सरोकार

मोरारी बापू ने सूतक में बाबाविश्वनाथ के दर्शन किये, कथा भी कर रहे, काशी में विरोध

मोरारी बापू पत्नी की मौत के दो दिन बाद ही मंदिर पहुंचे, काशी में लोगों ने पुतला दफनाया

कथावाचक मोरारी बापू ने पत्नी की मौत के दो दिन बाद ही सूतक होने के बाद भी काशी में भगवान विश्वनाथ के दर्शन-पूजन अभिषेक किया। इस दौरान वे कथावाचन भी कर रहे हैं। ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मोरारी बापू पर निशाना साधा। शंकराचार्य ने कहा, मोरारी बापू का व्यवहार रावण जैसी प्रवृत्ति का है। अपने शास्त्र का मोरारी बापू प्रमाण दें। सूतक में दर्शन-पूजन और कथा करना शास्त्र के खिलाफ है। अगर पश्चाताप नहीं किया तो यमराज दंड देंगे। सोमवार को काशी के मछोदरी में स्थानीय लोगों ने मोरारी बापू का पुतला बनाकर दफन किया।

12 जून को पत्नी का निधन, 14 जून को मंदिर जाकर जलाभिषेक किया

मोरारी बापू की पत्नी का 12 जून २०२५ को निधन हो गया था। इसके बाद वो 14 जून २०२५ को काशी आए। यहां उन्होंने बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए। जलाभिषेक किया। इसके बाद उनका विरोध शुरू हो गया। वाराणसी में कथा के पहले दिन लोगों ने उनका पुतला फूंककर विरोध जताया था। रविवार १५ जून २०२५ को रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में व्यासपीठ से मोरारी बापू ने माफी मांगी। उन्होंने कहा- हम यहां आए। शिवजी के दर्शन करने गए। जल चढ़ाया और कथा गाने लगे। यह बात कई पूज्य चरणों और कई महापुरुषों को ठीक नहीं लगी। किसी को ठेस लगी हो तो मैं आप सबके प्रति क्षमा प्रार्थी हूं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि मेरे पास भी शास्त्र है, दिखा सकता हूं।

संबंधों से बड़ा शास्त्र होता है, जो नहीं मानेगा उसका विरोध होगा

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा- हमारे यहां संबंधों से बड़ा शास्त्र होता है। उसका निर्वाहन अगर कोई नहीं करेगा तो उसका विरोध हमें करना पड़ेगा। अगर वह अपने किए गए अपराध का पश्चाताप नहीं करता है तो यमराज उन्हें दंड देंगे। उन्होंने कहा कि सनातन का यही दृष्टिकोण है कि सूतक में जो काम नहीं करना चाहिए, वह इस समय मोरारी बापू कर रहे हैं। मैं एक बार पुन: मोरारी बापू से यह पूछना चाहता हूं कि वह किसलिए और किस अधिकार से कथा कह रहे हैं। जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया तो मोरारी बापू ने कहा कि हमारी परंपरा काफी पुरानी है। हम वैष्णो साधु हैं और हम पर यह सूतक लागू नहीं होता है। समाधि करने से ही हमारा सब पूरा हो जाता है।

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