mahakal-temple : महाकाल मंदिर में रुपए लेकर दर्शन कराने का मामला फिर सामने आया
mahakal-temple : रुपए लेकर शयन आरती और भस्मारती में कराये दर्शन, कांस्टेबल सहित दो लोगों पर कार्रवाई

mahakal-temple : श्री महाकालेश्वर मंदिर में रुपए लेकर दर्शन कराने का मामला एक बार फिर सामने आया है। इस बार रुपए लेकर दो मीडिया कर्मियों को शयन आरती में सबसे आगे बैठाकर दर्शन कराये, वहीं भस्मआरती में भी उन्हें 31-31 सौ रुपए लेकर दर्शन कराये। 6 अप्रैल को पूरा मामला उजागर हुआ तो रुपए लेकर दर्शन कराने की मिलीभगत में पाये गये एक आरक्षक को एसपी ने सस्पेंड कर दिया है। जबकि मंदिर समिति ने दो युवकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए महाकाल थाने को लिखा है और मंदिर में दोनों युवकों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है।
घटना के मुताबिक आरोपी युवक हर्ष जोशी और ब्रजेश तिवारी ने दो मीडियाकर्मियों को रुपए लेकर दर्शन कराये थे। दोनों मीडियाकर्मी ऑटो रिक्शा चलाने वाले के जरिए दर्शन करने की बात कर पहले फूल बेचने वाले के पास पहुंचे। वहां से सुरक्षाकर्मी और खुद को पंडित बताने वाले हर्ष जोशी और ब्रजेश तिवारी के संपर्क में आये। बाद में शयन आरती के लिए और भस्मारती के दर्शन के लिए रुपये तय हुए। हर्ष जोशी ने आरक्षक अजीत राठौर की मदद से दोनों मीडियाकर्मियों को शयन आरती में दर्शन करवाये। उन्हें पिछले के दरवाजे से ले जाकर मंदिर में आगे बैठाया और बदले में 15-15 सौ रुपए लिये। इसमें से आरक्षक राठौर को भी रुपए दिये गये। इसके बाद 31-31 सौ रुपए लेकर ब्रजेश तिवारी ने भस्मारती करवाई। इस पूरे मामले की रिकार्डिंग दोनों मीडियाकर्मियों ने कर ली और 6 अप्रैल को पूरे मामले का खुलासा हो गया।
मामला सामने आते ही महाकाल मंदिर समिति में हड़कंप मचा
महाकाल मंदिर में दर्शन की आड़ में चल रहे बड़े रैकेट का खुलासा जब सामने आया तो मंदिर की व्यवस्था को बेहतर बताने वाले जिम्मेदारों की आंखे खुली रह गई। प्रशासन सहित मंदिर समिति कार्यालय में हड़कंप मच गया। सबसे पहले एसपी प्रदीप शर्मा ने आरक्षक अजीत राठौर को सस्पैंड किया। दूसरी ओर कलेक्टर व मंदिर समिति अध्यक्ष नीरज सिंह ने मंदिर समिति को कार्रवाई के आदेश दिये। दोपहर में मंदिर समिति ने रुपये लेनदेन करने वाले हर्ष जोशी और ब्रजेश तिवारी के खिलाफ महाकाल थाने में कार्रवाई का पत्र भेजा और मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया। मंदिर समिति ने हर्ष जोशी और ब्रजेश तिवारी के महाकाल मंदिर सहित परिसर के मार्गों में प्रवेश पर रोक लगा दी है। हर्ष जोशी और ब्रजेश तिवारी ने तय राशि से अधिक राशि लेकर भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन और भस्म आरती के दर्शन कराए थे। जबकि, दर्शन के लिए कोई शुल्क नहीं देना होता है। भस्म आरती पंजीयन के लिए 200 रुपए प्रति श्रद्धालु शुल्क तय है।


कौन है ब्रजेश तिवारी और हर्ष जोशी
सूत्रों के मुताबिक हर्ष जोशी बचपन से ही महाकाल मंदिर के पुजारियों के साथ मंदिर में घूमता रहा। बीच में कुछ समय वो मंदिर परिसर में स्थित एक महादेव मंदिर (84 महादेव में एक) में सहायक के रूप में काम करता था। लेकिन उसकी रुपए लेने की आदतों के कारण उसे करीब एक-डेढ़ साल पहले वहां से हटा दिया गया था। इसी तरह ब्रजेश तिवारी भी किसी मंदिर से नहीं जुड़ा है, लेकिन महाकाल मंदिर के पुजारी व सहायकों से मित्रता के कारण वो पंडितों की वेशभूषा में मंदिर में भी घूमता रहा है। हर्ष और ब्रजेश दोनों बाहर से यजमान लाकर मंदिर के पुजारियों को सौंप देते हैं और बदले में उन्हें भी भेंट-पूजा मिलती है।
घर के भेदी को तलाशों और कार्रवाई करो, तभी रुकेगा महाकाल मंदिर में दर्शन का व्यापार
महाकालेश्वर मंदिर में भस्मारती दर्शन में रुपयों का खेल तब से शुरू हुआ है जब से पाबंदियां बढ़ी है। सभी जानते हैं कि नियमानुसार घंटो कतार में खड़े रहकर कोई भी बाहरी दर्शनार्थी भस्मारती अनुमति करा ही नहीं सकता। नियम कायदे इतने हो गये हैं कि उनका पालन कर अनुमति कराने में ही एक-दो दिन लग जाये। दूसरी व्यवस्था ऑनलाइन अनुमति की है वो भी तुरंत संभव नहीं है। ऐसे में दर्शनार्थी को दलालों की शरण में जाना ही पड़ता है। इन दलालों को सुविधा देते हैं मंदिर के ही कर्मचारी। यह दलाल ऑटो रिक्शा चालक, फूल प्रसादी वाला, पंडे-पुजारी के सहायक या वो लोग हैं जो बिना कारण ही मंदिर परिसर में घूमते हैं। दलालों के जरिए सौदा तय होता है इसके बाद ही मंदिर समिति से जुड़े कर्मचारियों की भूमिका शुरू होती है और वे लोग अपना मोटा हिस्सा लेकर अनुमति जारी करने में मदद करवाते हैं। इसके लिए भस्मारती अनुमति जारी करने वाले सैक्शन ने कुछ ऐसे मीडियाकर्मियों और पंडे-पुजारी के सहायकों को संरक्षण दे रखा है जो इनके पास दर्शन अनुमति के आसामी लाते हैं। ये लोग शाम चार-पांच बजे तक भी नियमानुसार अनुमति लाने का दावा करते हैं। इसके बाद जब लिस्ट तय हो जाती है तो रात की यूनिट का खेल शुरू होता है। भस्मारती के प्रवेश गेट पर तैनात कर्मचारी दलालों के द्वारा लाये गये भक्तों को बिना किसी प्रवेश पत्र या आईडी चैक किये ही तुरंत अंदर प्रवेश देते हैं। सिर्फ दलाल का इशारा काफी है। जबकि अनुमति लेकर गये दर्शनार्थी के तमाम कागजात चैक किये जाते हैं और अनुमति पत्र का बार कोड चैक किया जाता है। अभी तक सामने आये मामलों में मंदिर समिति ने सिर्फ रुपए लेते पकड़े गये व्यक्ति पर ही कार्रवाई की अनुशंसा कर मामले की इतिश्री की है। लेकिन अनुमति बनाने या प्रवेश कराने में सहायता करने वाले मंदिर समिति के कर्मचारी पर कभी कार्रवाई नहीं की। रुपये लेने वाला दलाल होता है जिस पर मंदिर में प्रवेश प्रतिबंध का कोई असर नहीं होता। वो बाहर से ही अपना काम करता रहता है। पहले भी जो लोग मंदिर से प्रतिबंधित हुए हैं, वे आज भी मंदिर में घूमते देखे जा सकते हैं। अगर मंदिर प्रशासन बाकई इस खेल को रोकना चाहता है तो पहले घर के भेदी को तलाशें और कड़ी कार्रवाई करें।dev Diwali : उज्जैन मेें मनाएं देव दिवाली, मिलेगा अदभुत आनंद