मध्यप्रदेश

उज्जैन में महाराष्ट्रीयन परिवारों में माता लक्ष्मी और सरस्वती का अभिवादन

उज्जैन के महाराष्ट्री य परिवारों में सिद्धि विनायक के साथ माता लक्ष्मी और माता सरस्वती की पूजा-अर्चना भी की गई। ढाई दिन के लिए अपने भाई गणेश के घर आई माता लक्ष्मी और माता सरस्‍वती का घर-घर में अभिवादन किया गया।

उज्जैन में माता लक्ष्मी और माता सरस्‍वती भी श्रीगणेश के साथ पधारीं और भक्तों पर आशीर्वाद बरसाये। महाराष्‍ट्रीयन परिवारों में मान्यता है कि गणेश उत्सव के दौरान ढाई दिन के लिए माता लक्ष्मी और माता सरस्वती अपने भाई श्री गणेश के घर आती हैं। परिवार के सदस्य उन्हें बहन-बेटियों की तरह अष्टमी तिथि को घर लाते हैं और दो दिन खूब आवभगत करने के बाद दशमी को दोपहर बाद उन्हें वस्त्र-आभूषण आदि दान दक्षिणा देकर विदा किया जाता है।

उज्जैन के फ्रीगंज में निवासरत महाराष्ट्रीयन शिंदे परिवार के घर भी यह आयोजन किया गया। शिवाजी राव शिंदे व भाइयों के परिवार में संयुक्त रूप से माता लक्ष्‍मी और माता सरस्वती को विराजित किया गया था। इस दौरान रोज तरह-तरह के पकवानों से दोनों माताओं की सेवा की गई, तरह-तरह के धार्मिक आयोजन, गीत-संगीत आदि के जरिए उनकी आवभगत की गई। दशमी तिथि को रविवार दोपहर बाद दोनों माताओं को रीति-रीवाजों के साथ उन्हें विदाई दी गई।

इस परंपरा का महाराष्ट्र में घर-घर निर्वहन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब श्रीगणेश आते हैं तो अपने भाइयों के घर उनकी बहने भी आती हैं। इस कारण मां सरस्वती और मां लक्ष्मी की आवभगत भी मायके आई बहनों जैसी ही की जाती है। शिंदे परिवार के अलावा अन्यह महाराष्‍ट्रीयन परिवारों के यहां भी मां सरस्वती और मां लक्ष्मी को घर लाकर उनकी आकर्षक झांकी सजाई जाती है। शिंदे परिवार के सदस्यों का कहना है कि जिन दिनों में माता लक्ष्मी और सरस्वती का आगमन होता है, उस वक्त घर में माहौल ही बदल जाता है। पूरे समय माहौल उत्स‍वमय हो जाता है और उनकी विदाई के बाद घर सूना हो जाता है।

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