उज्जैन

खाते में किसी ने साढ़े सात लाख डाल दिए

अब तलाश रही उत्तर प्रदेश पुलिस, पहले ऐसा चायवाले के साथ ही हो चुका है

समाचार आज। उज्जैन

उज्जैन के मक्सीरोड़ स्थित कंचनपुरा में रहने वाले एक युवक को साइबर अपराध के मामले में उत्तरप्रदेश के गोरखपुर की सायबर पुलिस तलाश रही है। गोरखपुर पुलिस की टीम ने उज्जैन में माधवनगर पुलिस की मदद से इस युवक के घर पर छापेमारी की, युवक फरार हो गया है।

उज्जैन के मक्सीरोड़ स्थित कंचनपुरा में रहने वाला आकाश पिता रविशंकर रायकवार उत्तरप्रदेश में वांटेड है। रविवार की शाम गोरखपुर से सायबर सेल की एक टीम उसकी तलाश करते हुए उज्जैन पहुंची और उसके घर पर दबिश दी। परिवार के लोगों से पूछताछ की, इसके अलावा यह टीम इंदौर रोड दो तालाब के पास स्थित आईडीबीआई बैंक में भी पहुंची थी। इस बैंक में आकाश का खाता है। गोरखपुर से आई साइबर पुलिस माधव नगर पुलिस की सहायता से आकाश के घर पहुंची तो उसके परिजनों ने बताया कि वह लगभग 1 साल से उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के ललितपुर में रह रहा है।

बैंक खाते में 7 लाख 50 हजार रूपए कहां से आई

आकाश शेयर मार्केट का काम करता है। आकाश की बहन अनामिका रायकवार ने बताया कि लगभग 1 साल पहले गोरखपुर की किसी व्यक्ति ने उसके खाते में कमीशन के एवज में पचास हज़ार रूपए डाले थे। इसके बाद फिर सात लाख रूपए उसके खाते में और डाले गए। इन रूपयों को वापस लौटाने की आकाश ने कोशिश भी की लेकिन अब गोरखपुर की साइबर पुलिस घर आकर पूछताछ कर रही है। इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। आकाश की बहन ने पुलिस को बताया है कि फिलहाल आकाश से संपर्क नहीं हो पा रहा है। अमूमन वहीं परिवार को फोन करता है, तब बात हो पाती है। आकाश के बैंक खाते में 7 लाख 50 हजार रूपए से ज्यादा की रकम कहां से आई, किसने यह रूपयां उसके खाते में डाला और क्या आकाश खुद इस धोखाधड़ी में शामिल है? इन सारे सवालों के जवाब गोरखपुर पुलिस की जांच पर टिके है।

कुछ महीने पहले चाय वाले युवक के बैंक खाते में 3 करोड़ से अधिक का ट्रांजेक्शन

आकाश रायकवार की तरह का ही एक मामला कुछ महीने पहले उज्जैन में सामने आ चुका है। सायबर ठगों ने ठीक इसी तरह से तेलीवाड़ा पर चाय की दुकान चलाने वाले एक युवक को मोहरा बनाकर उसके बैंक खाते में 3 करोड़ रूपए से अधिक का ट्रांजेक्शन किया था। इसी प्रकरण की जांच के दौरान सीएसपी कोतवाली पल्लवी शुक्ला पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उन्हें अपना पद गंवाना पड़ा था। सायबर ठगी के इस मामले में माधवनगर और कोतवाली थाने में दो अलग-अलग प्रकरण दर्ज किए गए थे। इंदौर में भी इसी तरह के कुछ ओर मामले सामने आ चुके है। सामान्य पढ़ाई के बाद छोटे-मोटे काम धंधे करने वाले या 12-15 हजार की नौकरियां तलाशने वाले युवाओं के बैंक खातों में बेनामी ट्रांजेक्शन के जरिए लाखों करोड़ो रूपयों का भुगतान डल जाने के मामले दिन ब दिन तेजी से बढ़ने लगे है। ऑनलाइन जालसाजी करने वाले गिरोह ऐसे युवाओं को अपने अपराध में टूल की तरह इस्तेमाल करने लगे है।

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