मध्यप्रदेशउज्जैन

पूर्व पार्षद की हत्या, उज्जैन की सनसनीखेज घटना, सोते वक्त गोली मारी

पूर्व पार्षद की हत्या के पीछे पत्नी और बेटे का हाथ, दोनों हिरासत में, छोटा बेटा व साथी फरार

पूर्व पार्षद की हत्या का उज्जैन में सनसनीखेज मामला सामने आया है। पूर्व पार्षद कलीम गुड्डू की हत्या उनके ही घर में सोते वक्त गाेली मारकर की गई है। परिवारजनों ने पत्नी और बेटे पर हत्या की शंका जताते हुए उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया है।

पूर्व पार्षद कांग्रेस नेता कलीम खान उर्फ़ गुड्डडू की 11 अक्टूबर 2024 शुक्रवार सुबह 5 बजे उनके वजीर पार्क स्थित घर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमलावरो ने बंदूक से सिर के दाहिनी तरफ गोली मारी। वारदात के पहले घर के सभी सीसी टीवी कैमरे बंद कर दिए गए थे। पुलिस ने हत्या की शंका में उनकी पत्नी और बड़े बेटे मिंटू को हिरासत में लिया है।

प्रापर्टी विवाद हो सकता है वारदात का कारण

पूर्व पार्षद कलीम के  परिवार के लोगों ने बेटे और पत्नी पर प्रॉपर्टी विवाद में हत्या का आरोप लगाया है क्योंकि पार्षद कलीम ने बेटे को प्रॉपर्टी से बेदखल कर दिया था। नीलगंगा पुलिस के अनुसार, गुड्‌डू के मामा नसरुद्दीन ने पुलिस को वारदात की सूचना दी। टीम जब मौके पर पहुंची तो परिवार के लोगों ने गुड्‌डू की पत्नी नीलोफर उर्फ भूरी और बड़े बेटे मिंटू को पुलिस को सौंपा। उन्होंने बताया कि गुड्‌डू ने पिछले 12 साल से तीनों को प्रॉपर्टी से बेदखल कर रखा था। हत्या की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची। जाँच के लिए डॉग स्क्वाड भी आ गई थी। वजीर पार्क स्थित गुड्डू के घर के बाहर लोगों की भीड़ जुटी हुई थी। 

रात तीन बजे तक चल रहा था घर में विवाद

सूत्रों के मुताबिक पूर्व पार्षद के परिजनों ने पुलिस को बताया कि रात 3:00 बजे तक गुड्डू जाग रहे थे। उन्होंने परिवार के साथ बात भी की थी। इसके बाद वे ऊपर वाली मंजिल पर अपने कमरे में सोने चले गए। उनकी पत्नी नीलोफर और दोनों बच्चे प्रॉपर्टी विवाद को लेकर कई दिन से विवाद कर रहे थे। रिश्तेदार जम्मू ने पुलिस को बताया कि शुक्रवार सुबह करीब 5 बजे गोली चलने की आवाज आई तो  वे गुड्डू के कमरे में गये। यहां अंदर से दरवाजा खोलते हुए नीलोफर बाहर आ रही थी। मैंने पूछा तो उन्होंने कहा- किसी ने गुड्‌डू को गोली मार दी है। इसके बाद वह अपने बेटे आसिफ के साथ प्रेसिडेंट होटल चली गई। हत्या की सूचना रिश्तेदारों ने नीलगंगा थाना को दी। इसके बाद पुलिस ने नीलोफर और आसिफ को हिरासत में ले लिया जबकि दानिश और उसका एक साथी फरार है।

एक सप्ताह पहले भी हुआ था हमला, नाले में कूदकर बचाई थी जान

एक सप्ताह पहले हुआ था हमला पूर्व पार्षद पर एक सप्ताह पूर्व 4 अक्टूबर की सुबह मॉर्निंग वाक के दौरान हमला हुआ था। कार से आए हमलवरो ने तीन फायर किए थे। तब गुड्डू ने नाले में कुदकर अपनी जान बचाई थी। इस वारदात से वे इतना भयभीत थे कि घटना के बाद कई दिनों तक घर से बाहर नहीं निकले थे। घटना के छह दिन बाद सब सामान्य लग रहा था तो गुड्डू ने बुधवार शाम भतीजे आरिफ के साथ नीलगंगा थाने पहुंचकर पुलिस को शिकायत कर एफआई आर दर्ज कराई थी। आशंका थी घर का ही कोई है बोले थे पता चल गया तो ठीक नहीं होगा एक सप्ताह पहले हुई वारदात में गुड्डू को आशंका थी कि घर का ही कोई व्यक्ति हत्या की साजिश रच रहा है। इस पर दो दिन पहले गुड्डू ने कहा था कि पता चल जाएगा कि किसने वारदात की है। उसके बाद उसका अंजाम अच्छा नहीं होगा। सम्भवतः इसी खौफ में हमलावरो ने उनकी हत्या कर दी।

पत्नी की बहन के दामाद ने किया था हमला

उज्जैन एसपी प्रदीप शर्मा ने मीडिया को बताया कि पूर्व पार्षद हाजी कलीम खान उर्फ गुड्डू की अधिकांश प्रॉपर्टी उनकी पत्नी नीलोफर के नाम है। वे इसे अपने नाम कराना चाहते थे, जिस पर विवाद चल रहा था। 4 तारीख को कलीम पर हमला उसकी पत्नी की बहन के दामाद ने किया था। कलीम पर भी 31 केस दर्ज हैं। इस मामले में भी कुछ लोगों को 10 अक्टूबर की रात पुलिस ने हिरासत में लिया है।

अपने ही समुदाय के बीच मसीहा माने जाते थे कलीम

पूर्व पार्षद व कांग्रेस नेता कलीम गुड्डू अपने ही समुदाय के लोगों के बीच मसीहा माने जाते थे। सूत्रों का कहना है कि बाहुबल और कानूनी दांवपेंच के दम पर इन्होंने वजीर पार्क और आसपास के काफी क्षेत्र की जमीन पर कब्जा जमाया और अपने ही समुदाय के लोगों को सस्ते दामों पर व्यापार करने के लिए जगह दी। हालांकि इसमें से जो सरकारी जमीन थी उस पर से शासन अतिक्रमण हटाकर अपना कब्जा कर चुकी है। कुछ अवैध कॉलोनियां भी इन्होंने तैयार की थी। जहां सस्ते दामों में जरूरतमंदों को जमीन उपलब्ध कराकर उन्हे मकान बनाने में मदद की थी। इसी कारण वे क्षेत्र से पार्षद भी बने।

लोअर टीशर्ट पहनने का शौक

पूर्व पार्षद गुड्डू का पहनावा और रहन-सहन सामान्य था। वे अधिकतर समय लोअर-टीशर्ट में ही रहते थे। बताया जाता है कि अधिकतर प्रापर्टी इन्होंने पत्नी नीलोफर के नाम कर रखी थी। बाद में विवाद हुआ तो इन्होंने पत्नी और छोटे बेटे को घर से बाहर कर दिया था। बड़ा बेटा साथ ही रहता था। कुछ ही समय पहले पत्नी से सुलह हो गई और वो घर लौट आई, लेकिन प्रापर्टी अपने ही नाम रखना चाहती थीं। बताया जाता है कि गोलीकांड की घटना के वक्त सबसे पहले पत्नी ही मौके पर देखी गई।

Related Articles

Back to top button