
wine to the goddess : उज्जैन में नवरात्रि की महाअष्टमी पर महाआयोजन होगा। माता महामाया-महालया शराब का भोग लगायेंगी और इसके बाद पूरे शहर के चारों ओर 27 किमी की सीमा में विभिन्न देव-भैरव को साक्षी मानकर शराब का भोग लगाते हुए जमीन पर शराब की धार लगायी जायेगी। यह पूरा आयोजन प्रशासन करता है और कलेक्टर खुद माता को शराब का भोग अर्पित करते हैं।
देवी की होती है नगर पूजा
इस बार शारदीय नवरात्रि की महाष्टमी 22 अक्टूबर को है। नगर की देवी यानी चौबीस खंबा मंदिर में विराजित महालया और महामाया देवी के समक्ष यह शासकीय पूजन होगा। सुबह 8 बजे कलेक्टर मदिरा का भोग लगाकर नगर पूजा की शुरुआत करेंगे। शासकीय पूजन के बाद ढोल-ढमाकों के साथ सरकारी नुमाइंदों का दल नगर के अन्य माता मंदिर और भैरव मंदिरों में पूजा के लिए पैदल निकलेगा। नगर की सुख-समृद्धि, रक्षा और मंगल कामना की दृष्टि से नवरात्रि की महाअष्टमी को नगर पूजा की जाती है।
हांडी में मदिरा भरकर चढ़ायेंगे धार
सुबह कलेक्टर चौबीस खंबा माता मंदिर पर मदिरा अर्पित करेंगे। इसके बाद नगरवासी माता को मदिरा का भोग लगाएंगे। अधिकारियों, कर्मचारियों और कोटवारों का दल 27 किलोमीटर लंबी नगर पूजा की यात्रा पर निकलेंगे। ढोल और ध्वज के साथ एक कोटवार हांडी लेकर चलेगा। जिसमें से मदिरा की धार नगर परिक्रमा के दौरान बहती रहती है। परिक्रमा के दौरान काल भैरव, भूखी माता, चामुंडा माता, गढ़कालिका सहित नगर के 40 मंदिरों में पूजा की जाएगी। साथ में अन्य सदस्य भजिए, पूड़ी का भोग लेकर चलेंगे। विभिन्न मंदिरों में भोग अर्पित किया जाएगा और माता को सोलह श्रृंगार की सामग्री और चूनरी अर्पित की जाएगी। दिनभर पूजन के बाद रात करीब 8 बजे गढ़कालिका होकर अंकपात मार्ग स्थित हांडी फोड़ भैरव मंदिर पर नगर पूजा का समापन होगा। पौराणिक मान्यता है कि नवरात्र की महाअष्टमी पर नगर पूजा की परंपरा सम्राट विक्रमादित्य द्वारा अपने राज्य व नगर में खुशहाली व सुख समृद्धि के लिए महाअष्टमी पर नगर पूजा की शुरूआत की थी। तभी से यह परंपरा चली आ रही है।