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Gyanvapi in Kashi : काशी में ज्ञानवापी किसकी, एएसआई ने सौंपी रिपोर्ट

Gyanvapi in Kashi : रिपोर्ट में कोर्ट के समक्ष खंडित मूर्तियां, घड़ा, धार्मिक चिह्न जैसे करीब 250 अवशेष भी सौंपे

Gyanvapi in Kashi : वाराणसी में काशी विश्वनाथ के परिसर में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद किसकी है। इस मामले में एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर ने वाराणसी के जिला जज को सील बंद रिपोर्ट सौंप दी है। सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट 1500 से ज्यादा पेज की है। एएसआई को ज्ञानवापी के सर्वे के दौरान खंडित मूर्तियां, घड़ा, चिह्न जैसे करीब 250 अवशेष मिले थे। इन्हें डीएम की निगरानी में लॉकर में जमा कराया गया था। इन सभी अवशेषों को भी कोर्ट में पेश किया गया है।

एएसआई के सर्वे रिपोर्ट पेश होने से पहले मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में एप्लीकेशन दी। इसमें मांग की कि सर्वे की रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में पेश हो और बिना हलफनामे के किसी को भी सार्वजनिक करने की इजाजत न दी जाए। रिपोर्ट सबमिट करने के लिए सोमवार 16 दिसंबर को कड़ी सुरक्षा के बीच 5 सदस्यीय टीम जिला जज कोर्ट पहुंची। एएसआई ने मेडिकल कारणों से 7 दिन का समय मांगा था। जिसके बाद जिला जज ने एएसआई को रिपोर्ट सबमिट करने के लिए 18 दिसंबर की तारीख तय की थी। आज वादी-प्रतिवादी और दोनों पक्षों के सभी वकील मौजूद रहे। एएसआई की टीम ने सोमवार को यह सर्वे रिपोर्ट 5 बार एक्सटेंशन लेने के बाद पेश की है।

एएसआई सर्वेक्षण की मांग को लेकर 16 मई को याचिका दायर की गई थी। इसे दायर करने वाली चार महिलाओं की अगुआई वकील विष्णु शंकर जैन ने की थी। हिंदू पक्ष के वकील ने वहां हिंदू मंदिर के प्रतीक चिह्न मिलने का दावा किया था। इसके बाद वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्‍ण विश्वेश की कोर्ट ने 21 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी परिसर के सील वजूखाने को छोड़कर बाकी सभी हिस्‍से और तहखानों के सर्वे का आदेश दिया था। 24 जुलाई को एएसआई की टीम ने सर्वे शुरू कर दिया था। हालांकि, मुस्लिम पक्ष यानी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी सर्वे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। इसके बाद उसी दिन यानी 24 की शाम को सुप्रीम कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगा दी थी। इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट से ज्ञानवापी सर्वे की मंजूरी मिली। 4 अगस्त से एएसआई के देशभर से आए विशेषज्ञों ने सर्वे शुरू किया। 4 अगस्‍त से जारी सर्वे 16 नवंबर को पूरा हो गया। वाराणसी कोर्ट ने शुरुआत में सर्वे के लिए 28 दिन का वक्त दिया था। हालांकि, उसके बाद एएसआई की मांग पर कोर्ट ने सर्वे का वक्त 3 बार बढ़ाया।

जीपीआर रिपोर्ट लेटलतीफी की वजह बनी

ज्ञानवापी परिसर में सर्वे की सच्चाई बाहर आने के लिए हैदराबाद की ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार यानी जीपीआर रिपोर्ट लेटलतीफी की वजह बनी है। एएसआई टीम में शामिल तीन विशेषज्ञों ने करीब 120 पेज की रिपोर्ट दे दी, लेकिन हैदराबाद की टीम ने जीपीआर रिपोर्ट पूरी तरह नहीं पेश की। इसकी संक्षिप्त रिपोर्ट के बाद जीपीआर प्रिंट के साथ विस्तृत रिपोर्ट बनाने में समय लग रहा है। माना जा रहा है कि लगभग 500 पेज की रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट की जाएगी। वहीं, स्कैनिंग, वीडियोग्राफी, पैमाइश और सैंपल की रिपोर्ट लगभग तैयार है, जिसे फाइनल टच दिया जा रहा है।

जीपीआर के अलावा डायल टेस्ट इंडिकेटर लगाया गया

ज्ञानवापी परिसर की सतह की माप के लिए जीपीआर के अलावा डायल टेस्ट इंडिकेटर लगाया गया था। डेप्थ माइक्रोमीटर से भी अलग-अलग हिस्सों की माप की। कॉम्बिनेशन सेंट वर्नियर बैवल प्रोट्रेक्टर से परिसर में हुए निर्माण की बनावट, कलाकृतियों आदि की जांच की। दीवारों की 3डी फोटोग्राफी और स्कैनिंग के लिए मशीनें और कैमरे लगाए। इसमें एएसआई टीम ने तैयार किए नक्शे के आधार पर इन मापों को रिकॉर्ड में दर्ज किया।

ज्ञानवापी के तीनों गुंबदों और परिसर का सर्वे किया

एएसआई ने चार सेक्टर बनाकर ज्ञानवापी के तीनों गुंबदों और परिसर का सर्वे पूरा किया। एएसआई ने व्यास तहखाने में पैमाइश की। चार्ट में दीवारों पर मिली कलाकृतियों के पॉइंट्स नोट किए। 100 मीटर एरियल व्यू फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में पश्चिमी दीवारों के निशान, दीवार पर सफेदी, ईंट में राख और चूने की जुड़ाई समेत मिट्टी के सैंपल जुटाए हैं। इसमें पत्थर के टुकड़े, दीवार की प्राचीनता, नींव और दीवारों की कलाकृतियां, मिट्‌टी और उसका रंग, अवशेष की प्राचीनता सहित अन्न के दाने का सैंपल जुटाया है। इसके अलावा, टूटी मिली प्रतिमा का एक टुकड़ा भी एएसआई ने सैंपल में शामिल किया है। डिजिटल नक्शे में अंदर की वर्तमान स्थिति को भी अंकित किया है। ये सारे सबूत न्यायालय में पेश होने के बाद अब इंतजार है तो सिर्फ कोर्ट के फैसले का।

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