प्रयाग में 13 जनवरी 2025 से शुरू होगा 45 दिन का कुंभ

पहला शाही स्नान मकर संक्रांति, दूसरा 29 जनवरी मौनी अमावस्या और तीसरा शाही स्नान 3 फरवरी बसंत पंचमी को होगा
समाचार आज @ प्रयागराज
अगले वर्ष के प्रारंभ में प्रयागराज में कुंभ मेला आयोजित होने वाला है। प्रयागराज महाकुंभ की तारीखों का ऐलान 8 जुलाई 2023 हो गया है। कुंभ मेला की शुरुआत 13 जनवरी, 2025 से होगी। महाकुंभ का मेला 45 दिन तक चलेगा। महाकुंभ की तैयारियों को लेकर 13 अखाड़ों के साथ अफसरों की पहली बैठक मंडलायुक्त कार्यालय में शनिवार को हुई। इसमें शाही स्नान पर्वों की तारीख पर भी सहमति बन गई है।
13 अखाड़ों के साथ हुई बैठक में तय किया गया कि महाकुंभ का पहला स्नान 13 जनवरी सोमवार यानी पौष पूर्णिमा के दिन होगा। पहला शाही स्नान 14-15 जनवरी को मकर संक्रांति पर होगा। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर दूसरा शाही स्नान होगा। 3 फरवरी को बसंत पंचमी पर तीसरा और आखिरी शाही स्नान होगा।12 फरवरी को माघी पूर्णिमा और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के आखिरी मुख्य स्नान पर्व के साथ महाकुंभ का समापन हो जाएगा।
धार्मिक स्थलों को सुंदर बनाने पर सहमति
बैठक में अखाड़े के पदाधिकारियों ने सुझाव दिए कि यहां धार्मिक स्थलों का विशेष सुंदरीकरण किया जाए। निर्मोही अखाड़ा अयोध्या के महंत धर्मदास ने कहा कि ऐसे मंदिरों को भी संवारा जाए, जाे पिछले कुंभ में छूट गए थे। उन्होंने बताया कि महाकुंभ-2025 के लिए ढाई हजार करोड़ के बजट पर स्वीकृति मिली है। इसमें सड़क, सुरक्षा, स्वास्थ्य, सफाई जैसे बिंदुओं पर फोकस किया जा रहा है।
7 रिवर फ्रंट टाइप सड़क बनाई जा रही
बैठक में बताया गया कि महाकुंभ के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन से सभी सार्वजनिक सुविधाओं से युक्त 7 घाटों का भी निर्माण किया जा रहा है। प्रयागराज के 387 पार्कों में ग्रीन स्पेस यानी सौंदर्यीकरण का काम कराया जा रहा है। 7 रिवर फ्रंट टाइप की सड़क बनाई जाएगी, जिसकी लंबाई 13.25 किमी. होगी। अक्षयवट, पातालपुरी, सरस्वती कूप के कॉरिडोर, लैंड स्केपिंग, साइनेज और प्रवेश द्वार का विकास कराया जा रहा है। भारद्वाज आश्रम और द्वादश माधव मंदिरों के कॉरिडोर का विकास सौंदर्यीकरण, प्रवेश द्वार, साइनेज कराया जा रहा है।
अखाड़ों ने मोहल्लों के नाम जगतगुरुओं के नाम पर रखने का प्रस्ताव
बैठक में जूना अखाड़ा के महामंत्री महंत हरि गिरि महाराज द्वारा आगामी कुंभ में प्रयागराज को राम गमन मार्ग का सूचक के रूप में भी परिलक्षित करने पर जोर देने का सुझाव दिया गया। साथ ही महर्षि भारद्वाज द्वारा किए गए कार्यों का और प्रचार-प्रसार करने, शंकराचार्य का स्थायी द्वार बनाने, वेणी माधव की परिक्रमा उचित मार्ग की व्यवस्था करने और मोहल्लों का नाम जगतगुरुओं के नाम पर रखने का भी प्रस्ताव दिया।