रुस-यूक्रेन युद्ध में उलझे, मालवा के गेहूं भरेंगे विदेशियों का पेट

विदेशों में हमारे गेहूं की डिमांड बढ़ी, रोज जा रहे हैं करीब 50 ट्रक, दाम भी इस कारण ऊंचे
समाचार आज। उज्जैन
रूस-युक्रेन युद्ध भले ही पूरे विश्व के लिए नुकसानदायक साबित हो रहा हो लेकिन भारत खासकर उज्जैन के किसानों को इससे लाभ हुआ है। युद्ध के चलते पूरे विश्व में भारतीय गेहूं की पूछ परख एकाएक बढ़ गई है। इसके चलते सीधे सौदे हो रहे हैं। अकेले उज्जैन कृषि उपज मंडी से ही 24 दिन के भीतर साढ़े तीन लाख क्विंटल गेहूं विदेशों में भेजा गया है।
यूक्रेन में गेहूं का उत्पादन सबसे ज्यादा होता था। ज्यादातर पश्चिमी देशों में यूक्रेन ही गेहूं निर्यात करता था। फिलहाल रूस से चल रहे युद्ध के कारण यूक्रेन तबाही की तरफ है। उसका आयात और निर्यात बंद पड़ा हुआ है। इसके चलते भारत में अचानक गेहूं की डिमांड निकल आई है। यहां किसानों को उनकी उपज के अच्छे दाम मिल रहे हैं। किसान समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के बजाए अब सीधे मंडी में गेहूं बेच रहे हैँ। यहां उन्हें 300 से 400 रूपए प्रतिक्विंटल तक अधिक दाम मिल रहे हैं।
उज्जैन कृषि उपज मंडी से 1 से 24 अप्रैल के बीच करीब साढ़े तीन लाख क्विंटल गेहूं निर्यात के लिए कांडला, पोरबंदर, मुंबई सहित अन्य बंदरगाहों पर भेजा गया है। मंडी के निर्यात प्रभारी कमल बरमन के अनुसार हर दिन 40 से 50 ट्रक गेहूं लोड होकर बंदरगाहों पर भेजा जा रहा है। इसके चलते गेहूं के भावों मे काफी उछाल देखने को मिल रहा है। इसके अलावा भारतीय खाद्य निगम भी बड़ी मात्रा में खरीदी कर रहा है , उसने भी दो रैक गेहूं भेजा है।