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mp cm mohan yadav : मोदी के मन में मध्यप्रदेश के मोहन

mp cm mohan yadav : संघर्षों से जीवन की शुरुआत, आज पहुंचे शीर्ष पर

mp cm mohan yadav : मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का जीवन संघर्ष में बीता। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से राजनीति की शुरुआत करने वाले मोहन यादव पॉलिटिकल मैटर घर में शेयर नहीं करते। मॉर्निंग रूटीन के पक्के हैं।  तंगहाली के चलते बचपन में एक टीचर ने उन्हें अपने साथ रखकर पढ़ाया। खर्च भी उठाया। उज्जैन के गीता कॉलोनी में मोहन यादव का करीब 1200 वर्गफीट का घर है। सोमवार शाम भोपाल में जैसे ही विधायक दल की बैठक में उनके CM बनने की घोषणा हुई, घर पर सैकड़ों लोग जमा हो गए। आतिशबाजी होने लगी। ढोल-धमाके बज रहे थे। सभी लोग एक-दूसरे को मिठाइयां खिला रहे थे। एक-दूसरे को बधाई भी दे रहे थे। घर के बाहर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी भी मौजूद रहे। BJP कार्यालय समेत अन्य चौराहों पर BJP के नेताओं ने ढोल की थाप पर डांस किया। उज्जैन में मोहन यादव के घर परिवार वालों को टीवी के माध्यम से CM बनने का पता चला। इसके बाद उन्होंने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दी।

उज्जैन में मोहन यादव के घर परिवार वालों को टीवी के माध्यम से CM बनने का पता चला। इसके बाद उन्होंने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाई दी।

पिता और बड़ी बहन बोलीं- टीचर ने उठाया था खर्च

cm मोहन यादव के पिता पूनम चंद यादव और बड़ी बहन ग्यारसी यादव ने बताया, ‘मोहन शुरू से ही कर्मठ रहा है। वह खेती के साथ पढ़ाई भी करता था। बात उन दिनों की है, जब पिता मिल में नौकरी करते थे। घर में ज्यादा इनकम नहीं हो पाती थी। तब मोहन स्कूल जाते थे। पढ़ाई में अच्छा होने के कारण वहां सालिगराम नाम के टीचर ने उन्हें अपने साथ रख लिया। उसे पढ़ाया-लिखाया। पूरा खर्च भी उठाया। सालिगराम अब इस दुनिया में नहीं हैं।’ ये तस्वीर 1984 की है। उज्जैन के माधव साइंस कॉलेज में छात्र संघ का शपथ विधि समारोह हुआ। इसमें मोहन यादव सहसचिव बनाए गए। उन्होंने कॉलेज में लगने वाली विवेकानंद की मूर्ति के लिए ब्लेजर के पैसे दे दिए थे। इस कारण ब्लेजर नहीं खरीद पाए।

ये तस्वीर 1984 की है। उज्जैन के माधव साइंस कॉलेज में छात्र संघ का शपथ विधि समारोह हुआ। इसमें मोहन यादव सहसचिव बनाए गए। उन्होंने कॉलेज में लगने वाली विवेकानंद की मूर्ति के लिए ब्लेजर के पैसे दे दिए थे। इस कारण ब्लेजर नहीं खरीद पाए।

घर में कम समय दे पाते हैं

बड़ी बहन कलावती बाई ने बताया, ‘मोहन की शुरू से ही सामाजिक कार्यों में रुचि रही है। कॉलेज के दिनों में विद्यार्थी परिषद में आ गए। घर में कम समय दे पाते थे।हालांकि, बिजी रहने के बावजूद घर में बड़ों के प्रति भी दायित्व निभाते हैं। समाज में किसी को लगता नहीं है कि उनके पास इतना बड़ा दायित्व है। समाज में हर जगह जाते हैं। चूंकि अब बड़ी जिम्मेदारी मिली है। पूरा विश्वास है कि वे अपने कर्तव्य पर खरे उतरेंगे।’ मोहन यादव खुद तीन भाई और दो बहन हैं। इनमें सबसे बड़ी बहन ग्यारसी बाई और कलावती हैं। कलावती उज्जैन नगर निगम अध्यक्ष भी हैं। बड़े भाई नंदलाल यादव, नारायण यादव और सबसे छोटे मोहन यादव हैं। मूल काम खेती बाड़ी और प्रॉपर्टी का है। तीनों भाई उज्जैन में ही अलग-अलग रहते हैं। मोहन यादव के भी दो बेटे और एक बेटी है। एक बेटा अभिमन्यु और बेटी आकांक्षा डॉक्टर हैं। अभिमन्यु भोपाल में रहकर आगे की पढ़ाई कर रहा है। वहीं, दूसरा बेटे वैभव ने LLM किया है। ये तस्वीर 17 नवंबर 2023 की है। इस दिन डॉ. मोहन यादव परिवार समेत वोट डालने गए थे।

ये तस्वीर 17 नवंबर 2023 की है। इस दिन डॉ. मोहन यादव परिवार समेत वोट डालने गए थे।

OT में थी बेटी, पिता के CM बनने की खबर मिली तो पहले ऑपरेशन किया, फिर घर पहुंचीं

CM की घोषणा के समय उनकी डॉक्टर बेटी आकांक्षा अपने ही अस्पताल में ऑपरेशन की तैयारी कर रही थीं। यह खबर मिली तो पहले उन्होंने ऑपरेशन किया और फिर घर पहुंचीं। आकांक्षा यादव ने बताया, ‘मैं अस्पताल में पेशेंट देख रही थी, तभी फोन आया। चूंकि पिताजी ज्यादातर समय बाहर ही रहते हैं, देर रात तक घर आते हैं। इस कारण उनसे कम ही इंटरैक्शन होता है। राजनीतिक बातें घर में नहीं होतीं। वह राजनीति के बीच में परिवार को नहीं लाते।’ मोहन यादव की पत्नी सीमा यादव ने बताया कि जब वे सुबह गए, तो बोलकर गए थे कि शाम को कुछ अच्छा होगा। दोपहर 2 बजे मैं महाकाल मंदिर गई। वहां पूजन कर भगवान से जो मांगा, वो मिल गया।

चुनाव जीतते ही मां ने लगा लिया था गले

विक्रम यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल डिपार्टमेंट के तत्कालीन HOD प्रो. गोपाल कृष्ण शर्मा बताते हैं, ‘2013 के चुनाव की बात है। मतदान वाले दिन मोहन ने अपनी मां लीलाबाई यादव के पैर पड़े। उस दिन उनकी मां ने कहा था कि चुनाव लड़ रहा है, तो हारकर मत आना। मतगणना के बाद मोहन यादव जीते, तो सबसे पहले वह अपनी मां का आशीर्वाद लेने पहुंचे। मां ने उन्हें गले लगा लिया था। उनकी मां अब इस दुनिया में नहीं हैं।’

उम्र का बंधन आड़े आया तो प्राइवेट एग्जाम दिए

गोपालकृष्ण बताते हैं, ‘डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष रहते हुए पॉलिटिकल साइंस में MA किया। उस समय उम्र का बंधन होने से रेगुलर प्रवेश नहीं दिया जा सकता था। बाद में तय हुआ कि प्राइवेट एग्जाम देकर MA किया जाएगा। पढ़ाई करने के लिए वह रवि सोलंकी और शरद दुबे उनके घर आकर पढ़ते थे। PhD के लिए भी लगातार घर आकर चर्चा करते।’ प्रो. गोपाल कृष्ण शर्मा बताते हैं, ‘जब मोहन यादव की PhD का वायवा होना था, उस दिन जन्माष्टमी थी। वायवा लेने जोधपुर से कुलपति प्रो. लोकेश शेखावत आए थे। त्योहार होने से विभाग में वायवा के बाद डिपार्टमेंट के लोगों ने इस्कॉन मंदिर में जाकर फलाहार किया।’

उज्जैन शहर से दूसरे CM

इससे पहले उज्जैन उत्तर के विधायक रहे कांग्रेस के प्रकाश चंद सेठी 1972 में प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। वे 1975 तक CM रहे।

खेती-व्यापार​ से कमाई,​​​​​​ पांच साल में 10 करोड़ बढ़ी संपत्ति

मोहन यादव ने चुनावी हलफनामे में अपनी आजीविका का साधन खेती और व्यापार बताया है। शपथ पत्र के अनुसार, उनके परिवार के पास कुल 42 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति है। इसमें पांच साल में 10 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। उन पर और परिवार पर 9 करोड़ की देनदारी भी है। मोहन यादव के पास 1.41 लाख रुपए नकद हैं। वहीं, पत्नी सीमा के पास 3.38 लाख रुपए कैश मौजूद है। पत्नी के अलग-अलग बैंकों में 28 लाख 68 हजार रुपए हैं। मोहन यादव ने अपनी कुल आय 19,85,200 रुपए और पत्नी सीमा यादव की कुल आय 13,07,000 रुपए बताई है। 2001 में लालकृष्ण आडवाणी के उज्जैन आगमन पर हवाई पट्टी पर अगवानी करते हुए सत्यनारायण जटिया, बाबूलाल जैन और मोहन यादव। तब मोहन उज्जैन भाजपा के जिला महामंत्री थे।

2001 में लालकृष्ण आडवाणी के उज्जैन आगमन पर हवाई पट्टी पर अगवानी करते हुए सत्यनारायण जटिया, बाबूलाल जैन और मोहन यादव। तब मोहन उज्जैन भाजपा के जिला महामंत्री थे।

22 लाख की कार, बाइक और रिवॉल्वर के साथ बंदूक

नए मुख्यमंत्री मोहन यादव के पास 140 ग्राम सोना है। इसकी कीमत करीब 8 लाख रुपए है। 22 लाख की एक कार, एक बाइक और रिवॉल्वर के साथ बंदूक भी है। वहीं, पत्नी के पास 250 ग्राम सोने के जेवर और 1.2 किलो चांदी के गहने हैं। इनकी कीमत 15.78 लाख रुपए है। चुनावी हलफनामे में बताया है कि उनके पास करीब 15 करोड़ रुपए की खेती वाली जमीन है। उज्जैन में 1 करोड़ रुपए का एक प्लॉट भी है। पत्नी के नाम 6 करोड़ रुपए कीमत के दो नॉन एग्रीकल्चर लैंड हैं, जबकि 6 करोड़ से अधिक के घर और फ्लैट हैं। उन्होंने और पत्नी ने कई कंपनियों में शेयर और पार्टनरशिप के तौर पर 6.42 करोड़ रुपए का निवेश कर रखा है। मोहन यादव के नाम तीन लाख की पॉलिसी, पत्नी सीमा के नाम पर 9 लाख की पॉलिसी है।

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