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नरेंद्र मोदी ने पीएम बनने के बाद पत्रकारवार्ता नहीं ली, क्योंकि उनमें आत्मविश्वास की कमी

मालवा पत्रकारिता उत्सव के दूसरे दिन वरिष्ठ पत्रकार रामशरण जोशी प्रभावी उदबोधन, कहा-प्रेस जब सवाल उठाना बंद कर देगा, उस दिन लोकतंत्र खत्म हो जाएगा

कार्यक्रम के दौरान पुस्तक पत्रकारिता का नया दौर का विमोचन भी किया गया।

समाचार आज। उज्जैन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकार बनने के बाद आज तक कोई पत्रकार वार्ता आयोजित नहीं की। यह उनकी आत्मविश्वास की कमी को दिखाता है। पहले की सरकार में सत्ताधीश वर्ष में 2-3 बार पत्रकार वार्ता आयोजित कर अपनी बात रखते थे और पत्रकारों के सवालों का जवाब भी देते थे। किसी भी सवाल पर वे कभी अहं का विषय नहीं बनाते थे। लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ पत्रकारिता है। लोकतंत्र के शेष तीन स्तम्भों का संतुलन बनाने का काम पत्रकारिता के माध्यम से किया जाता है। जब प्रेस सवाल उठाना बंद कर देगा, उस वक्त लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। हर सरकार का मीडिया पर वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास रहा है, पर पत्रकार को सदैव निर्भय होकर पत्रकारिता करते रहना चाहिए।

यह बात सोसायटी फॉर प्रेस क्लब द्वारा कालिदास अकादमी में आयोजित मालवा पत्रकारिता उत्सव कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार रामशरण जोशी ने व्यक्त किए। सोसायटी फॉर प्रेस क्लब द्वारा आयोजित दो दिवसीय मालवा पत्रकारिता उत्सव का 13 मार्च को समापन किया गया। इसमें ‘पत्रकारिता का नया दौर : टूटता भरोसा, बढ़ता गुस्सा’ विषय पर अतिथियों व वक्ताओं ने संबोधन दिया।

अतिथि वक्ता रामशरण जोशी ने कहा कि आज सोशल मीडिया पर खबरों का प्रचार-प्रसार तेजी से हो रहा है। समय परिवर्तनशील है। पत्रकारिता में भी परिवर्तन आते रहते हैं। पत्रकारिता की आवश्यकता हर सदी में सरकार और समाज को रही है। श्री जोशी ने कहा कि खबर कोई भी हो, छुप नहीं सकती। हर गलियारों में कोई न कोई छेद होता है, जो खबरों को उजागर कर देता है।

वर्तमान युग पत्रकारिता के व्यापारीकरण का

श्री जोशी ने अपने 50 वर्ष के कार्यकाल में पत्रकारिता के क्षेत्र में कई उतार-चढ़ाव देखे। उन्होंने पत्रकारिता को तीन युग में बांटा। पहला युग मिशनवादी पत्रकारिता का बताया। इस दौर में वे पत्रकार रहे, जिन्होंने एक मिशन के तहत पत्रकारिता की। आजादी के पहले देश में पत्रकारों ने लोगों के मन में आजादी का अलख जगाने और अंग्रेजों के विरुद्ध पत्रकारिता की। तब भी पत्रकारिता के भविष्य के बारे में कई पत्रकारों ने बता दिया था कि भविष्य में कैसी पत्रकारिता होगी। उन्होंने बताया कि 1925 में बाबूराव विष्णु पराडक़र ने कह दिया था कि भविष्य में अखबार अच्छे कागजों पर निकलेंगे, पर तब विज्ञापन का महत्व समाचार से अधिक हो जाएगा। उस समय की पत्रकारिता में कमाई को उद्देश्य नहीं बनाया गया था। श्री जोशी ने पत्रकारिता के दूसरे युग के बारे में कहा कि पत्रकारिता का दूसरा युग प्रोफेशनल है। आज कोई भी पत्रकार बिना वेतन या जेब से पैसे लगाकर घर परिवार को भूखा रखकर पत्रकारिता नहीं कर सकता। आज अगर कोई पत्रकारिता कर रहा है तो वह मिशन लेकर नहीं, पेट पालने के लिए कर रहा है। पत्रकारिता के तीसरे युग के बारे में श्री जोशी ने कहा कि पत्रकारिता का तीसरा युग व्यापारीकरण हो गया है। आज पत्रकारिता करते समय मुनाफा देखा जाता है।

‘किसी से डरो या न डरो, पर अखबार से जरूर डरना’

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सहारा समय नई दिल्ली के एडिटर इन चीफ सीईओ उपेन्द्र राय ने कहा कि महात्मा गांधी से बड़ा कोई पत्रकार नहीं है। महात्मा गांधी ने 70 हजार पत्र लिखे। उन्होंने विरोध को भी सहन किया। श्री राय ने नेपोलियन का जिक्र करते हुए कहा कि अगर चार विरोधी साथ मिलकर अखबार निकाले तो किसी से डरो या न डरो, पर अखबार से जरूर डरना चाहिए। अखबार सोच को बदलता है। अखबार हर स्थिति में प्रासंगिक है। लोकतंत्र के तीनों स्तम्भों में संतुलन साधने का जिम्मा पत्रकारिता पर है। पत्रकारों को आलोचना से घबराना नहीं चाहिए। कठोर निर्णय लेने वाले आलोचना का शिकार होते हैं। अगर हम तकलीफों से नहीं गुजरेंगे तो कोई भी असाधारण कार्य नहीं कर सकेंगे। आज कई पत्रकार सत्ता के गुण गाते हैं। दुनिया बदल रही है। समय आगे निकल जाता है और हम पीछे रह जाते हैं। सोशल मीडिया ने भी लोगों की समझ को बदला है। पत्रकारिता पहले से ज्यादा बेहतर हुई है। पत्रकारिता पहले व्यवसाय नहीं था। बाजार की ताकत सरकार को व्यवस्था बदलने पर मजबूर कर देती है। आज दुनिया वर्चुअल दुनिया में बदल रही है। पत्रकारिता के साथ आज हम सब नए युग में प्रवेश कर रहे हैं। श्री राय ने कार्यक्रम की हृदय से सराहना की और वर्ष में लगभग दो कार्यक्रम इस तरह के करने का सुझाव दिया। साथ ही प्रस्ताव दिया कि एक आयोजन का प्रायोजक के तौर पर वह सहयोग देने को तैयार हैं।

पत्रकारिता को धन उपार्जन का साधन बनाया तो मुश्किल हो जाएगी

मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार परवेज एहमद ने कहा कि दो वस्तु अगर साथ में हो तो एक असली होती है और एक नकली। यही पत्रकारिता में भी है। आज कोई भी सोशल मीडिया से सूचना भर दे देता है तो वह पत्रकार नहीं हो जाता। आज कई पत्रकार रोजी रोटी के लिए रिमोट कंट्रोल से चल रहे हैं। पुराने समय की पत्रकारिता से आज की तुलना नहीं की जा सकती। पहले आटे में नमक होता था तो आज नमक में आटा हो गया है। श्री एहमद ने कहा कि यदि पत्रकारिता को धन उपार्जन का साधन बनाया तो मुश्किल हो जाएगी। उन्होंने शहीद भगतसिंह के समय की पत्रकारिता के बारे में भी बताया।

अपनी जबान पर ताला नहीं लगाए पत्रकार

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुख्य अतिथि पूर्व राज्यसभा सदस्य व वरिष्ठ भाजपा नेता रघुनंदन शर्मा ने कहा कि पत्रकारिता राष्ट्र को संभाल कर रखने वालों का समूह है। राष्ट्र को संभालने व दिशा देने वाले को पत्रकार कहा जाता है। पत्रकार के पास यह गुण है कि वह किसी सकारात्मक बात को नकारात्मक रूप दे सकता है और नकारात्मक बात को सकारात्मक रूप दे सकता है। आज पत्रकारिता भी सरकार के आने-जाने से दु:खी और हर्षित होती है। कश्मीर का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि आज कश्मीरी अपने ही देश में ठोकरे खा रहे हैं। कभी भी पत्रकार को अपनी जबान पर ताला नहीं लगाना चाहिए। ईश्वर ने सबको बोलने की शक्ति प्रदान की है लेकिन पत्रकार को अतिरिक्त शक्ति भी दी है।
प्रारंभ में स्वागत भाषण सोसायटी फॉर प्रेस क्लब के संस्थापक वरिष्ठ पत्रकार सुनील जैन ने दिया। संचालन वरिष्ठ पत्रकार विवेक चौरसिया ने किया। अतिथियों व वक्ताओं को स्मृति चिह्न भेंट किए गए। कार्यक्रम के दौरान पुस्तक पत्रकारिता का नया दौर का विमोचन भी किया गया। इस दौरान कपिल शर्मा, स्वदेश तिवारी, मनोज पुरोहित, पुष्पराजसिंह राणा, प्रशांत सोनी, उदय आरस, प्रतीक अवस्थी, मौनी बाहेती, अमृत कुलश्रेष्ठ, प्रेम डोडिया, शिवेन्द्र तिवारी, प्रमोद व्यास, धर्मेन्द्र सिरोलिया, संजय शुक्ला, राजेन्द्र पुरोहित, राजेश जोशी, सतीश गौड़, रामचन्द्र गिरी, शिवेन्द्र परमार, विश्वविनायकसिंह सेंगर, रेखा गोस्वामी, दीपक भारती, देवेन्द्र पुरोहित, अभिषेक नागर का सम्मान किया गया। हर्ष जायसवाल ने संस्था के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ पत्रकार भूपेन्द्र दलाल, पुष्कर बाहेती, अनूप शाह, प्रकाश रघुवंशी, नरेश सोनी, अभय तिरवार, सुदर्शन सोनी, सुखरामसिंह तोमर, राधेश्याम चौऋषिया, भारतसिंह चौधरी, हेमन्त भोपाळे, इंदरसिंह चौधरी, खलिक मंसूरी, विजय घाटे, मनीष पांडे, मनोज भटनागर, नौमिष दुबे, राजीव भदौरिया, हिना तिवारी, अरुण राठौर, मोहिल मेहता, शुभम माहौर, दिव्या राठौर, धर्मेन्द्र सरोतिया, कवीन्द्र खींची सहित कार्यकारिणी के पुष्करण दुबे, विक्रम ङ्क्षसह जाट, प्रदीप मालवीय, सचिन सिन्हा, हर्ष जायसवाल, शादाब अंसारी, धर्मेन्द्र भाटी, उदय चंदेल, निलेश खोयरे, सुमेरसिंह सोलंकी, गणपतसिंह चौहान, धर्मेन्द्र सिरोलिया, राहुल यादव, संदीप गोस्वामी, प्रणव नागर, मनोज तिलक, रामचंद्र गिरी आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।

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