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Shri Ram Pran Pratishtha : श्री राम प्राण प्रतिष्ठा के पहले प्रधानमंत्री कर रहे 11 दिन का अनुष्ठान

Shri Ram Pran Pratishtha : नासिक के पंचवटी से की शुरुआत, देशवासियों को संदेश दिया-मुझे आशीर्वाद दें, ताकि मन, वचन, कर्म से मेरी तरफ से कोई कमी न रहे

Shri Ram Pran Pratishtha : श्री राम प्राण प्रतिष्ठा समारोह अयोध्या में 22 जनवरी को होगा। उसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 जनवरी से अनुष्ठान शुरु किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले शुक्रवार को ऑडियो मैसेज दिया। इसमें उन्होंने बताया है कि वे आज से 11 दिन का विशेष अनुष्ठान शुरू कर रहे हैं। इसकी शुरुआत नासिक के पंचवटी से करेंगे। अपने संदेश में मोदी ने कहा, में भावना को शब्दों में बांध नहीं पा रहा हूं। कई पीढ़ियों का सपना साकार हो रहा है।

अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 11 दिन बाद यानी 22 जनवरी को होगी। प्राण-प्रतिष्ठा महज 1 मिनट 24 सेकेंड में होगी। 22 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकेंड से मूल मुहूर्त होगा, जो 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड तक चलेगा। यानी कुल 1 मिनट 24 सेकेंड का ही प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त होगा। काशी के पंडितों ने यह मुहूर्त तय किया है। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान गर्भगृह में 5 लोग मौजूद रहेंगे। इनमें पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, संघ प्रमुख मोहन भागवत और अनुष्ठान के आचार्य शामिल हैं।

पीएम मोदी का 10.50 मिनट का देशवासियों को प्रसारित ऑडियो संदेश

सियावर रामचंद्र की जय

मेरे प्यारे देशवासियों, राम-राम।

जीवन के कुछ क्षण ईश्वरीय आशीर्वाद की वजह से ही यथार्थ में बदलते हैं। आज हम सभी भारतीयों के लिए, दुनियाभर में फैले रामभक्तों के लिए ऐसा ही पवित्र अवसर है। हर तरफ प्रभु श्रीराम की भक्ति का अद्भुत वातावरण है। चारों दिशाओं में राम-नाम की धुन है। राम भजनों की अद्भुत सौंदर्य माधुरी है। हर किसी को 22 जनवरी का, उस ऐतिहासिक पवित्र पल का इंतजार है।

अयोध्या में रामलला की पवित्र प्राण प्रतिष्ठा में सिर्फ 11 दिन बचे हैं। मेरा सौभाग्य है कि मुझे भी इस पुण्य अवसर का साक्षी बनने का अवसर मिल रहा है। ये मेरे लिए कल्पनातीत अनुभूतियों का समय है। मैं भावुक हूं, भाव-विह्वल हूं। मैं जीवन में पहली बार इस तरह के मनोभावों से गुजर रहा हूं। मैं एक अलग ही भाव-भक्ति की अनुभूति कर रहा हूं। मेरे अंतर्मन की ये भाव यात्रा, मेरे लिए अभिव्यक्ति का नहीं, अनुभूति का अवसर है। चाहते हुए भी मैं इसकी गहनता, व्यापकता और तीव्रता शब्दों में बांध नहीं पा रहा हूं। आप भी भली-भांति मेरी स्थिति समझ सकते हैं।

जिस स्वप्न को अनेकों पीढ़ियों ने वर्षों तक एक संकल्प की तरह अपने हृदय में जिया। मुझे उसकी सिद्धि के समय उपस्थित होने का सौभाग्य मिला है। प्रभु ने मुझे सभी भारतवासियों का प्रतिनिधित्व करने का निमित्त बनाया है। निमित्त मात्रम भव सव्य साचिन। ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। जैसा हमारे शास्त्रों में कहा गया है। हमें ईश्वर के यज्ञ के लिए, आराधना के लिए स्वयं में भी दैवीय चेतना जागृत करनी होती है। इसके लिए शास्त्रों में व्रत और कठोर नियम बताए गए हैं। जिन्हें प्राण प्रतिष्ठा से पहले पालन करना होता है।

इसलिए आध्यात्मिक यात्री की कुछ तपस्वी आत्माओं और महापुरुषों से मुझे जो मार्गदर्शन मिला, उन्होंने जो यम-नियम सुझाए, उसके अनुसार मैं आज से 11 दिन का विशेष अनुष्ठान आरंभ कर रहा हूं। इस पवित्र अवसर पर मैं परमात्मा के श्रीचरणों में प्रार्थना करता हूं। ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों का पुण्य स्मरण करता हूं, और जनता जनार्दन जो ईश्वर का रूप है, उनसे प्रार्थना करता हूं कि आप मुझे आशीर्वाद दें, ताकि मन, वचन, कर्म से मेरी तरफ से कोई कमी न रहे।

साथियो, मेरा ये सौभाग्य है कि 11 दिन के अपने अनुष्ठान का आरंभ मैं नासिक धाम पंचवटी से कर रहा हूं। पंचवटी वो पावनधरा है, जहां प्रभु श्रीराम ने काफी समय बिताया था। आज मेरे लिए सुखद संयोग ये भी है कि आज स्वामी विवेकानंद जी की जयंती है। ये स्वामी विवेकानंद जी ही तो थे, जिन्होंने हजारों वर्षों से आक्रांतित भारत की आत्मा को झकझोरा था। आज वही आत्मविश्वास भव्य राम मंदिर के रूप में हमारी पहचान बनकर सबके सामने है।

सोने पर सुहागा देखिए, आज माता जीजाबाई की जयंती भी है। माता जीजाबाई, जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के रूप में एक महामानव को जन्म दिया था। आज हम अपने भारत को जिस अक्षुण्ण रूप में देख रहे हैं, उसमें माता जीजाबाई का बहुत बड़ा योगदान है। आज जब मैं माता जीजाबाई का पुण्य स्मरण कर रहा हूं, तो सहज रूप से अपनी मां की याद आना स्वाभाविक है। मेरी मां जीवन के अंत माला जपते हुए सीताराम ही जपा करती थीं।

साथियो, प्राण प्रतिष्ठा की मंगल घड़ी, चराचर सृष्टि का वो चौतन्य पल, आध्यात्मिक अनुभूति का वो अवसर, गर्भगृह में उस पल क्या-कुछ नहीं होगा। साथियो, शरीर के रूप में तो मैं उस पवित्र पल का साक्षी बनूंगा ही, लेकिन मेरे मन में, हृदय के हर स्पंदन में, 140 करोड़ भारतीय मेरे साथ होंगे। आप मेरे साथ होंगे, हर रामभक्त मेरे साथ होगा। और वो चौतन्य पल हम सबकी सांझी अनुभूति होगी। मैं अपने साथ राम मंदिर के लिए अपने जीवन को समर्पित करने वाले अनगिनत व्यक्तित्वों की प्रेरणा लेकर जाऊंगा। त्याग-तपस्या की वो मूर्तियां, 500 साल का धैर्य, दीर्घ धैर्य का वो काल, अनगिनत त्याग और तपस्या की वो घटनाएं, दानियों-बलिदानियों की गाथाएं, कितने ही लोग हैं, जिनके नाम तक कोई नहीं जानता। लेकिन जिनके जीवन का एकमात्र ध्येय रहा है, भव्य राम मंदिर का निर्माण, ऐसे असंख्य लोगों की स्मृतियां मेरे साथ होंगी।

जब 140 करोड़ देशवासी उस पल में मेरे साथ मन से जुड़ जाएंगे और जब में आपकी ऊर्जा को साथ लेकर गर्भगृह में प्रवेश करूंगा, तो मुझे भी एहसास होगा कि मैं अकेला नहीं, आप सब भी मेरे साथ हैं।

साथियो, ये 11 दिन व्यक्तिगत रूप से मेरे यम-नियम तो हैं ही, लेकिन मेरे भाव-विश्व में आप सब समाहित हैं। मेरी प्रार्थना है कि आप भी मन से मेरे साथ जुड़े रहें। रामलला के चरणों में मैं आपके भावों को भी उसी भाव से अर्पित करूंगा, जो मेरे भीतर उमड़ रहे हैं।

साथियो, हम सब इस सत्य को जानते हैं कि ईश्वर निराकार है। लेकिन ईश्वर, साकार रूप में भी हमारी आध्यात्मिक यात्रा को बल देते हैं। जनता जनार्दन में ईश्वर का रूप होता है। ये मैंने साक्षात देखा है, महसूस किया है। लेकिन जब ईश्वररूपी वही जनता शब्दों में अपनी भावनाएं प्रकट करती है, आशीर्वाद देती है तो मुझमें भी नई ऊर्जा का संचार होता है। आज मुझे आपके आशीर्वाद की आवश्यकता है। इसलिए मेरी प्रार्थना है कि शब्दों में, लिखित में, अपनी भावनाएं जरूर प्रकट करें। मुझे आशीर्वाद जरूर दें। आपके आशीर्वाद का एक-एक शब्द, मेरे लिए शब्द नहीं, मंत्र है। मंत्र की शक्ति के तौर पर वह अवश्य काम करेगा।

आप अपने शब्दों को, अपने भावों को नमो ऐप के माध्यम से सीधे मुझ तक पहुंचा सकते हैं। आइए, हम सब प्रभु श्रीराम की भक्ति में डूब जाएं। इसी भाव के साथ आप सभी रामभक्तों को कोटि-कोटि नमन।

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