उज्जैनमध्यप्रदेश

भगवान महाकाल की सवारी के लिए तैयार हो रहे हैं तीन दिव्‍य रथ

सावन अधिकमास के कारण निकलेगी दस सवारी, दानदाताओं के सहयोग के रथ बनाने की योजना

समाचार आज @उज्‍जैन

उज्जैन में श्रावण-भादौ मास में निकलने वाली भगवान महाकाल की सवारी में इस बार भगवान महाकाल के मुखारविंद दिव्‍य रथ पर विराजित कर निकाले जाएंगे। समिति दानदाताओं के सहयोग से रथ का निर्माण करा रही है। मंदिर प्रशासन के अनुसार तीन नए रथ बनवाए जा रहे हैं। इस बार सावन माह अधिक मास होने के कारण श्री महाकाल की सवारियां भी 10 निकलेंगी। ऐसे में तीन रथ मुखारबिंदों के लिए कम पड़ रहे हैं। इन रथों को दानदाताओं के सहयोग से बनाने का काम शुरू हो गया है। इनका नाम दिव्‍य रथ दिया गया है जो कि बैलों या फिर ट्रैक्‍टर की मदद से खींचे जायेंगे। प्रत्येक सवारी में भगवान महाकाल का एक नया मुखारविंद शामिल होगा।

उज्जैन में श्रावण-भादौ मास में निकलने वाली भगवान महाकाल की सवारी में इस बार भगवान महाकाल के मुखारविंद इस बार दिव्‍य रथ पर निकाले जाने की योजना है। 19 साल बाद इस बार सावन का अधिक मास आने से भगवान महाकाल की सावन और भादौ माह की कुल 10 सवारी निकाली जाएगी। जैसा कि सभी जानते हैं कि सवारी में भगवान महाकाल का एक नया मुखारविंद बढ़ता जाता है। अभी तक सात सवारियों के मान से तो मंदिर समिति के पास व्‍यवस्‍था है, लेकिन बढ़ी हुई तीन सवारियों के लिए नए रथ की आवश्‍यकता होगी।

मनमहेश पालकी में, चंद्रमौलेश्‍वर हाथी पर, शेष स्‍वरूप अलग-अलग रथों में

पहली सवारी में भगवान महाकाल मनमहेश रूप में पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन देने निकलेंगे। दूसरी सवारी में भगवान महाकाल चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर व हाथी पर मनमहेश रूप में सवार होंगे। इन दोनों मुखारविंदों का पालकी व हाथी पर सवार होने का क्रम शाही सवारी तक निरंतर जारी रहेगा, जबकि तीसरी सवारी से भगवान महाकाल के अन्य मुखारविंद जैसे शिवतांडव, उमा-महेश, होल्कर स्‍वरूप, घटाटोप, सप्तधान, जटाशंकर आदि रथों पर निकाले जाएंगे। मंदिर समिति के पास पहले से ही पांच रथ हैं। इन्हें रंगरोगन कर सवारी के लिए तैयार किया जाएगा। लेकिन श्रावण मास में दस सवारी होने से तीन और रथ की आवश्यकता है। मंदिर समिति इन रथों का निर्माण दानदाताओं के सहयोग से करा रही है।

शहरी क्षेत्र के स्‍वस्‍थ बैलों की तलाश

महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के सदस्‍य पं. राम पुजारी ने बताया कि रथ की डिजाइन लगभग फाइनल हो चुकी है। जल्‍दी ही इनका निर्माण शुरू हो जायेगा। इन रथों को खींचने के लिए नंदी स्‍वरूप स्‍वस्‍थ बैलों की तलाश है। बैल शहरी क्षेत्र के हो तो बेहतर होगा, ताकि वे भीड़ में भड़कें नहीं। कर के साथ बैठक कर रथ की डिजाइन फाइनल कर दी गई है। दिल्ली, इंदौर व उज्जैन के दानदाता अपने शहरों में रथ का निर्माण करा रहे हैं।

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