‘बिपरजॉय’ चक्रवाती तूफान हुआ विकराल

मुंबई में भी समंदर में उठी ऊंची लहरें, अलर्ट जारी,
गुजरात में ज्यादा नुकसान की आशंका, कांडला शहर खाली कराया,
जामनगर के एेेतिहासिक रेलवे स्टेशन की जर्जर इमारत गिराई, 67 ट्रे्नों का संचालन रोका
समाचार आज
चक्रवाती तूफान बिपरजॉय (Cyclone Biporjoy) विकराल रूप धारण कर रहा है। गुजरात सरकार चक्रवाती तूफान बिपरजॉय को लेकर अलर्ट मोड में आ गई है। तूफान के खतरे को देखते हुए कांडला शहर को खाली किया जा रहा है, इसके अलावा जामनगर के ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन की जर्जर इमारत को जामनगर महानगर पालिका ने गिरा दिया। साथ ही पश्चिम रेलवे ने एहतियात के तौर पर 67 ट्रेनों के परिचालन को पूरी तरह से रद्द कर दिया है।
उत्तर भारत के कई राज्यों में जहां तापमान में बढ़ोतरी के साथ ही लू चलने की आशंका जताई गई है, वहीं मौसम विभाग ने गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ तट के लिए चक्रवाती तूफान ‘बिपरजॉय’ की चेतावनी जारी की है। मौसम विभाग ने कच्छ और सौराष्ट्र के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
अरब सागर पार कर रहा ‘बिपरजॉय’
‘बिपरजॉय’ चक्रवाती तूफान फिलहाल अरब सागर को पार कर रहा है और गंभीर चक्रवाती तूफान में तब्दील हो गया है। गुजरात के कांडला में दीनदयाल पोर्ट अथॉरिटी के अधिकारियों ने निचले इलाकों में लोगों को गांधीधाम में आश्रयों में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया। यहां 6 जहाज बंदरगाह को पहले ही छोड़ चुके हैं और 11 जहाज आज रवाना हो जाएंगे। यहां भारी बारिश की आशंका जताई गई है। मछली पकड़ने के परमिट पर रोक लगा दी गई है।
पीएम मोदी ने ली बैठक
चक्रवात की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को उच्च स्तरीय बैठक कर बिजली, संचार, स्वास्थ्य और पेयजल जैसी सभी आवश्यक सेवाओं को बनाए रखने और इन्हें कोई क्षति पहुंचने पर तत्काल बहाल करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने पशुओं की भी सुरक्षा सुनिश्चित करने और 24 घंटे चलने वाले नियंत्रण कक्ष स्थापित करने को कहा है।
राहत व बचाव के लिए कई टीमें तैनात
इस बीच राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) राहत व बचाव कार्य के लिए 12 टीमें तैनात कर दी हैं, साथ ही NDRF ने 15 टीमों को आपात स्थिति के लिए तैयार रखा है। अभी तक 7,500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है। पोरबंदर के 31 गांवों से 3,000 लोगों और देवभूमि द्वारका में 1,500 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। अरब सागर में उठे चक्रवात बिपरजाय के चलते दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुरुवार और शुक्रवार को हल्की वर्षा हो सकती है।
बिपरजॉय के रूट में न पड़ने वाले राज्यों में इसका असर
एक्सपर्ट्स का मानना है कि चक्रवात बिपरजॉय प्रमुख रूप से नॉर्थ गुजरात और साउथ राजस्थान को प्रभावित करेगा। इससे जुड़े आसपास के इलाकों में तेज हवाएं और बारिश हो सकती हैं। बाकी देश पर इसका कोई खास असर नहीं होगा।
- नॉर्थ ईस्टः अगले तीन दिनों तक नॉर्थ-ईस्ट के ज्यादातर राज्यों में भारी बारिश का अनुमान है।
- पूर्वी भारतः पश्चिम बंगाल और सिक्किम में अगले तीन दिनों में भारी बारिश से अत्यधिक भारी बारिश का अनुमान है।
- उत्तर पश्चिम भारतः हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के कुछ इलाकों में तूफान आएगा। राजस्थान के कुछ इलाकों में भी थंडरस्टॉर्म की संभावना है।
- पश्चिमी भारतः गोवा, महाराष्ट्र के कुछ इलाकों में भारी बारिश होगी। गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ इलाकों में तो चक्रवात का भरपूर असर देखने को मिलेगा।
- दक्षिणी भारतः केरल और कर्नाटक में अगले 3 दिनों तक भारी बारिश जारी रहेगी।
- अगले कुछ दिनों तक बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और ओडिशा के कुछ इलाकों में हीटवेव जारी रहेगी। तमिलनाडु, मध्य महाराष्ट्र और मराठवाड़ा इलाकों में गर्मी और उमस रहेगी।
बिपरजॉय की वजह से महाराष्ट्र, एमपी, राजस्थान में जल्दी पहुंचेगा मानसून
बिपरजॉय तूफान के चलते मानसून के और एडवांस यानी तेज होने की संभावना है। मौसम वैज्ञानिक डीपी दुबे के मुताबिक बिपरजॉय तूफान से सारी नमी गुजरात से होते हुए महाराष्ट्र, एमपी, राजस्थान की तरफ बढ़ेगी। इससे इन इलाकों में मानसून तेजी से पहुंच सकता है। इन इलाकों में प्री-मानसून एक्टिविटी बढ़ेगी और 15 जून के बाद बारिश होने की संभावना है।
क्या होते हैं चक्रवात और ये बनते कैसे हैं?
साइक्लोन शब्द ग्रीक भाषा के साइक्लोस (Cyclos) से लिया गया है, जिसका अर्थ है सांप की कुंडलियां। इसे ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में ट्रॉपिकल साइक्लोन समुद्र में कुंडली मारे सांपों की तरह दिखाई देते हैं। चक्रवात एक गोलाकार तूफान (सर्कुलर स्टॉर्म) होते हैं, जो गर्म समुद्र के ऊपर बनते हैं। जब ये चक्रवात जमीन पर पहुंचते हैं, तो अपने साथ भारी बारिश और तेज हवाएं लेकर आते हैं। ये हवाएं उनके रास्ते में आने वाले पेड़ों, गाड़ियों और कई बार तो घरों को भी तबाह कर सकती हैं।
साइक्लोन बनने की प्रोसेस
- चक्रवात समुद्र के गर्म पानी के ऊपर बनते हैं। समुद्र का तापमान बढ़ने पर उसके ऊपर मौजूद हवा गर्म और नम होने की वजह से ऊपर उठती है। इससे उस हवा का एरिया खाली हो जाता है और नीचे की तरफ हवा का प्रेशर यानी वायु दाब कम हो जाता है।
- इस खाली जगह को भरने के लिए आसपास की ठंडी हवा वहां पहुंचती है। इसके बाद ये नई हवा भी गर्म और नम होकर ऊपर उठती है।
- इसका एक साइकिल शुरू हो जाता है, जिससे बादल बनने लगते हैं। पानी के भाप में बदलने से और भी बादल बनने लगते हैं। इससे एक स्टॉर्म साइकिल या तूफान चक्र बन जाता है, जो धरती के घूमने के साथ ही घूमते रहते हैं।
- स्टॉर्म सिस्टम के तेजी से घूमने की वजह से उसके सेंटर में एक आई बनता है। तूफान के आई को उसका सबसे शांत इलाका माना जाता है, जहां एयर प्रेशर सबसे कम होता है।
- ये स्टॉर्म सिस्टम हवा की स्पीड 62 किमी/घंटे होने तक ट्रॉपिकल स्टॉर्म कहलाते हैं। हवा की रफ्तार 120 किमी/घंटे पहुंचने पर ये स्टॉर्म साइक्लोन बन जाते हैं।
- साइक्लोन आमतौर पर ठंडे इलाकों में नहीं बनते है, क्योंकि इन्हें बनने के लिए गर्म समुद्री पानी की जरूरत होती है। लगभग हर तरह के साइक्लोन बनने के लिए समुद्र के पानी के सरफेस का तापमान 25-26 डिग्री के आसपास होना जरूरी होता है।
- इसीलिए साइक्लोन को ट्रॉपिकल साइक्लोन भी कहा जाता है। ट्रॉपिकल इलाके आमतौर पर गर्म होते हैं, जहां साल भर औसत तापमान 18 डिग्री से कम नहीं रहता।