बच्चों के लिए कलेक्टर को भी छोड़ना पड़ी कुर्सी

इंदौर में जनसुुनवाई में 20 किमी पैदल चलकर आये विद्यार्थी, जिद यह कि सिर्फ कलेक्टर से ही मिलेंगे
समाचार आज @ इंदौर
इंदौर में मंगलवार 25 जुलाई को 20 किलोमीटर पैदल चलकर अपनी समस्याएं सुनाने आये स्कूली बच्चों की जिद के सामने अंतत: इंदौर कलेक्टर इलैया राजा को भी कुर्सी छोड़कर दफ्तर के बाहर आना पड़ा। कलेक्टर इलैया राजा ने जब बाहर आकर देखा तो वे भी चकित रह गये। 20 किमी दूर से पैदल चलकर आये इन बच्चों के हाल बेहाल थे, तीन तो बेहोश होने की स्थिति में थे। उन्हें तुरंत प्राथमिक उपचार दिया गया। बताया जाता है कि एक को अस्पताल भेजा गया है।
पूरा मामला यह है कि इंदौर के मोरोद क्षेत्र के शासकीय ज्ञानोदय आवासीय स्कूल के यह बच्चे मंगलवार को अपनी समस्याएं सुनाने 20 किमी दूर से कलेक्टर कार्यालय तक पैदल हाथों में तख्ती लिये आये थे। सोमवार को ज्ञानोदय स्कूल की तीसरी मंजिल से गिरकर विपिन नामक छात्र गंभीर घायल हो गया था। सभी छात्र इसके लिए स्कूल प्रबंधन को जिम्मेदार बताते हुए स्कूल प्रबंधन पर कार्रवाई और विपिन के इलाज का खर्च उठाने की अपनी फरियाद लेकर जनसुनवाई में आये थे। कलेक्टर ऑफिस पहुंचे बच्चे ‘कलेक्टर साहब बाहर आओ, घायल विपिन की जान बचाओ’ के नारे लगाये। तो मौजूद अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने उनकी बात सुनने की कोशिश की और पीने के लिए पानी की बोतलें भी दी। लेकिन बच्चों ने पानी की बाेतले लेने से इंकार करते हुए एसडीएम और उनके बाद एडीएम राजेश राठौर को भी लौटा दिया।
अंतत: कुर्सी छोड़कर नीचे आये कलेक्टर, बच्चों से बात की
अंतत: दोपहर करीब पौने एक बजे कलेक्टर इलैया राजा स्वयं बच्चोें से मिलने आये। उनकी समस्या सुनकर बच्चों को आश्वस्त किया कि पूरे मामले की जांच एडीएम राजेश राठौर करेंगे। मैं खुद भी शाम को हॉस्टल आऊंगा और व्यवस्थाओं को देखूंगा।मामले में जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई होगी। उन्होंने घायल छात्र विपिन को लेकर कहा कि उसका इलाज प्रशासन द्वारा कराया जाएगा। अभी तक इलाज में जितने भी रुपए लगे हैं वह परिजन को दिए जाएंगे।
हॉस्टल की अव्यवस्थाओं से नाराज हैं छात्र
शासकीय ज्ञानोदय आवासीय स्कूल के छात्र होस्टल प्रबंधन की मनमानी, पढ़ाई नहीं होने, खराब भोजन से स्वास्थ्य खराब आदि से भी परेशान थे। इन छात्रों ने कहा कि लॉकडाउन के बाद से स्कूल व हॉस्टल पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। प्रिंसिपल व वार्डन मनमानी करते हैं। कई बार शिकायतें की लेकिन ध्यान नहीं दिया गया। यहां पढ़ाई नियमित नहीं होती। सरकार की ओर से जो अनुदान दिया जाता है उसका भी उपयोग बच्चों के हित में नहीं हो रहा है। हालांकि अब बच्चों को खुद कलेक्टर ने आश्वासन दिया है तो निश्चित ही इनकी समस्याओं का हल जरूर निकलेगा।