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महाकाल सवारी से उज्जैन में अदभुत नजारा

महाकाल सवारी में पहली बार आदिवासी नृत्य भी शामिल, जानिए कैसे थे उज्जैन के हाल

महाकाल सवारी से सोमवार को उज्जैन में अदभुत माहौल था। सावन माह 22 जुलाई सोमवार से प्रारंभ हो गया है। पहले ही दिन सोमवार होने पर भगवान महाकाल की पहली सवारी भी परंपरागत रूप से निकाली गई। शाम चार बजे सवारी मंदिर से निकली। इसके पहले दोपहर मंदिर के सभागृह में तीन बजे से भगवान महाकाल का पूजन का दौर प्रारंभ हुआ। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने भगवान महाकाल के दर्शन के पश्चात पालकी पूजन किया। हितानंद शर्मा, विधायक जितेंद्र पंड्या, महेश परमार, महापौर मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति कलावती यादव, कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, एसपी प्रदीप शर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद थे। मुख्य शासकीय पुजारी पं. घनश्याम शर्मा ने भगवान श्री महाकाल के मनमहेश स्वरूप का पूजन किया। इसके पश्चात भगवान मनमहेश को पालकी मेें विराजित कर सवारी प्रारंभ की गई। मंदिर परिसर में ही सिद्धि विनायक मंदिर पर पुजारी पं. चम्मू गुरू व साक्षी गोपाल मंदिर पर भगवान महाकाल का पूजन हुआ। इसके बाद सवारी को मंदिर के बाहर लाया गया। जहां गार्ड ऑफ ऑनर के बाद राजाधिराज भगवान महाकाल का नगर भ्रमण प्रारंभ हुआ।

रामघाट पर हुआ पूजन-अभिषेक

परंपरागत मार्ग से होते हुए भगवान महाकाल की सवारी शिप्रा तट पर पहुंची। यहां राम घाट पर पालकी मेें विराजित भगवान मनमहेश का पूजन किया गया। मध्यप्रदेश शासन के प्रतिनिधि के रूप में यहां आये कैबिनेट मंत्री तुलसीराम सिलावट ने भगवान महाकाल का पूजन किया। इस अवसर पर रामघाट पर राज्यसभा सदस्य बालयोगी उमेशनाथ महाराज, संभागायुक्त, आईजी, डीआईजी, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं जिला प्रशासन के अधिकारीगण आदि उपस्थित थे। इसके बाद सवारी भजन मंडली आदि के साथ ढाबा रोड, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंची। यहां भगवान महाकाल का पूजन किया गया।

जगह-जगह पुष्पवर्षा, पूजन की गई

भगवान महाकाल की सवारी का मार्ग में जगह-जगह स्वागत किया गया। पुष्प वर्षा कर नगरवासियों ने अपने राजा का सम्मान किया। “आ रही पालकी, जय श्री महाकाल की” के जयकारों के साथ श्रावण के पहले सोमवार पर भगवान की सवारी के दौरान पूरी उज्जैन नगरी शिवमय हो गई। सवारी के आगे-आगे घुड़सवार, पुलिस बल, विभिन्न भजन मण्डलियां आदि भगवान भोलेनाथ के गुणगान एवं भजन-कीर्तन करते हुए साथ चल रहे थे। परंपरागत निर्धारित स्थानों पर पालकी में विराजित श्री मनमहेश का पूजन किया गया और प्रसादी वितरित की गई।

सीएम डॉ. यादव ने दी शुभकामनाएं

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने श्रावण माह में प्रथम सोमवार पर आज भगवान महाकाल की प्रथम सवारी के अवसर पर श्रद्धालुओं को मंगलकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बाबा के श्रद्धालुओं की भावना का सम्मान करते हुए कामना की है कि बाबा की कृपा उन पर बनी रहे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि भगवान महाकाल श्रावण माह को अपने धाम से नगर भ्रमण पर निकलते हैं। माँ क्षिप्रा के किनारे और उज्जैन नगर में अन्य स्थानों पर बाबा महाकाल की सवारी के लिए श्रद्धालुओं का उत्साह- उमंग देखते ही बनता है। इस सवारी के दर्शन के लिए और मनोकामना लिए देश -विदेश के अनेक स्थानों से लोग उज्जैन आते हैं। आज बाबा महाकाल के प्रत्यक्ष दर्शन के साथ ही अन्य इलेक्ट्रानिक माध्यमों से दर्शन संभव है। सावन के महीने में सोमवार को बाबा महाकाल की प्रथम सवारी के दर्शन के लिए भक्ति भावना और उमंग का सागर उमड़ता है।

सवारी में आदिवासी समुदाय के नृत्य ने बांधा समां

भगवान महाकाल की सवारी में पहली बार आदिवासी समुदाय के कलाकार भी नृत्य करते हुए शामिल हुए। इनके नृत्य ने सवारी में चार चांद लगा दिये। स्थानीय कलाकार और भजन मंडली ने भी सवारी में भक्ति भावना का रंग जमा दिया। इन लोगों का मनमोहक नृत्य देखकर दर्शनार्थी भाव विभोर हो गये। धार जिले के जनजातीय कलाकारों ने अजय सिसौदिया के नेतृत्व में भील भगोरिया नृत्य के माध्यम से श्रद्धालुओं का मन मोहा। जनजातीय कलाकारों द्वारा ढोलकिया, पिप्री, मांदल आदि वाद्ययंत्रों के साथ आकर्षक नृत्य की प्रस्तुतियां दी गई। आम तौर पर इन्हें भगोरिया जैसे उत्सवी माहौल में नृत्य करने के लिए जाना जाता है, लेकिन यह पहला मौका है जब इन्होंने धार्मिक मौकों पर भी अपनी कला का बेहतर प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर सवारी में पहली बार आदिवासी नृत्य कलाकारों को भगवान महाकाल की सवारी में शामिल किया गया है। उन्हें विशेष रूप से धार और झाबुआ जिले से आमंत्रित किया गया था। अपने संदेश में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि बाबा महाकाल की सवारी के दर्शन और स्वागत के लिए जनजातीय इलाकों से भी श्रद्धालु पहुंचे हैं। सवारी के अवसर पर धार, झाबुआ और अन्य जिलों के जनजातीय समाज के बंधु भी भागीदारी करने के लिए शामिल हुए हैं। आगे भी अन्य जिलों से जनजातीय समाज के भाई-बहन सवारी में शामिल होंगे।

भजन मंडलियों ने भी रंग जमाया

सवारी में कई भजन मंडलियां भी शामिल हुई थीं। श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी में हजारों भक्त झांझ, मंजीरे, डमरू, ढोल आदि वाद्य बजाते हुए महाकाल की आराधना करते हुए पालकी के साथ उत्साहपूर्वक चले। इनमें शामिल महाकाल भक्त युवा और महिलाओं की टोली भी सवारी के दौरान भक्ति भाव के माहौल को ऊंचाई पहुंचा रहे थे। सवारी में शामिल स्थानीय कलाकारों ने भी सवारी में रंग जमाया। भजन मण्डलियों में सैंकड़ों महिलाओं ने शिव स्तुतियां की। बच्चे उत्साहपूर्वक डमरू और मजीरे बजाते हुए सवारी में आगे-आगे चले। श्री महाकालेश्वर की सवारी महाकाल मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी, होते हुए रामघाट पहुंची। रामघाट से पुन: सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती समाज मन्दिर, सत्यनारायण मन्दिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मन्दिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होती हुई श्री महाकालेश्वर मन्दिर में वापस पहुंची। सवारी में भस्मरमैया भक्त मण्डल, जय महाकाल भक्त मण्डल, भस्म आरती भक्त मण्डल उज्जैन, श्री महाकाल शयन आरती भक्त मण्डल, श्री चैतन्य भैरव सांस्कृतिक भजन मण्डली, श्री हिन्दू सेना भक्त मण्डल, वीर तेजाजी भजन मण्डल नीलगंगा, जय महाकाल रामायण प्रचार झांझ मण्डली एवं श्री नागचंद्रेश्वर भक्त मण्डल द्वारा सुमधुर भजनों की प्रस्तुतियों से श्रद्धालु झूम उठे।

चलित रथ के माध्यम से श्रद्धालुओं ने किये दर्शन

भगवान महाकाल के सुगमतापूर्वक दर्शन के लिये श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति द्वारा चलित रथ की व्यवस्था की गई, जिसके दोनों ओर एलईडी के माध्यम से सवारी का लाईव प्रसारण किया गया। जिससे श्रद्धालुओं ने भगवान के दर्शन लाभ लिये। श्री महाकालेश्वर भगवान की दूसरी सवारी 29 जुलाई सोमवार को निकलेगी।

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