
diwali in mahakal temple : उज्जैन में भगवान श्री महाकाल के आंगन में दीपावली महोत्सव का सिलसिला 9 नवंबर गुरुवार से प्रारंभ हो रहा है। गुरुवार को रमा ग्यारस के मौके पर महाकाल के दरबार में दीप प्रज्वलित करने के साथ ही महोत्सव प्रारंभ हो जायेगा।
उज्जैन शहर की परंपरा है कि यहां पर दीपावली की शुरुआत भगवान महाकाल के मंदिर से होती है। सबसे पहले यहां आयोजन होते हैं, उसके बाद शहर में दीपावली महोत्सव प्रारंभ होता है। पं. कैलाश नारायण शर्मा, पुजारी संदीप त्रिवेदी लालू गुरू ने बताया कि गुरुवार को रमा एकादशी पर शाम से महाकाल मंदिर में दीप प्रज्वलन का सिलसिला शुरू हो जायेगा। जो दीपावली तक चलेगा। दीप प्रज्वलन गर्भगृह और नंदीहाल से प्रारंभ होगा। इसके बाद मंदिर परिसर में स्थित अन्य मंदिरों में भी दीपों का प्रज्वलन किया जायेगा।
धनतेरस पर होगा सिक्का पूजन
11 अक्टूबर को मंदिर में धनतेरस dhanteras मनाई जायेगी। इस दिन मंदिर के पुरोहित परिवार द्वारा सुबह भगवान का अभिषेक पूजन किया जाएगा। इस दिन पुरोहित समिति द्वारा देश में सुख, समृद्धि व अरोग्याता की कामना से भगवान महाकाल का अभिषेक-पूजन किया जाएगा। पुरोहित समिति के अध्यक्ष पं. महेश गुरु ने बताया कि भगवान को सुख-समृद्धि के लिए चांदी का सिक्का अर्पित कर पूजा-अर्चना की जाएगी।
चौदस से भगवान महाकाल गर्म जल से स्नान शुरू करेंगे
12 नवंबर को रूप चतुर्दशी पर पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान को केसर चंदन का उबटन लगाएंगी। पुजारी भगवान को गर्म जल से स्नान कराएंगे। कर्पूर से आरती होगी। साल में एक दिन रूप चतुर्दशी पर पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान का रूप निखारने के लिए उबटन लगाकर कर्पूर आरती करती हैं। स्नान के बाद महाकाल को नए वस्त्र, सोने चांदी के आभूषण धारण कराकर आकर्षक श्रृंगार किया जाएगा। इसके बाद अन्नकूट भोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाएगी। भस्म आरती में पुजारी केसर, चंदन का उबटन लगाकर भगवान को गर्म जल से स्नान कराएंगे। सोने चांदी के आभूषण से आकर्षक श्रृंगार कर नए वस्त्र धारण कराए जाएंगे। पश्चात अन्नकूट का महाभोग लगाकर फुलझड़ी से आरती की जाएगी। शाम को दीपोत्सव अंतर्गत समृद्धि के दीप जलाए जाएंगे।
12 नवंबर को ही दीपावली, गोवधन पूजन 14 को
12 नवंबर को सुबह रूप चौदस और शाम को दीपावली diwali पर्व मनेगा। भस्मारती से रात 10.30 बजे शयन आरती तक नियमित पांच आरतियों में फुलझड़ी चलाई जाएगी। भगवान का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। अगले दिन 13 नवंबर को सोमवती अमावस्या रहेगी। 14 नवंबर को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर मंदिर के मुख्य द्वार पर पुजारी परिवार की महिलाएं गोबर से गोवर्धन बनाकर पूजा-अर्चना करेगी। इसके बाद चिंतामन स्थित मंदिर की गोशाला में गोवंश की पूजा-अर्चना की जाएगी।
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