मध्यप्रदेश

Last lunar eclipse 2023: शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण में भी होंगे महाकाल दर्शन

Last lunar eclipse 2023: भारत में खंडग्रास के रूप में दिखेगा चंद्र ग्रहण, कई मंदिरों के पट बंद होंगे

Last lunar eclipse 2023: इस बार पूर्णिमा तिथि पर मध्य रात में खंडग्रास चंद्रग्रहण होने से वेधकाल शुरू होने के बाद मंदिरों की दर्शन व्यवस्था बदलेगी। 28 अक्टूबर को दोपहर 4 बजकर 5 मिनट से वेधकाल प्रारंभ होगा। इस दौरान श्री महाकालेश्वर मंदिर में गर्भगृह में प्रवेश बंद रहेगा। वहीं भगवान का स्पर्श नही किया जाएगा। इसी तरह गोपाल मंदिर पर शाम 4.30 बजे से मंदिर के पट बंद हो जाएंगे। अगले दिन 29 अक्टुबर को सुबह शुद्धीकरण के बाद मंदिर में पूजन प्रारंभ होगा।

Chandra Grahan 2023 Date: भारत में कब दिखेगा चंद्र ग्रहण, जानें ग्रहण काल और सूतक काल का सही समय और तारीख: chandra garah kab hai lunar eclipse 2023 | Jansatta

अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर चंद्र ग्रहण है। 28-29 अक्टूबर की रात्रि में भारत में खंडग्रास के रूप में चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण का आरंभ रात्रि में 1 बजकर 5 मिनिट पर होगा। ग्रहण की मध्य की स्थिति रात्रि में 1 बजकर 44 मिनिट तक रहेगी। ग्रहण का मोक्ष रात्रि में 2.24 पर होगा। चंद्रग्रहण की कुल अवधि एक घंटा 19 मिनट रहेगी। 28-29 अक्टुबर की मध्य रात्रि में लगने वाले चंद्र ग्रहण का सूतक या वेध काल स्पर्श के 9 घंटे पहले यानि 28 अक्टूबर को दोपहर 4 बजकर 5 मिनट से वेधकाल या सूतक प्रारंभ होगा।

ग्रहण के वेधकाल में भोजन करना वर्जित

ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बेवाला के अनुसार ग्रहण के वेधकाल के समय भोजन, शयन, सांसारिक सुख की क्रियाएं त्याग देना चाहिए। हालांकि बालक, वृद्ध, रोगी व गर्भवती महिलाओं को विशिष्ट परिस्थितियों में ही आवश्यक मात्रा में पेय, खाद्य सामग्री का सेवन करना चाहिए।

18 साल बाद शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण

शरद पूर्णिमा तिथि, मास, वर्ष, गोचर की गणना से देखे तो वर्ष 2005 में शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण था और अब 2023 में शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण की स्थिति बनी है। हालांकि इन ग्रहणों में अलग-अलग प्रकार का आंशिक भेद आता है, किंतु पूर्णिमा तिथि पर विशेषत: शरद पूर्णिमा पर ग्रहण का होना एक अलग प्रकार की स्थिति को बनाता है, जो प्राकृतिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक दृष्टिकोण से अनुकूल नही होता है।

मेष राशि व अश्विनी नक्षत्र पर रहेगा ग्रहण

यह ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र पर रहेगा। हालांकि इसी नक्षत्र पर राहु गुरू के प्रभाव अलग प्रकार से अपना प्रभाव दिखाएंगे। मेष राशि दक्षिण दिशा को कारक तत्व प्रदान करती है। इस कारण दक्षिण दिशा विशेष रूप से प्रभावित रहेगी। वहीं गुरु पूर्व दिशा का कारक है। दक्षिण पूर्व दिशा के राष्ट्र व राज्यों में इसके प्रभाव दिखाई देंगे।

महाकाल मंदिर

महाकाल मंदिर के पुजारी आशीष शर्मा ने बताया कि ग्रहण के वेधकाल के दौरान मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नही होता है। इस दौरान भगवान को स्पर्श भी नही किया जाता है। महायोगी महाकाल काल और मृत्यु से परे है। उन पर किसी भी प्रकार के ग्रह, नक्षत्र का प्रभाव नही पड़ता है। महाकाल मंदिर की परंपरा अनुसार ग्रहण काल के समय भी गर्भगृह के पट खुले रहते है। भक्तों को बाहर से दर्शन होंगे। रात्रि में ग्रहण मोक्ष के बाद मंदिर को रात्रि में ही धोकर शुद्ध किया जाएगा। इसके बाद पुजारी पूजन व आरती करेंगे।

गोपाल मंदिर

सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट गोपाल मंदिर के प्रबंधक अजय ढाकने ने बताया कि पूूर्णिमा तिथि पर रात में होने वाले चंद्रग्रहण का सूतक वेधकाल 28 अक्टूूबर की शाम को लगेगा। इस लिए 28 अक्टूर को शाम 4.30 बजे से मंदिर के पट बंद हो जाएंगे। ग्रहण समाप्ति के बाद अगले दिन 29 अक्टुबर को सुबह 4.30 बजे पट खुलेंगे। मंदिर के शुद्धिकरण के बाद अभिषेक-पूजन आरती होगी। इसके बाद से ही भक्तों को दर्शन शुरू हो जाएंगे। 29 अक्टूबर को शाम को आरती में भगवान को खीर का भोग लगेगा।

सांदिपनि आश्रम

सांदिपनि आश्रम के पुजारी रूपम व्यास ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली पर चंद्रग्रहण के पहले वेधकाल शुरू होने पर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश बंद हो जाएगा। इस दौरान आरती पूजन भी नही होगा। श्रद्धालु दूर से ही दर्शन लाभ ले सकेंगे । रात में ग्रहण समाप्ति के पश्चात 29 अक्टूबर को सुबह मंदिर का शुद्धिकरण कर भगवान का पूजन-अभिषेक किया जाएगा। इसी दिन भगवान को खीर का भोग लगेगा।

मंगलनाथ मंदिर

मंगलनाथ मंदिर के पुजारी अक्षय भारती ने बताया कि ग्रहण के वेधकाल के दौरान मंगलनाथ मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश नही दिया जाएगा। मंदिर में पूजन नही होगा। इस दौरान भगवान को स्पर्श भी नही किया जाता है। रात में ग्रहण के मोक्ष होने पर 29 अक्टूबर की सुबह मंदिर को धोकर शुद्ध करने के बाद पूजन अभिषेक कर आरती की जाएगी।

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