वृंदावन में निर्जला एकादशी पर उमड़ी भीड़, भगदड़ की आशंका में प्रेमानंद महाराज भी बाहर नहीं निकले
वृंदावन की गलियां जूते-चप्पलों से भर गई, अधिक भीड़ के कारण लोग लेने नहीं आ सके

वृंदावन में बांके बिहारी के दर्शन के लिये निर्जला एकादशी Nirjala Ekadashi पर काफी संख्या में दर्शनार्थी पहुंचे। हालात यह हो गये कि वृंदावन की गलियां दर्शनार्थियों के हुजूम से भर गई। रात को संत प्रेमानंद भी बाहर नहीं निकले। उनके शिष्यों ने भगदड़ की आशंका जताते हुए लोगों को लौटने का कहा। प्रशासनिक आंकड़े के मुताबिक निर्जला एकादशी शनिवार ८ जून २०२५ की रात करीब ८ लाख से अधिक लोग मथुरा-वृंदावन में मौजूद थे।
शनिवार देर शाम निर्जला एकादशी और वीकेंड के कारण भारी भीड़ उमड़ी। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की 2 किमी लंबी लाइन लग गई। बांके बिहारी मंदिर के बाहर वृंदावन की गलियों में लाखों की संख्या में जूते-चप्पलों का ढेर लग गया। गलियां ब्लॉक हो गईं। भीड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कोई भी श्रद्धालु अपने जूते-चप्पल तक नहीं पहुंच सका। जूते-चप्पलों को ठेले पर लादकर हटाना पड़ा। भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस के पसीने छूट गए।
भगदड़ की आशंका के चलते संत प्रेमानंद बाहर नहीं निकले
शनिवार की रात भारी भीड़ को देखते हुए वृंदावन के प्रसिद्ध संतश्री प्रेमानंद महाराज अपने आश्रम से बाहर नहीं निकले। वे रोज रात में पदयात्रा पर निकलते हैं। शनिवार की रात उन्होंने अपनी पदयात्रा स्थगित कर दी। आश्रम के सेवादार रात 2 बजे माइक लेकर सडक़ों पर उतरे। एनाउंस किया कि आज महाराज जी पदयात्रा नहीं करेंगे, यहां भगदड़ मच सकती है। आप लोग लौट जायें। यह सुनते ही सडक़ पर खड़े दर्शनार्थी निराश हो गए, कई की आंखों में आंसू आ गये। कई राज्यों से पहुंचे भक्त बिना दर्शन के ही लौट गए। प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा स्थगित होने के बाद यूपी के अलावा कई राज्यों से आए भक्त बिना दर्शन के निराश होकर लौट गए। शुक्रवार रात से सडक़ पर रंगोली सजाई गई थी, लोग भजन गा रहे थे। इसी बीच केली कुंज आश्रम के सेवादार आए। सेवादारों ने कहा- प्रेमानंद महाराज ने आज के लिए पदयात्रा स्थगित कर दी है। ऐसा अधिक भीड़ होने पर किया गया है। भगदड़ मच सकती है। आप लोग अपने घर लौट जाइए।
वृंदावन में बंदर हीरो का बैग ले भागा, पकडऩे के लिए लगाई जुगत
एकादशी पर श्रीकृष्ण के दर्शन व गोवर्धन परिक्रमा का विशेष महत्व
एकादशी पर भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन और गोवर्धन परिक्रमा का विशेष महत्व होता है। प्रत्येक एकादशी से पूर्णिमा तक इसका विशेष महत्व होता है। इस बार निर्जला एकादशी थी, जिसका का महत्व है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी मनाई जाती है। हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का मात्र धार्मिक महत्व ही नहीं है। ये व्रत मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के नज़रिए से भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है।निर्जला यानि यह व्रत बिना जल ग्रहण किए और उपवास रखकर किया जाता है। इसलिए यह व्रत कठिन तप और साधना के समान महत्व रखता है। इस व्रत को भीमसेन एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। निर्जला एकादशी का व्रत रखने से साधक को लंबी उम्र, अच्छा स्वास्थ्य, मोक्ष और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इसे भीमसेन एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि महाभारत काल में भीम ने इस व्रत को रखा था, जिससे उन्हें अक्षय फलों की प्राप्ति हुई थी। पैदल चलने वालों के लिए जूते या चप्पल किसी वरदान से कम नहीं होते। इस दिन जरूरतमंद को चप्पल या जूते दान करना पापों का नाश करता है और जीवन की बाधाओं को दूर करता है। पौराणिक मान्यता है कि पाँच पाण्डवों में एक भीमसेन ने इस व्रत का पालन किया था और वैकुंठ को गए थे। इसलिए इसका नाम भीमसेनी एकादशी भी हुआ। सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत कर लेने से अधिकमास की दो एकादशियों सहित साल की 25 एकादशी व्रत का फल मिलता है।