी सर्विस, फैसिलिटी, रिसोर्सेज और इंफ्रास्ट्रक्चर की जानकारी देनी होगी।
- कोचिंग सेंटर्स को बताना होगा कि उनका कोर्स AICTE, UGC जैसी किसी अथॉरिटी से मान्यता प्राप्त है या नहीं।
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कोचिंग सेंटर के लिये केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय भी जारी कर चुका है गाइडलाइन
कोचिंग सेंटर पर अंकुश लगाने के लिये इस साल जनवरी में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय भी गाइड लाइन जारी कर चुका है। स्टूडेंट्स की आत्महत्या के बढ़ते मामलों, क्लासेज में आग की घटनाओं और कोचिंग सेंटर्स में सुविधाओं की कमी के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने भी गाइडलाइन जारी की थी। इसके तहत कोचिंग इंस्टीट्यूट्स 16 साल से कम उम्र के बच्चों को एडमिशन नहीं दे सकेंगे। इसके अलावा भ्रामक वादे करना और अच्छे नंबरों की गारंटी देने पर भी पाबंदी लगा दी थी।
- ट्यूटर्स ग्रेजुएट से कम योग्यता वाले नहीं होंगे
- अच्छे नंबर और रैंक की गारंटी नहीं दे सकते
- 16 साल से कम उम्र के स्टूडेंट्स का इनरोलमेंट नहीं कर सकते
- इनरोलमेंट सेकेंड्री स्कूल एग्जाम के बाद ही किया जाएगा
- हर कोर्स की ट्यूशन फीस फिक्स होगी, बीच में फीस नहीं बढ़ाई जाएगी, रसीद देनी होगी
- तय समय पहले कोर्स छोड़ने पर 10 दिन में बची फीस वापस करनी होगी
- स्टूडेंट हॉस्टल में रह रहा हो तो हॉस्टल फीस और मेस फीस भी लौटानी होगी
- मोरल क्राइम के दोषी फैकल्टी में नहीं हों
- काउंसलिंग सिस्टम बगैर कोचिंग का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा
- वेबसाइट पर फैकल्टी की योग्यता, कोर्स पूरा होने की अवधि बतानी होगी
- हॉस्टल सुविधा, फीस की पूरी जानकारी देनी होगी
- बच्चों के मेंटल स्ट्रेस पर ध्यान रखना होगा, अच्छे परफॉर्मेंस का प्रेशर नहीं बनाया जाएगा
- छात्र मुश्किल या तनाव में हों तो मदद के लिए सिस्टम बनाना होगा
- कोचिंग सेंटर में साइकोलॉजिकल काउंसलिंग का चैनल हो
- साइकोलॉजिस्ट, काउंसलर के नाम और वर्किंग टाइम की जानकारी पेरेंट्स को देनी होगी
- ट्यूटर भी स्टूडेंट्स को गाइडेंस देने के लिए मेंटल हेल्थ के टॉपिक्स में ट्रेनिंग ले सकते हैं
- गाइडलाइंस फॉलो न करने पर कोचिंग सेंटर्स पर 1 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा
- ज्यादा फीस वसूलने पर रजिस्ट्रेशन रद्द होगा