Muslim woman’s research on Modi : मुस्लिम महिला का मोदी पर रिसर्च
Muslim woman's research on Modi: पहली बार हुआ है ऐसा, जानिए क्या विचार है महिला के

Muslim woman’s research on Modi : देश के प्रधानमंंत्री नरेंद्र मोदी PM narendra modi पर पहली बार कोई महिला पीएचडी कर रही है। महिला मुस्लिम है और वो अपने शोध के जरिए मोदी की चुनावी रणनीति पर गौर फरमा रही हैं। बनारस के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय BHU के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट से अपना शोध पूरा करने वाली इस मुस्लिम महिला का नाम नजमा परवीन है। उन्होंने साल 2014 में BHU के पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राजनीतिक जीवन पर रिसर्च के लिए एडमिशन लिया था।
पूरा हो चुका है रिसर्च
अब BHU से पीएचडी कर रहीं नजमा परवीन का रिसर्च पूरा हो गया है। BHU से प्रोफेसर संजय श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में पीएचडी की है। नजमा प्रवीण ने प्रधानमंत्री के राजनीतिक जीवन में किए गए कार्यों के साथ ही उनके बचपन में गुजारे गए समय पर भी रिसर्च किया है। नजमा परवीन का कहना है कि उनके शोध का विषय ‘नरेंद्र मोदी का राजनीति नेतृत्व, एक विशेषणात्मक अध्ययन’ है। ये 2014 के लोकसभा चुनाव के विशेष संदर्भ से जुड़ा हुआ है। इस रिसर्च को मैंने पूरे पांच अध्यायों में बांटा है। मैंने इसमें उनकी राजनीति की शुरुआत से 2014 तक के बारे में लिखा है।’ उनके PHD रिसर्च में गोधरा कांड का भी जिक्र है।
कैसे मिली मोदी पर शोध की प्रेरणा
शोधकर्ता के मुताबिक देश में उनके प्रति बढ़ती लोकप्रियता के कारण ही उन्हें उन पर शोध करने की प्रेरणा मिली। ‘इसमें सबसे बड़ी भूमिका मेरे गुरुवर विशाल भारत संस्थान के डॉ. राजीव कुमार श्रीवास्तव की है। सभी उन्हें श्रीगुरु जी के नाम से जानते हैं।
महिला की नजर में मोदी सच्चे नेता और देशभक्त
नजमा का कहना है मोदी एक सच्चे नेता और देशभक्त हैं। वह किसी देश जाति या धर्म के बारे में नहीं सोचते हैं। वह पूरे देश के बारे में सोचते हैं। पूरा देश उनके लिए एक सामान है चाहे वो किसी भी धर्म या जाति के लोग हों।’ शोधकर्ता के मुताबिक पहले अध्याय में उन्होंने नेहरु की सरकार के बारे में लिखा है। दूसरे अध्याय में मैंने मोदी का जीवन परिचय लिखा है। जिसमें बताया है कि वो कितने साहसी थे और उनकी मां ने कैसे बहुत मुश्किल से उन्हें पढ़ा लिखा कर आगे बढ़ाया है। मोदी जी भी एक चाय बेचने वाले थे, वहां देश का नेतृत्व करना काफी काबिले तारीफ है। 2001 में जब उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। तब की पूरी स्थिति के बारे में हमने लिखा है।’
किसी भी चीज को धर्म के चश्मे से नहीं देखना चाहिए
शोध के तीसरे अध्याय में मोदी जी की पूरी चुनावी रणनीति लिखी है। कहा जाता है कि मोदी जी छवि कट्टर हिंदुवादी है। लेकिन उसके साथ सबसे बड़ी उनकी छवि राष्ट्रवाद की है।’ नजमा परवीन कहती हैं, ‘किसी भी चीज को धर्म के चश्मे से नहीं देखना चाहिए। व्यक्तित्व को महत्व देना चाहिए और किसी का व्यक्तित्व है तो उसे सामने लाना चाहिए। वो किसी विशेष धर्म या जाति के पीएम नहीं हैं बल्कि पूरे देश के पीएम हैं। उन्होंने पूरे देश को साथ लेकर आगे बढ़ने का काम किया है।’
इस तरह का यह पहला शोध
BHU से पीएम मोदी पर ये पहली पीएचडी है, जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर ने उन चीजों को जांचा है। नजमा परवीन ने इसके जरिए डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की है।
क्या मुस्लिम विरोधी है पीएम मोदी
गोधरा कांड के बाद पूरे विश्व में मोदी की छवि मुस्लिम विरोधी के रूप में पेश की गई थी। शोध में जिक्र है कि गुजरात का सीएम बनने के बाद उन्होंने धर्म को परे रखकर खुद को कामनमैन के रूप में पेश किया, जिसमें वो हर वर्ग के लिए समान रूप से थे।
उन्होंने 2014 में चुनाव लड़ा तो मुस्लिम महिलाओं की अपेक्षा थी कि उनकी स्थिति कुछ सुधरेगी। पीएम मोदी की वजह से महिलाओं की स्थिति में सुधार भी आया। तीन तलाक के खिलाफ पीएम मोदी ने महिलाओं की स्थिति में काफी बदलाव किया। अब अगर कोई मुस्लिम महिला ही मोदी जी पर शोध करती है और उनके बारे में विचार रखती है तो यह हालात मोदी को मुस्लिम विरोधी मानने वालों के मुंह पर करारा तमाचा है।
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