mp election 2023-filing nomination :चुनाव लड़ने के पहले समझ लें नामांकन फार्म जमा करने की प्रक्रिया
mp election 2023-filing nomination :मध्यप्रदेश विधानसभा- 2023 के लिए 21 से 30 अक्टूबर तक जमा होंगे नामांकन, 31 अक्टूबर को संवीक्षा और 2 नवंबर तक नाम वापसी

mp election 2023-filing nomination : विधानसभा निर्वाचन के कार्यक्रम के तहत अधिसूचना जारी होने की तिथि 21 अक्टूबर, नामांकन दाखिल करने की अन्तिम तिथि 30 अक्टूबर, संवीक्षा 31 अक्टूबर, नाम वापसी की अन्तिम तिथि 2 नवम्बर है। मतदान शुक्रवार 17 नवम्बर को होगा और मतगणना रविवार 3 दिसम्बर को होगी। नाम निर्देशन-पत्र लेना 21 अक्टूबर से प्रारम्भ होंगे।
मोटे तौर पर सम्पूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया को चार चरणों में विभक्त किया जा सकता है- अभ्यर्थियों द्वारा नाम निर्देशन, प्रचार अवधि, मतदान तथा मतगणना। नामनिर्देशन पत्र प्राप्ति की सम्पूर्ण प्रक्रिया की टाइम स्टेम्पिंग के साथ वीडियोग्राफी करवाई जाए।
अभ्यर्थी एवं प्रस्तावक
कुछ विशेष निर्वाचन क्षेत्रों को छोडक़र कोई भी निर्वाचक किसी भी विधानसभा क्षेत्र को भरने के लिए अभ्यर्थी हो सकता है, परन्तु प्रस्तावक उसी निर्वाचन क्षेत्र का निर्वाचक होना अनिवार्य है, जिस क्षेत्र के लिए नाम निर्देशन प्रस्तुत किया जा रहा है। समर्थक की आवश्यकता का प्रावधान नहीं है। कानूनी रूप से शासकीय सेवक चुनाव नहीं लड़ सकता है, परन्तु किसी अभ्यर्थी के प्रस्तावक बनने पर कोई प्रतिबन्ध नही है।
प्रस्तावकों की संख्या
मान्यता प्राप्त दल द्वारा खड़े किए गये अभ्यर्थियों के लिए एक प्रस्तावक, अन्य राज्यों के मान्यता प्राप्त पंजीकृत दलो के अभ्यर्थी, गैरमान्यता प्राप्त दलों के अभ्यर्थी एवं निर्दलीय अभ्यर्थियों हेतु 10 प्रस्तावक होना अनिवार्य है। चाहे आयोग ने पैरा- 10 के अधीन आरक्षित प्रतीक पर निर्वाचन लडऩे की छुट दी हो। 1999 में कर्नाटक की 4 विधानसभा क्षेत्रों की निर्वाचन प्रक्रिया स्थगित कर पुन: नवीन अधिसूचना का प्रकाशन कर निर्वाचन करवाए क्योंकि चारो आरओं द्वारा बताया गया अन्य राज्य के मान्यता प्राप्त दलों के लिए एक ही प्रस्तावक पर्याप्त है परन्तु संवीक्षा के समय उन्हें खारिज कर दिया गया था। कोई भी निर्वाचक दो अभ्यर्थियों का प्रस्तावक हो सकता है। बल्कि समान निर्वाचन में एक अभ्यर्थी किसी अन्य अभ्यर्थी का प्रस्तावक भी हो सकता है (1956 में धारा-33 संशोधित की गई) निर्वाचन की अधिसूचना प्रकाशन से पूर्व तिथि में भी प्रस्तावक नामनिर्देशन पत्र पर हस्ताक्षर कर सकता है।
नाम निर्देशन पत्रों की अधिकतम संख्या
किसी एक निर्वाचन क्षेत्र हेतु कोई अभ्यर्थी अधिकतम चार नाम निर्देशन पत्र प्रस्तुत कर सकता है, परन्तु इससे अधिक ग्राहय नहीं किये जायेंगे। यदि ग्राहय कर भी लिया गया है तो इस आधार पर पूर्ववर्ती चार नाम निर्देशन पत्र खारिज नही किए जायेंगे। निर्धारित संख्या से अधिक वाले बाद में प्रस्तुत नाम निर्देशन पत्र की संवीक्षा नहीं की जायेगी। सभी नामनिर्देशन पत्रों में प्रस्तावक भिन्न-भिन्न या समान हो सकते है।
नामनिर्देशन पत्र प्रस्तुत करने हेतु तारीख व स्थान
पूर्व कथित 8 दिवस यानी 21 से 30 अक्टूबर तक प्रात: 11 से अपरान्ह 3 बजे के मध्य कभी भी (अवकाश दिवस को छोडकर) किसी भी दिन 11 बजे पूर्व व 3 बजे उपरान्त कभी भी नहीं। लोक सूचना में दर्शित स्थान पर ही। आरओ/विशिष्ट एआरओ नामनिर्देशन प्रस्तुती की सम्पूर्ण अवधि में उपलब्ध रहेगे।
नामनिर्देशन पत्र कौन प्रस्तुत कर सकता है व उसकी रीति
अभ्यर्थी अथवा कोई भी प्रस्तावक, इसके अतिरिक्त अन्य कोई नही चाहे उसे लिखित में अभ्यर्थी अथवा प्रस्तावक द्वारा अधिकृत किया गया है। फेक्स, ई-मेल, डाक या अन्य किसी माध्यम से भी नहीं । आरओ कक्ष मे अभ्यर्थी सहित अधिकतम 5 व्यक्ति प्रवेश पा सकेंगे। अभ्यर्थी एवं प्रस्तावक के हस्ताक्षर नाम निर्देशन पत्र पर अभ्यर्थी एवं आवश्यक संख्या मे प्रस्तावकों के हस्ताक्षर होना अनिवार्य है। यदि कोई प्रस्तावक हस्ताक्षर नही कर सकता है तो आरओ अथवा सब डीविजनल मजिस्ट्रेट से अनिम्न श्रेणी के अधिकारी के समक्ष अंगूठा निशान लगाकर प्रमाणित करवाएगा। यदि अंगूठा निशान प्रमाणित नही है तो नामनिर्देशन पत्र निरस्ती योग्य होगा। प्रमाणीकरण की संवीक्षा के समय अनुमति नही दी जायेगी।
मतदाता होने का साक्ष्य
प्रत्येक अभ्यर्थी एवं प्रस्तावक का तत्समय प्रचलित अद्यतन फोटो निर्वाचक नामावली मे रजिस्ट्रीकृत निर्वाचक होना अनिवार्य है। नाम निर्देशन पत्र में विधानसभा का नाम, भाग क्रमांक एवं मतदाता सूची का सरल क्रमांक अंकित किया जाना अनिवार्य है। अभ्यर्थी/प्रस्तावक को प्रचलित नामावली में नाम एवं सरल क्रमांक ढूंढने में आरओ द्वारा सहायता करनी चाहिए। संवीक्षा के समय ऐसी आपत्ति कि मतदाता क्षेत्र का मामूली तौर से निवासी नहीं है इस आधार पर कोई नाम निर्देशन पत्र निरस्त नही किया जाना चाहिए।
अभ्यर्थी के अन्य निर्वाचन क्षेत्र का निर्वाचक होने की दशा में प्रमाण
यदि अभ्यर्थी अन्य निर्वाचन क्षेत्र का निर्वाचक है तो उसे सम्बंधित भाग की नामावली मेंअपने नाम की प्रविष्टि की वर्तमान प्रचलित नामावली की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करना होगी। यदि अभ्यर्थी उसी निर्वाचन क्षेत्र का निर्वाचक है तो एसी प्रति की आवश्यकता नही है। प्रमाणित प्रति नामनिर्देशन पत्र के साथ या स्क्रूटनी के समय तक प्रस्तुत की जा सकती है। केस–स्क्रूटनी के समय अभ्यर्थी को आरओ द्वारा दो घण्टे का समय और दिया गया, परन्तु वह नामावली की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करने में विफल रहा व नाम निर्देशन पत्र निरस्त किया गया कोर्ट ने आरओ के निर्णय को सही ठहराया। यदि अभ्यर्थी ने एक से अधिक नाम निर्देशन पत्र प्रस्तुत किए है तो नामावली की एक प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करना पर्याप्त है चाहें वह नाम निर्देशन पत्र खारिज हो गया हो।
निक्षेप (जमानत) की राशि
विधानसभा में रुपए 10हजार, अजा/अजजा वर्ग के अभ्यर्थी के लिए आधी राशी चाहे वो अनारक्षित क्षेत्र से नामनिर्देशन पत्र प्रस्तुत करें। एक निर्वाचन क्षेत्र हेतु एक बार ही निक्षेप जमा करना होगी चाहे एकाधिक नामनिर्देशन प्रस्तुत किये हो। भिन्न-भिन्न निर्वाचन क्षेत्र के लिए पृथक से निक्षेप जमा करना होगा। नाम निर्देशन पत्र के साथ नगदी रूप में, चेक द्वारा नहीं। नाम निर्देशन प्रस्तुत करने के पूर्व आरबीआई या ट्रेजरी मे (एसी दशा में जमा की रसीद संलग्न करना होगी) सुप्रीम कोर्ट- निक्षेप राशि नामनिर्देशन की अन्तिम तारीख 3:00 बजे पूर्व तक जमा की जा सकती है।
नामांकन में यह जानकारी होना जरूरी
अभ्यर्थी को उसके स्पाउस एवं आश्रितों के बारे में मतदाता को जानकारी होने केलिए नवीन संशोधित फार्म – 26 में, अपराधिक रेकार्ड, शिक्षा, सम्पत्ति, बैंक व शासकीय बकाया आदि के बारे में शपथ-पत्र पर जानकारी देना होगी। यह जानकरी निर्धारित शुल्क के स्टाम्प पर नोटराइज होगी तथा नामनिर्देशन पत्र के साथ संलग्न करना अनिर्वाय होगी। यदि अपराधिक रेकार्ड है तो सर्वाधिक पढ़ा जाने वाले स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशन तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर 3 बार प्रकाशन व प्रसारण करना अनिवार्य होगा (सी-1 में)। साथ ही अपने दल को भी अपराधिक रेकार्ड की जानकारी देना होगी। यदि अभ्यर्थी अन्य निर्वाचन क्षेत्र का निर्वाचक है तो उसे सम्बंधित भाग की नामावली में अपने नाम की प्रविष्टि की वर्तमान प्रचलित नामावली की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करना होगी। यदि अभ्यर्थी उसी निर्वाचन क्षेत्र का निर्वाचक है तो एसी प्रति की आवश्यकता नही है। प्रमाणित प्रति नामनिर्देशन पत्र के साथ या स्क्रूटनी के समय तक प्रस्तुत की जा सकती है। केस–स्क्रूटनी के समय अभ्यर्थी को आरओ द्वारा दो घण्टे का समय और दिया गया परन्तु वह नामावली की प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करने में विफल रहा व नाम निर्देशन पत्र निरस्त किया गया कोर्ट ने आरओ के निर्णय को सही ठहराया। यदि अभ्यर्थी ने एक से अधिक नाम निर्देशन पत्र प्रस्तुत किए है तो नामावली की एक प्रमाणित प्रति प्रस्तुत करना पर्याप्त है चाहें वह नाम निर्देशन पत्र खारिज हो गया हो।
शासकीय बकाया
अब पृथक से शपथ पत्र की आवश्यकता नहीं है इसे फार्म-26 में ही समाहित कर दिया गया है । (कण्डिका 8-2)ढ्ढष्ट ऐसा व्यक्ति जो अधिसूचना दिनांक से गत 10 वर्षो से किसी शासकीय आवास में रहा है तो उसको संबंधित अथोरिटी से आवास किराया, बिजली, पानी टेलीफोन का अदेयता प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।
शपथ पर पूर्ण जानकारी देने में विफलता या जानकारी छुपाने का प्रभाव
अभ्यर्थी को शपथ पत्र के प्रत्येक कॉलम को भरना अनिवार्य है। आरओ उसे ग्रहण करते समय उसकी प्रारंभिक जांच करेगा और यदि कोई कॉलम खाली छोड़ा गया है तो उसकी पूर्ति हेतु अभ्यर्थी को अवगत करवाना होगा । धारा 33(4) यदि शपथ पत्र अपूर्ण है तो चेक मेमो में उल्लेख किया जाएगा। अभ्यर्थी उसकी पूर्ति करने में फिर भी विफल रहता हे तो ऐसे नामनिर्देशन पत्र अविधिमान्य किए जाये। नवीन पूरा भरा हुआ शपथ पत्र संवीक्षा समय तक प्रस्तुत किया जा सकता है।
शपथ-पत्र में झूठी जानकारी देना-दाण्डिक कार्यवाही संबंधी
यदि गलत या अधूरे शपथ पत्र के विरूद्ध कोई व्यक्ति आरओ के समक्ष दस्तावेजी साक्ष्यों के साथ काउण्टर शपथ-पत्र प्रस्तुत करता है तो आरओ अपनी संतुष्टि उपरांत सक्षम न्यायालय में आईपीसी की धारा 177 के तहत कार्यवाही हेतु साधारण शिकायत प्रस्तुत कर सकते है या शिकायतकर्ता स्वयं आरपी एक्ट 125 ए के तहत सक्षम न्यायालय में जा सकता है। ऐसी स्थिति में नामनिर्देशन पत्र निरस्त नही किया जायेगा।
विधिमान्य नाम निर्देशन हेतु आवश्यकताएं
संवीक्षा तिथि को अभ्यर्थी को अर्हित होना चाहिये और निर्हरित नहीं होना चाहिए। नामनिर्देशन पत्र निर्धारित प्ररूप में एवं सभी दृष्टि से पूर्ण भरा हुआ होना चाहिए। नाम निर्देशन पत्र पर निर्धारित संख्या में मतदाताओं द्वारा प्रस्तावित व हस्ताक्षरित होना चाहिए। नाम निर्देशन पत्र अभ्यर्थी द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए। निक्षेप की राशि जमा होने के प्रमाण स्वरूप रसीद। यदि अभ्यर्थी आरक्षित क्षेत्र से निर्वाचन में है तो सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी जाति प्रमाण-पत्र की प्रति।
यदि अभ्यर्थी अन्य निर्वाचन क्षेत्र का निर्वाचक है तो वर्तमान प्रचलित नामावली की भाग की प्रमाणित प्रति संलग्न करे। यदि शासकीय सेवा से बर्खास्त किया गया व बर्खास्तगी को 5 वर्ष की अवधी व्यतीत नहीं हुई हो तो ईसीआई का प्रमाण पत्र। फार्म 26 में पूर्ण भरा हुआ शपथ-पत्र। प्रतिज्ञान या शपथ नामनिर्देशन पत्र प्रस्तुत करने के उपरांत व संवीक्षा तिथि से पूर्व अर्धरात्रि तक सक्षम प्राधिकारी के समक्ष लेने का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करना होगा। यदि राजनैतिक दल द्वारा खड़ा किया गया हो तो फार्म ए एवं बी नामनिर्देशन की अन्तिम तारिख व समय से पूर्व तक।
शपथ पत्र एवं नामनिर्देशन पत्र का प्रकाशन
प्रस्तुत करने के 24 घण्टे में शपथ पत्र एवं नाम निर्देशन पत्र को, आरओ के नोटीस बोर्ड पर (शपथ पत्र एवं नामनिर्देशन पत्र तत्काल) यदि आरओ कार्यालय निर्वाचन क्षेत्र से बाहर है, तो आरओ मुख्यालय के नोटीस बोर्ड पर। यदि एआरओ का मुख्यालय आरओ मुख्यालय से भिन्न स्थान पर हैं, तो एआरओ के नोटीस बोर्ड पर। आयोग की वेबसाइट पर। किसी के मांगने पर आरओ नि:शुल्क प्रति जारी करेगा। एक सेट तत्काल डीईओ को भेजा जाएगा जो किसी के माँगने पर लागत कीमत पर उपलब्ध करवाएगें।
गलत शपथ पत्र प्रस्तुत करना
आरपीएक्ट 1951 की धारा 125 के तहत सक्षम न्यायालय में व्यक्ति शिकायत दर्ज करवा सकता हैं। यदि अभ्यर्थी द्वारा ऐसी गम्भीर चुक की हैं, तो प्रकरण विशेष के आधार पर आयोग संज्ञान लेते हुवें इन प्रकरणों को सम्बन्धित जॉच एजेंसियों को सन्दर्भित कर सकता हैं। नाम निर्देशन पत्रों की संवीक्षा महत्वपूर्ण कार्य है जो अर्धन्यायिक स्वरूप का कार्य है। गलत तरीके से स्वीकृत या अस्वीकृत किये गये नामनिर्देशन पत्रों के कारण पूरी निर्वाचन प्रक्रिया शून्य हो सकती है। यह कार्य आरओ द्वारा स्वयं किया जाना चाहिए अपरिहार्य स्थिति को छोडकर एसी स्थिति में विशिष्ट एआरओ संवीक्षा कर सकते है। संविक्षा हेतु डीईओ एवं सीईओ को सूचना के अधीन आरओ विशिष्ट एआरओ को अधिकृत कर सकता है। ऐसी दशा मे एआरओ कृते आरओ हस्ताक्षर नही करेंगे बल्कि एआरओ के रूप मे हस्ताक्षर करेंगे। संवीक्षा की तारीख आयोग द्वारा अपने कार्यक्रम में अधिसूचित अनुसार ही होगी, आरओ उसे बदल नहीं सकते, परन्तु समय एवं स्थान का निर्धारण आरओ द्वारा किया जाकर पब्लिक नोटिस में प्रकाशित करना होता है। इसकी सूचना अभ्यर्थी को नामनिर्देशन पत्र की पावती में भी दी जाना चाहिए।
संवीक्षा के समय कौन उपस्थित रह सकता है
संवीक्षा पूर्णत: पारदर्शी प्रक्रिया है, जिसे अभ्यर्थी एवं उनके प्रतिनिधि के समक्ष की जाना चाहिए। संवीक्षा के समय निम्न व्यक्ति उपस्थित रह सकते है। अभ्यर्थी स्वयं, उसका निर्वाचन अभिकर्ता, उसका कोई एक प्रस्तावक, एक अन्य व्यक्ति- उसके सहित कुल चार व्यक्ति, चौथा व्यक्ति निर्वाचन प्रक्रिया का जानकार हो सकता है जो किसी आपत्ति की दशा में तकनीकी या आधार पर अभ्यर्थी का पक्ष रख सके। उपस्थित सभी स्टेक होल्डर को संवीक्षा के दौरान उनकी संतुष्टि हेतु युक्तियुक्त अवसर दिया जाना अपेक्षित है। संवीक्षा पूर्व सभी नाम निर्देशन पत्रों एवं सहपत्रों को एक साथ रखकर बारी-बारी से संवीक्षा प्रारम्भ करें। संवीक्षा के समय किसी अभ्यर्थी या उसकी और से किसी का उपस्थित न होना नामनिर्देशन पत्र प्रतिक्षेपित करने का पर्याप्त आधार नहीं है, यदि वह अन्यथा विधि पूर्ण है। यदि अभ्यर्थी या उसका प्रतिनिधि अनुपस्थित रहता है और एसी दशा में कोई सारभूत प्रकार की आपत्ति प्रस्तुत की जाती है और अभ्यर्थी की ओर से उसका कोई खण्डन प्रस्तुत नही होता है तो ऐसा नामनिर्देशन पत्र निरस्ति योग्य है सुप्रीम कोर्ट।
न्यूनतम अर्हता
आरपी एक्ट अनुसार दो महत्वपूर्ण अर्हताएँ है-
– आयु
– यदि वह आरक्षित सीट से चुनाव लड़ रहा है तो अनुसूचित जाति या जनजाति का हो, जैसी भी स्थिति है। वह पंजीकृत मतदाता होना चाहिए। भारत का नागरीक होना चाहिए।
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