उज्जैन में अदूरदर्शिता के कारण 7 करोड़ शिप्रा में बहे

मकर संक्रांति स्नान भी नहीं होगा शिप्रा में
उज्जैन। समाचार आज
वाह रे उज्जैन का प्रशासन। जनता के खून-पसीने की कमाई के 7 करोड़ रुपए बर्बाद करने के बाद ऐनवक्त पर फरमान जारी कर दिया- शिप्रा में मकर संक्रांति पर्व का स्नान नहीं होगा।
मृत्युलोक के राजा महाकाल की नगरी में हर पर्व-त्यौहार की तरह मकर संक्रांति के स्नान का भी विशेष महत्व होता है। प्रशासन भी स्नान की तैयारी में पिछले करीब दस दिनों सेबेहद उत्साहित था। नगर निगम और प्रशासन ने जमकर तैयारी की और दस दिनों में लगभग 7 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। शिप्रा में महंगे भाव का नर्मदा का नया पानी भरा गया, रामघाट सहित आसपास के घाटों की सफाई हुई। साज-सजावट की गई। और एक ऐनवक्त मकर संक्रांति के एक दिन पहले प्रशासन ने फरमान जारी कर दिया कि कोरोना का संक्रमण जोरों पर है, इस कारण सामूहिक स्नान पर प्रतिबंध है, इसलिए घरों में ही रहकर स्नान करें।
अकेले मकर संक्रांति के स्नान की तैयारी के लिए कान्ह नदी पर दो अस्थाई स्टाप डेम बनाए गए हैं। इनका काम लगभग पूरा भी हो चुका है। दोनों कच्चे स्टापडेम के निर्माण पर लगभग 30 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। स्नान के दिन शिप्रा नदी में साफ पानी मौजूद रहे, इसलिए नर्मदा लाइन का पानी उज्जैन लाया गया। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) द्वारा संक्रांति स्नान के लिए 4 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पानी की डिमांड नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को भेजी गई थी। 13 जनवरी शाम तक 3 एमसीएम पानी नर्मदा लाइन से शिप्रा नदी में छोड़ा भी गया है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण 22 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर पानी देता है। 3 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी लाने का खर्च ही लगभग 6 करोड़ 60 लाख रुपए आया है। इतनी सब तैयारी के बाद अब कलेक्टर आशीष सिंह की तरफ से एक अपील जारी की गई है। आम लोगों से कहा गया है कि कोरोना वायरस के नए वेरिएंट से बचाव के लिए मकर संक्रांति के पर्व पर घरों में रहकर ही स्नान व पूजन अर्चन करे। आम जन घाटों पर स्नान के लिए एकत्रित न हो। कलेक्टर की तरफ से साफ किया गया है कि राज्य शासन ने मेलों के आयोजन व सामूहिक स्नान पर प्रतिबंध लगाया गया है।