महाकाल मंदिर प्रांगण में प्राचीन मंदिर तोड़ा

जूना महाकाल के सामने स्थित था पशुपतिनाथ मंदिर
उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर मेें रोज कोई न कोई हैरतअंगेज घटना हो रही है। श्री महाकाल महालोक से सप्त ऋषियों की मूर्तियां हवा में उडऩे के बाद अब श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर से प्राचीन पशुपति नाथ मंदिर गायब होने का मामला सामने आया है। मंदिर किसने तोड़ा, रातों-रात उसका मलबा कहां गायब हो गया, प्राचीन मूर्तियां कहां हैं, इन सवालों के जबाव पहेली बने हुए हैं।
यह जो ओटला दिखाई दे रहा है यहां पर पहले प्राचीन मंदिर था। मंदिर में सिर्फ पिल्लर और छत थी। चारों ओर से मंदिर खुला था। अंदर भगवान पशुपति नाथ के साथ-साथ मां पार्वती, भगवान श्रीगणेश और नंदी की प्राचीन प्रतिमाएं भी विराजित थीं। श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर जूना महाकाल मंदिर के सामने नंदी प्रतिमा के पीछे स्थित अति प्राचीन मंदिर अब नहीं रहा है। मंदिर को पशुपतिनाथ के रूप में जाना जाता है। यहां पर प्रत्येक सोमवार को पशुपतिनाथ व्रत का धारण करने वाले दर्शनार्थी भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। जो कि दूर-दूर से अपनी मनोकामना लेकर आते हैं।

हम आपको बता दें कि बुधवार ३१ मई की रात तक यहां पर मंदिर सही सलामत था। जैसा कि आप फोटो में देख रहे हैं, मंदिर का प्राचीन स्वरूप इस तरह था। गुरुवार ृ1 जून की सुबह जब यहां साफ-सफाई और पूजन करने वाले पंडित जी पहुंचे तो उन्हें यहां सिर्फ ओटला मिला। यहां से मंदिर टूट चुका था। मंदिर की छत चारों पिलर सबकुछ टूट चुके थे। मां पार्वती, श्रीगणेश और भगवान नंदी की प्रतिमाएं भी गायब थीं। क्षतिग्रस्त ओटले पर सिर्फ भोलेनाथ की मूर्ति विराजित थीं। खास बात तो यह है कि मंदिर तोडऩे का वहां कोई अवशेष भी नहीं था। प्राचीन पिल्लर, मंदिर की छत, मूर्तियां, आदि कोई भी सामग्री वहां नहीं छोड़ी थी। सभी को रातों रात हटा दिया गया। इस घटना से मंदिर में बरसों से मंदिरों की सेवा कर रहे पंडे-पुजारियों में तीखा आक्रोश देखा गया। लेकिन मंदिर समिति द्वारा इन दिनों जिस तरह भय का माहौल बना रखा है, उस कारण कोई भी घटना के विरोध में खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।
अब सवाल यह उठता है कि आखिर मंदिर क्यों और कैसे टूटा। प्राचीन मंदिर टूटने के दो कारण ही सामने आये हैं। पहला यह कि – टनल निर्माण के कारण वाहनों की आवाजाही में प्राचीन मंदिर का स्ट्रक्चर क्षतिग्रस्त हुआ हो। गलती छिपाने के लिए ठेकेदार ने मंदिर समिति की मिलीभगत से रातों रात मंदिर के टूटे हिस्से को हटा दिया। दूसरा कारण यह हो सकता है कि मंदिर समिति महाकाल मंदिर परिसर से प्राचीन मंदिरों को हटाने के प्रयास में लगी है इस कारण निर्माण कार्य के दौरान चुपचाप से यह कृत्य किया गया हो। इसके पहले भी प्राचीन सती माता मंदिर और रिद्धि सिद्धि विनायक प्रतिमाओं को अपने स्थान से हटाया और आज तक नया मंदिर उपलब्ध नहीं कराया।