उज्जैन

उज्जैन में शिव नवरात्रि महापर्व प्रारम्भ, दूल्हा बने महाकाल

उज्जैन में शिव नवरात्रि श्री कोटेश्वर महादेव पर शिव पंचमी के पूजन के साथ शुरु, समापन महाशिवरात्रि पर

उज्जैन में शिव नवरात्रि ( ujjain-mein-shiv-navaraatri ) महापर्व की शुरुआत महाकालेश्वर मंदिर में शिव पंचमी (शिव नवरात्रि) के दिन 29 फरवरी से शुरू हो गई है। महाशिवरात्रि महापर्व के नौ दिन पहले से शिव नवरात्रि उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव 29 फरवरी से प्रारंभ हो गया है। और समापन महाशिवरात्रि पर होगा।

सनातन धर्म की परंपरा में जिस प्रकार शक्ति की आराधना के लिए देवी मंदिरों में नवरात्रि मनाई जाती है, उसी प्रकार उज्जैन के विश्वप्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में शिव नवरात्रि मनाई जाती है। शिव नवरात्रि का यह उत्सव फाल्गुन कृष्ण पंचमी से महाशिवरात्रि महापर्व के अगले दिन तक चलता है।

पहले दिन शिव पंचमी को नैवेद्य कक्ष में श्री चन्द्रमौलेश्वर भगवान जी के पूजन, श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण स्थित कोटितीर्थ के तट पर प्रात: 8 बजे से श्री गणेश पूजन व श्री कोटेश्वर महादेव भगवान का पूजन-अभिषेक-आरती के साथ शिव नवरात्रि महोत्सव का प्रारम्भ हुआ। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासक प्रतीक दिवेदी द्वारा 11 ब्राम्हणों को सोला- दुप्पटा व वरुणी भेट की गई। प्रात: 9.30 बजे श्री महाकालेश्वर मन्दिर के गर्भगृह में श्री महाकालेश्वर मन्दिर के मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में तथा अन्य 11 ब्राह्मणों द्वारा देश-प्रदेश की सुख-समृद्धि एवं खुशहाली की कामना के साथ पंचामृत पूजन, एकादश-एकादशनी रूद्राभिषेक किया गया। अभिषेक उपरांत श्री महाकालेश्वर भगवान को केसर मिश्रित चन्दन का उबटन लगाया गया साथ ही जलाधारी पर हल्दी अर्पित की गई। उसके उपरान्त श्री महाकालेश्वर भगवान का श्रृंगार कर भोग आरती की गई। दोपहर 3 बजे सांध्य पंचामृत पूजन के पश्चात श्री महाकालेश्वर भगवान ने भांग श्रृंगार कर निराकार से साकार रूप धारण किया। भगवान श्री महाकालेश्वर को पीले रंग के नवीन वस्त्र के साथ मेखला, दुप्पटा, मुकुट, मुंड-माला, छत्र आदि से किया श्रृंगारित किया गया।

महाशिवरात्रि पर होगी विशेष पूजन

8 मार्च महाशिवरात्रि पर भस्मार्ती हेतु श्री महाकालेश्वर भगवान के मंगल पट प्रात: 2.30 बजे खुलेगे। भस्मारती उपरांत 7.30 से 8.15 दद्योदक आरती, 10.30 से 11.15 तक भोग आरती के पश्यात दोपहर 12 बजे से उज्जैन तहसील की ओर से पूजन-अभिषेक संपन्न होगा। शाम 4 बजे होल्कर व सिंधिया स्टेट की ओर से पूजन व सायं पंचामृत पूजन के बाद भगवान श्री महाकालेश्वर को नित्य संध्या आरती के समान गर्म मीठे दूध का भोग लगाया जायेगा। रात्रि में सायं 7 से 10 बजे तक कोटितीर्थ कुण्ड के तट पर विराजित श्री कोटेश्वर महादेव का पूजन, सप्तधान्य अर्पण, पुष्प मुकुट श्रृंगार (सेहरा) तथा इसके उपरान्त आरती की जायेगी। रात्रि 11 बजे से सम्पूर्ण रात व 9 मार्च सुबह 6 बजे तक भगवान श्री महाकालेश्वर जी का पंचामृत पूजन, भस्म लेपन, विभिन्न फलों के रसो से अभिषेक, गुलाबजल, भाँग आदि से विभिन्न मंत्रों के माध्यम से 11 ब्राह्मणों द्वारा देवादिदेव भगवान श्री महाकालेश्वर का अभिषेक किया जायेगा। अभिषेक उपरांत सप्तधान्य अर्पित कर सप्तधान्य के मुखोटे से भगवान का श्रृंगार कर पुष्प मुकुट (सेहरा) बांधने के उपरांत सेहरा आरती की जायेगी व भगवान को विभिन्न मिष्ठान्न, फल आदि अर्पित किये जायेगे।

दोपहर 12 बजे होगी भस्मारती

सेहरा दर्शन के उपरांत वर्ष में एक बार दिन में 12 बजे होने वाली भस्मार्ती होगी। भस्मार्ती के बाद भोग आरती होगी व शिवनवरात्रि का पारणा किया जायेगा। 9 मार्च को सायं पूजन, सायं आरती व शयन आरती के बाद भगवान के पट मंगल होगे । 11 मार्च सोमवार को सायं पूजन से शयन आरती तक भगवान श्री महाकालेश्वर के पंच मुखारविन्द के दर्शन होगे।

शिव नवरात्रि में इन स्वरुपों में दर्शन देंगे श्री महाकाल

1 मार्च शेषनाग धारण –  नवरात्रि के दूसरे दिन सायं पूजन के पश्चात भगवान महाकाल ने शेषनाग धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे।। श्री महाकालेश्वर भगवान का अभिषेक एकादश-एकादशनी रूद्रपाठ से किया जाएगा।सायं पूजन के पश्चात श्री महाकाल को नवीन वस्त्र धारण करवाये जाएंगे। साथ ही भगवान श्री महाकालेश्‍वर मुकुट, मुण्ड माला एवं फलों की माला के साथ शेषनाग धारण करेंगे।

02 मार्च श्री घटाटोप स्वरूप – शिव नवरात्रि के तीसरे दिन सायं पूजन के पश्चात बाबा महाकाल ने श्री घटाटोप स्वरूप में भक्तों को दर्शन देंगे। बाबा महाकाल को नवीन वस्त्र अर्पित कर कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र, माला एवं फलों की माला आदि पहनाई जाएगी।

03 मार्च छबीना स्वरूप- नवरात्रि के चौथे दिन सायं पूजन के पश्चात बाबा महाकाल ने छबीना स्वरूप धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे। जिसमें प्रात: श्री महाकालेश्वर मंदिर के नैवैद्य कक्ष में भगवान श्री चन्द्र मौलेश्वर का पूजन होगा तथा कोटितीर्थ कुण्ड के पास स्थापित श्री कोटेश्वर महादेव के पूजन के पश्चात बाबा श्री महाकाल को नवीन पीले रंग के वस्त्र धारण करवाये जाएंगे तथा भगवान श्री महाकालेश्वर के श्री छबीना रूप का श्रृंगार कर बाबा को मुकुट, मुण्ड माला एवं फलों की माला आदि धारण की जाएगी।

04 मार्च मन महेश स्वरूप- शिवनवरात्रि के पंचम दिवस सायं पूजन के पश्चात बाबा महाकाल ने मन महेश स्वरूप धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे। जिसमें प्रात: श्री महाकालेश्वर मंदिर के नैवैद्य कक्ष में भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर का पूजन होगा सायं पूजन के पश्चात बाबा श्री महाकाल को नीले रंग के वस्त्र धारण करवाये जाएंगे, साथ ही भगवान श्री महाकालेश्वर को मन महेश स्वरूप का श्रृंगार कर बाबा को मुकुट, मुण्ड माल, एवं फलों की माला धारण करेंगे।

05 मार्च उमा-महेश श्रृंगार- शिवनवरात्रि के षष्ट‍म दिवस सायं पूजन के पश्चा्त बाबा महाकाल ” उमा- महेश” स्वरूप धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे। कोटितीर्थ कुण्डे के पास स्थापित श्री कोटेश्ववर महादेव के पूजन के पश्चात बाबा श्री महाकाल को कत्थई रंग के वस्त्र धारण करवाये जाएंगे एवं भगवान श्री महाकालेश्ववर को उमा-महेश स्वेरूप का श्रृंगार कर मुकुट, मुण्डमाल, एवं फलों की माला धारण कराई जाएगी।

06 मार्च होल्कर श्रृंगार-शिवनवरात्रि के सप्तम दिवस सायं पूजन के पश्चात बाबा महाकाल ने होल्कर स्वरूप धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे। बाबा महाकाल को लाल रंग के वस्त्र धारण करवाये जाएंगे, साथ ही भगवान श्री महाकालेश्वर को होल्कर का श्रृंगार कर बाबा को मुकुट, मुण्डमाल, एवं फलों की माला धारण कराई जाएगी।

07 मार्च शिव तांडव श्रृंगार- आठवें दिन भगवान श्री महाकाल शिव तांडव के रूप में दर्शन देंगे। शिव-नवरात्रि के आठवें दिन ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर का शृंगार शिव-तांडव स्वरूप में होगा। भगवान को वस्त्र, कुंडल, चंद्रमा, चांदी की नरमुंड और फलों की माला धारण कराई जायेगी।

08 मार्च निराकार स्वरूप- नवम दिवस महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर दिन भर जल अर्पित होगा और भगवान महाकाल निराकार स्वरूप में दर्शन देंगे। इस दौरान करीब 44 घंटे तक भगवान महाकाल के दर्शन का सिलसिला जारी रहेगा।

महाशिवरात्रि पर 44 घंटे सतत खुले रहेंगे महाकाल के कपाट-

श्री महाकालेश्वर मंदिर में 8 मार्च को महाशिवरात्रि पर्व पर महाकाल की नगरी में शिव भक्तों का तांता लगेगा। महाकाल मंदिर में सतत 44 घंटे दर्शन का सिलसिला चलेगा। महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रात: तीन बजे भस्मार्ती के लिए पट खुलेंगे। अल सुबह भस्म आरती के पश्चात प्रात: 7: 30 से 8:15 तक दद्योदक आरती, 10:30 से 11:15 बजे तक भोग आरती होगी। दोपहर 12 से 1 बजे तक तहसील की ओर से अभिषेक-पूजन होगा। शासकीय पूजन के पश्चात होलकर एवं सिंधिया परिवार द्वारा वंश परंपरानुसार अभिषेक पं.घनश्याम पुजारी द्वारा किया जाएगा। उसके पश्चात श्री महाकालेश्वर भगवान की सायं 6 बजे की आरती होगी। रात्रि 7 से 10 बजे तक कोटितीर्थ कुंड पर स्थित कोटेश्वर महादेव का पंचामृत पूजन, सप्तधान अर्पण के बाद पुष्प मुकुट श्रृंगार आरती होगी।

भगवान को अर्पित होगा सेहरा

महाशिवरात्रि पर्व के अगले दिन 9 मार्च को सुबह सप्त धान्य (चावल, मूंग खड़ा, तिल, मसूर खड़ा, गेहूं, जौ, उड़द खड़ा) महाकालेश्वर भगवान को अर्पण किया जाएगा। महाभोग महाआरती के बाद सेहरा दर्शन शुरू होंगे। और फिर वर्ष में एक बार होने वाली दोपहर की भस्म आरती दोपहर 12 होगी। इस दौरान श्रद्धालुओं के प्रवेश को प्रतिबंधित रहेगा। पं. महेश पुजारी ने बताया कि बाबा महाकाल को 3 किवंटल फूलों का सेहरा चढ़ाया जाएगा। बाबा महाकाल को स्वर्ण के आभूषण, स्वर्ण का चंद्रमा, स्वर्ण का त्रिपुर्ण और स्वर्ण का तिलक लगाकर दूल्हा बनाया जाएगा। 3 किवंटल फूलों से 11फीट का सेहरा तैयार होगा। जिसमें 100 किलो आंकड़े के फूल, सवा सौ किलो बेल पत्र, 200 किलो देसी फूल से 11 फीट का सेहरा बनाया जाएगा

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