कुलपति का दावा- दो साल में तेजी से उभरा विक्रम विश्वविद्यालय

समाचार आज। उज्जैन
उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय ने पिछले 2 सल क अवधि में प्रगति के कई सौपान तय किए है। विश्वविद्यालय में करोड़ो रूपए खर्च कर विकास कार्य किए गए है, कई नए विषयों पर अध्ययन आरंभ किया गया है। देश के पटल पर विक्रम विश्वविद्यालय का नाम तेजी से उभरा है।
उज्जैन में विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय के कार्यकाल के 2 साल पूरे होने पर खुद कुलपति, कुलसचिव डा. प्रशांत पुराणिक और कुलानुशासक प्रो. शेलेंद्र शर्मा ने पिछले 2 साल का विक्रम विश्वविद्यालय के विकास का ब्यौरा मीडिया के माध्यम से सोमवार को आम जनता के बीच रखा।
करोड़ों रुपए के कामकाज का लेखाजोखा दिया
कुलपति प्रो.अखिलेश कुमार पांडेय ने बताया कि विक्रम विश्वविद्यालय के कृषि भवन के लिए 16 करोड़ रूपए, छात्रावास के लिए 4 करोड़ रूपए, शारीरिक शिक्षा विभाग के लिए 5 करोड़ रूपए, विधि अध्ययन शाला के लिए 5 करोड़ रूपए, सेंटर ऑफ एक्सिलेंस के लिए 8 करोड़ रूपए, मालवी शोध पीठ के लिए 20 लाख रूपए उच्चशिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव के व्यक्तिगत प्रयासो से प्राप्त हुए है। ये सारे काम विश्वविद़्यालय के विकास की नई इबारत सिद्ध होंगे।
बीएएलएलबी भी इसी साल से शुरू
कुलपति ने बताया कि विधि अध्ययनशाला में बीएएलएलबी का नया पाठ्यक्रम इसी साल से आरंभ किया गया है। कुलपति ने कहा कि नए परिवेश एवं बदलती हुई परिस्थितियों में स्थानीय और अंर्तराष्ट्रीय स्तर की जरूरतों के अनुरूप पाठ्यक्रम का संचालन, उसमें समयानुसार संशोधन तथा विद्यार्थियों द्वारा रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों का चयन बहुत जरूरी है। उच्चशिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को मध्यप्रदेश और विक्रम विश्वविद्यालय में सर्वप्रथम लागू किया गया। कुलपति ने कहा कि विक्रम विश्वविद्यालय नेक द्वारा ए ग्रेड प्राप्त विश्वविद्यालय है।
200 से ज्यादा नए पाठ्यक्रम प्रारंभ
कुलसचिव डा. प्रशांत पुराणिक ने इस अवसर पर कहा कि मात्र 2 साल की अवधि में कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय के कार्यकाल में विश्वविद्यालय ने उत्कृष्टता के नए आयामों को छुआ है। इस अवधि में विश्वविद्यालय में 200 से ज्यादा नए पाठ्यक्रम प्रारंभ किए गए है। विक्रम विश्वविद्यालय में विभिन्न विषयों की 35 अध्ययनशालाएं है,इनमें से 7 अध्ययनशालाएंबीते 2 वर्ष में खुली है। विश्वविद्यालय में अब पाठ्यक्रमों की कुल संख्या भी 250 प्लस हो चुकी है। कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने की सरकार की योजना में भी विश्वविद़्यालय ने योगदान दिया है। विश्वविद्यालय की लैब टू लैंड योजना के तहत मालवा क्षेत्र के किसानों को इंटिग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम मॉडल अपनाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। इससे किसान अनाज उत्पादन के साथ-साथ फल, सब्जी, फूल, मुर्गी पालन, मछली पालन, आदि के माध्यम से अपनी आय बढ़ा सकेंगे।
4 हजार से अधिक हैं स्टूडेंट्स
इस अवसर पर कुलानुशासक प्रो. शेलेंद्र शर्मा ने कहा कि पिछले 2 साल में विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के प्रवेश में भी वृद्धि हुई है। 2021-22 में विद्यार्थियों की संख्या 4 हजार 54 हो चुकी है। इसी साल से विश्वविद्यालय ने कॉमन इंट्रेंस टेस्ट के माध्यम से भी प्रवेश देना आरंभ किया है। पिछले 2 साल की अवधि में विश्वविद्यालय द्वारा 5 3 से अधिक उत्कृष्ट संस्थानों के साथ एमओयू साईन कर विद्यार्थियों को लाभ पहुंचाने का काम किया है। विश्वविद़्यालय द्वारा करियर मार्गदर्शन के क्षेत्र में शिविर एवं मेगा जॉब फेयर लगाकर 3 हजार से अधिक विद्यार्थियों को लाभान्वित किया है। – बाईट