अध्यात्म

पुष्य नक्षत्र राजा है, मां लक्ष्मी का जन्म भी इसी नक्षत्र में हुआ

पुष्य नक्षत्र 24, 25 अक्टूबर को, खरीदी-शुभ कार्यों के योग

पुष्य नक्षत्र इस बार 24 व 25 अक्टूबर 2024 को पुष्य नक्षत्र का योग बन रहा है। जो कि खरीदी और शुभ कार्यों के लिये बेहतर माना जाता है। कार्तिक मास की कृष्ण तिथि अष्टमी गुरुवार को पुष्य नक्षत्र कर्क राशि में मंगल चंद्र साथ होने से लक्ष्मीनारायण योग के साथ सर्वार्थ सिध्दि योग, अमृत सिद्धि योग सहित अनेक शुभ योग बन रहे है। पंचांग के अनुसार 24 अक्टूबर को दोपहर 11:38 से 25 अक्टूबर 12:35 तक पुष्य नक्षत्र का योग रहेगा। गुरु पुष्य नक्षत्र में शुभ कार्य समय मुहुर्त दोपहर 12 से 1.30 और शाम 4.30 से रात्रि 9 तक तक रहेगा।

पुष्य नक्षत्र में स्वर्ण सहित कई वस्तुओं की खरीदारी होती है शुभ

पुष्य नक्षत्र में स्वर्ण खरीदने का प्रचलन है, यह इसलिए हैं, क्योंकि इसे शुद्ध, पवित्र और अक्षय धातु के रूप में माना जाता है और पुष्य नक्षत्र पर इसकी खरीदी अत्यधिक शुभ होती है। पुष्य नक्षत्र में की गई खरीदारी और शुरू किए गए व्यापार में बरकत हमेशा बनी रहती है। इस नक्षत्र में भवन, भूमि, फर्नीचर, ईलेक्ट्रानिक्स, बहीखाते, घरेलु सामान खरीदना भी शुभ होता है। सेना संबंधी कार्य,’’ मुकदमेबाजी-जैसे अदालती कार्य निबटाना, वाहन कलात्मक कार्यों जैसे-विद्या, गायन-वादन, नृत्य आदि के लिए विशेष शुभ होती हैं। प्रॉपर्टी विशेषकर चांदी या चांदी का सिक्का, चने की दाल, धार्मिक वस्तुएं जैसे कि शंख, कलश, चंदन आदि इलेक्ट्रॉनिक्स फर्ऩीचर वस्त्र आभूषण लेना लाभदायक है। सिर पर भस्म का तिलक लगाना लाभदायक सिद्ध है। पुष्य को निवेश करना अच्छा माना गया है। यदि आप सोना, चांदी या शेयर में निवेश करने की सोच रहे हैं कर सकते है।

पूजा और खरीददारी में लाभ

पुष्य नक्षत्र में जन्मे लोग यात्रा और भ्रमण के शौकीन होते हैं। वाहन सबंधित कार्य होते है। पुष्य नक्षत्र में शिव-पार्वती, इंद्र और बाबा भैरव की पूजा से धन-संपत्ति, वैभव और सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है। पुष्य नक्षत्र के स्वामी ग्रह शनि हैं, पुष्य नक्षत्र के देवता गुरु बृहस्पति हैं। पुष्य नक्षत्र में किए गए काम पुण्यदायी और तुरंत फल देने वाले होते हैं। पुष्य नक्षत्र में जन्मे लोग अध्यात्म में गहरी रुचि रखते हैं और ईश्वर भक्त होते हैं।
विद्या दीक्षा दान का महत्व
पुष्य नक्षत्र में मंत्र दीक्षा, वेद पाठ, यज्ञ अनुष्ठान, गुरु धारण, पुस्तक दान, और विद्या दान करना शुभ माना जाता है। मां लक्ष्मी का जन्म भी पुष्य नक्षत्र में हुआ था जिनकी पूजा करने से धन संपदा में वृद्धि होती है। गुरु पुष्य योग में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। माता लक्ष्मी को खीर, दूध से बनी मिठाई और भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते, पंचामृत, गुड़ आदि का भोग लगाएं। कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। लक्ष्मी नारायण की कृपा से धन-संपत्ति में बढ़ोत्तरी होती है।

तुरंत पुण्यदायी फल मिलते हैं पुष्य नक्षत्र में

श्री मातंगी ज्योतिष केंद्र के ज्योतिर्विद पं. अजय कृष्ण शंकर व्यास के अनुसार पुष्य नक्षत्र में किए गए कार्य पुण्यदाई और तुरंत फल देने वाले होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पुष्य नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से 8वें स्थान में आता है। पुष्य नक्षत्र की राशि कर्क है। सूर्य, नक्षत्र अनुसार जुलाई के तृतीय सप्ताह में पुष्य नक्षत्र में गोचर करता है। पुष्य नक्षत्र का मास पौष चन्द्र मास का उत्तरार्ध होता है, जो जनवरी मास में पड़ता है। 27 नक्षत्रों में से पुष्य नक्षत्र को सबसे शुभ पुण्य पावन पवित्र माना जाता है। पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा कहा जाता है। पुष्य नक्षत्र में खरीदी गई वस्तुएं स्थायी रूप से बनी रहती। पुष्य नक्षत्र में विवाह को छोडक़र अन्य कोई भी कार्य किया जा सकता है। शास्त्रोक्त बताया गया है ब्रह्मा जी ने अपनी पुत्री शारदा का विवाह गुरु पुष्य नक्षत्र में करने का फ़ैसला किया था। पं. व्यास के अनुसार मां लक्ष्मी का जन्म भी पुष्य नक्षत्र में हुआ था जिनकी पूजा करने से धन संपदा में वृद्धि होती है। गुरु पुष्य योग में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। माता लक्ष्मी को खीर, दूध से बनी मिठाई और भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते, पंचामृत, गुड़ आदि का भोग लगाएं। कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। लक्ष्मी नारायण की कृपा से धन-संपत्ति में बढ़ोत्तरी होती है।

चार राशि वालों के लिए शुभकारी

पं व्यास के अनुसार चार राशि वालों के लिए विशेष शुभ चंद्र मंगल योग, मेष, कर्क, वृश्चिक, और मीन लग्न के लोगों पर विशेष लागू होता है। गुरु बृहस्पति इस समय वृषभ राशि मे होने से व्यापार व्यवसाय त्रिगुणात्मक वृध्दि होती है। अन्य सभी राशि संयोग से शुभफलदायी है।

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