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Indians Should Work In 3 Shifts: 11 से 5 की शिफ्ट पर्याप्ट नहीं, 3 शिफ्ट में काम करें भारतीय

Indians Should Work In 3 Shifts: नारायण मूर्ति ने कहा- एक शिफ्ट से नहीं होगा विकास, फास्ट डिसीजन लेने की जरूरत

Indians Should Work In 3 Shifts: इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति एक बार फिर चर्चा में हैं। उनका कहना है कि सरकार को प्रायोरिटी बेसिस पर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को निपटाना चाहिए और इसके लिए इंडस्ट्री में लोगों को 3 शिफ्ट में काम करने की जरूरत है।
इसके पहले वे भारतीय युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की सलाह देकर भी चर्चा में आ चुके हैं। नारायण मूर्ति ने कहा था कि अगर भारत को आगे जाना है, तो युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करना होगा। इसके बाद सोशल मीडिया कई अलग-अलग धड़ों में बंट गया था। मूर्ति के इस बयान के बाद उनकी जितनी आलोचना हुई उतना ही साथ भी मिला। हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है, कि लोगों के हेल्थ पर इसका बुरा असर पड़ेगा।

चीन के आगे बढऩे का यही है राज

श्री नारायण मूर्ति का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 3.5 ट्रिलियन डॉलर की है, जबकि चीन 19 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच चुका है। एक समय वहां भी हमारी तरह ही समस्याएं थीं, लेकिन चीन ने उनका समाधान निकाला और हमसे आगे निकल गया। हम अब भी चीन की बराबरी कर सकते हैं और उससे आगे भी जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए हमें तेजी से डिसीजन लेने होंगे।

नारायण मूर्ति ने यह बात बेंगलुरु में टेक समिट 2023 के 26वें संस्करण में जीरोधा के को-फाउंडर निखिल कामत के सवाल केजबाव में कही। सवाल था कि बेंगलुरु को अगले 5-10 साल में बेहतर शहर बनने के लिए क्या करना चाहिए? नारायण मूर्ति ने कहा विदेशों में लोग दो शिफ्टों में काम करते हैं, इसलिए वो हमसे आगे हैं।

कुछ भी फ्री नहीं दिया जाना चाहिए

नारायण मूर्ति ने सरकार की ओर से दी जाने वाली फ्री सर्विसेज के बारे में कहा, मैं फ्री सर्विस के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन जो भी लोग सरकार की ओर दी जाने वाली फ्री सेवाएं और सब्सिडी ले रहे हैं, ऐसे सभी लोगों को बदले में समाज की भलाई में अपना योगदान भी करना चाहिए। उन्होंने कहा कि फ्री योजनाएं कंडीशनल होनी चाहिए। सरकार को लोगों से बोलना चाहिए कि प्राइमरी और मिडिल स्कूलों में 20 प्रतिशत उपस्थिति बढ़ेगी तभी ये सेवाएं मिलेंगी।

इंग्लिश मीडियम स्कूल में बच्चों को पढ़ाएं

मूर्ति ने कहा, बड़े लोग कभी भी अपने बच्चों को कन्नड़ मीडियम स्कूल में नहीं भेजते हैं। उनके बच्चे हमेशा इंग्लिश मीडियम स्कूलों में ही पढ़ते हैं। इसलिए यहां इंग्लिश मीडियम स्कूल खोलने और चलाने के ईकोसिस्टम को ज्यादा आसान और फ्री बनाने की जरूरत है।

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