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महाकवि कालिदास पर विदेशी कवियों ने भी संस्कृत में सुनाई कविता

महाकवि कालिदास पर एकाग्र संस्कृत कवि सम्मेलन सम्पन्न

महाकवि कालिदास की काव्य रचना भारत ही नहीं बल्कि विदेशियों के जेहन में भी  समाई हुई है। उनकी रचनाएं संस्कृत भाषा में विदेशी कवि भी सुना  रहे हैं। ऐसा ही मौका उज्जैन में चल रहे कालिदास समारोह में भी आया। जब यहां विदेशियों ने संस्कृत में काव्यपाठ किया। कवि सम्मेलन में देश  विदेश के करीब 25 से अधिक कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाई।

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मध्यप्रदेश के उज्जैन में चल रहे 66वाँ अखिल भारतीय कालिदास समारोह के अन्तर्गत सारस्वत कार्यक्रमों की शृंखला में महाकवि कालिदास पर एकाग्र संस्कृत कविसम्मेलन सम्पन्न हुआ। डॉ. सन्दीप नागर ने बताया कि इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में चारधाम आश्रम के महंत शांतिस्वरूपानन्द, विशिष्ट अतिथि लालबहादुर शास्त्री विश्वविद्यालय, नईदिल्ली के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक एवं विक्रमादित्य शोधपीठ के पूर्व निदेशक एवं वरिष्ठ पुरात्त्वविद प्रो. भगवतीलाल राजपुरोहित थे।

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देश के 16 राज्यों से आये थे कविगण

संस्कृत कविसम्मेलन में 2 कविगण विदेश सम्पूर्ण देश के 16 राज्यों एवं पधारें न्यूयार्क से पधारे श्री कुशाग्र अनिकेत एवं पौलेण्ड से पधारे श्री फिलिप रोचिंसकी ने महाकवि के अभिज्ञानशाकुन्तलम् तथा मेघदूत केन्द्रित काव्यपाठ किया। जिसमें प्रो. बुद्धेश्वर षडंगी, मणिपुर, डॉ. स्वर्गकुमार मिश्र, त्रिपुरा, डॉ. संजीत कुमार झा, दरभंगा, डॉ. पंकज कुमार झा, बारा (राजस्थान), डॉ. अरविन्द तिवारी, बागपत (उ.प्र.), प्रो. कमला पाण्डेय, वाराणसी, डॉ. राजकुमार मिश्र, पलवल (हरियाणा), प्रो. श्रीनाथधर द्विवेदी, गरली (हि.प्र.), प्रो. शैलेष तिवारी, हरिद्वार, सुश्री श्रुति कानिटकर, मुम्बई, डॉ. पूजा उपाध्याय, उज्जैन, डॉ. बृजसुन्दर मिश्र, ओडिशा, डॉ. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय, भोपाल, डॉ. चन्द्रगुप्त वर्णेकर, नागपुर, डॉ. प्रीति पुजारा, अहमदाबाद, डॉ.उपेन्द्र पाण्डेय, वाराणसी, डॉ.तुलसीदास परौहा, उज्जैन, प्रो. सुधा के.बैंगुलरु, डॉ. ऋषिकुमार तिवारी, वृन्दावन इन समस्त कवियों ने महाकवि कालिदास की सातों कृतियों, माँ शिप्रा एवं महाकाल पर केन्द्रित रचना पाठ किया। अतिथियों का स्वागत अकादमी के निदेशक डॉ. गोविन्द गन्धे ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. पूजा उपाध्याय ने किया तथा आभार कार्यक्रम प्रभारी डॉ. सन्दीप नागर ने माना।

हरिओम राय @ उज्जैन

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