भगवान के टैटू शरीर पर बनाना गलत, संत प्रेमानंद महाराज ने कहा
भगवान के टैटू शरीर पर बनाना धार्मिक अपराध, इससे बचो, यह आस्था का अपमान है

भगवान के टैटू tattoo शरीर के किसी भी हिससे पर बनवाना गलत है। यह धार्मिक मर्यादा के खिलाफ है और अपराध है। यह हमारी आस्था का अपमान भी है। यह बात मथुरा के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने पिछले दिनों अपने सत्संग में एक युवक से कही है।
सत्संग के दौरान युवक अपना कुछ सवाल लेकर संतश्री प्रेमानंद महाराज के समक्ष खड़ा हुआ। उस युवक के हाथ पर महादेव लिखा हुआ था। यह देख संत प्रेमानंद बोले, धर्म में यह अपराध है। ‘हाथों, पैरों या अन्य शारीरिक अंगों पर देवी-देवताओं के नाम या स्वरूपों का टैटू बनवाना धार्मिक दृष्टिकोण से अपराध की श्रेणी में आता है।’
इसी शरीर को लेकर शौचालय में भी जाते हो
अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए संतश्री प्रेमानंद महाराज ने कहा कि इन्हीं हाथों से शौचालय जाते हैं। नहाते वक्त उन्हीं हाथों पर पानी डालते हैं। ऐसे में भगवान के नाम या रूप पर जल गिराना या उन्हें अपवित्र करना कहीं न कहीं धर्म के खिलाफ है। इससे पुण्य कम होता है और यह आस्था का अपमान है।
जीवन पर पड़ता है शुभ-अशुभ प्रभाव
संत प्रेमानंद महाराज का कहना है कि देवी-देवताओं के नाम में बेहद शक्ति होती है। जो लोग नियमित रूप से भगवान के नाम का जाप करते हैं, उन्हें अपने पापों से मुक्ति मिल जाती है। लेकिन जिस तरह भगवान के नाम जाप से जुड़े नियम होते हैं। ठीक उसी तरह देवी-देवताओं के चित्र बनवाने का भी शुभ और अशुभ प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है।
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संतश्री ने युवक काे टैटू बदलने की सलाह भी दी
संत प्रेमानंद महाराज ने युवक को हाथ पर बने टैटू का स्वरूप बदलने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा- यह बाएं हाथ में महादेव लिखवाया हुआ है और त्रिशूल बना है। मेरी आपको सलाह है कि त्रिशूल को फूल बनवा लें। महादेव के नाम की जगह कोई सांसारिक चित्र बनावा लें। इससे आप स्नान आदि काम करेंगे, तो आपको भी बुरा नहीं लगेगा। भगवान का नाम शरीर पर नहीं लिखवाया जाता है।
फैशन बन गया है तमाम टैटू बनबाना
इन दिनों युवा वर्ग में तमाम टैटू बनवाना फैशन का हिस्सा बन गया है। इसमें से कुछ खुद को धार्मिक साबित करने के लिए देवी-देवताओं के या फिर उनसे जुड़े प्रतीक चिह्नों के फोटो हाथ पर टैटू के रूप में बनवा लेते हैं। जो कि अनुचित है।
शरीर के लिये खतरनाक भी है टैटू बनवाना
टैटू की स्याही और एलर्जी के बीच संबंधों के साथ-साथ टैटू और कुछ प्रकार के कैंसर के बीच संभावित संबंधों को लेकर विशेषज्ञों में चिंता भी है। विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों को पता होना चाहिए कि टैटू बनवाने से थोड़ा जोखिम होता है, हालांकि उस जोखिम की गंभीरता का पता लगाने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है। डलहौजी विश्वविद्यालय के त्वचा विशेषज्ञ डॉ. केरी पर्डी के अनुसार, टैटू स्थायी होते हैं, क्योंकि वे तब बनते हैं जब स्याही युक्त सुई त्वचा को छेदती है और त्वचा की मध्य परत – डर्मिस – में रंग जमा देती है। सुई को स्याही में डुबाने और फिर त्वचा में प्रवेश कराने से कुछ संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है – जैसे माइकोबैक्टीरियल संक्रमण – और साथ ही हेपेटाइटिस और एचआईवी जैसी बीमारियों के फैलने की संभावना भी पैदा होती है। सामान्यतः, टैटू वाले लगभग एक से छह प्रतिशत लोगों को टैटू बनवाने के बाद सूक्ष्मजीवी संक्रमण का अनुभव होता है, हालांकि, ताजा टैटू बनवाने के बाद लोगों को त्वचा में हल्का उभार या खुजली का अनुभव होना असामान्य नहीं है। वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के रसायनशास्त्री योलांडा हेडबर्ग का कहना है कि अलग-अलग टैटू स्याही अलग-अलग स्तर का जोखिम पैदा कर सकती है। कुछ लाल स्याही में एज़ो डाई होती है, जिससे एलर्जी का जोखिम बढ़ जाता है। टैटू संक्रमण अक्सर हल्के से मध्यम होते हैं, दो-भाग की श्रृंखला के दूसरे पेपर में बताया गया है कि टैटू बनवाने से “दुर्लभ और चरम मामलों” में जीवन के लिए खतरा पैदा हो सकता है। पर्डी का कहना है कि एक बार जब स्याही हमारी त्वचा में प्रवेश कर जाती है, तो लोगों को स्याही में मौजूद यौगिकों से एलर्जी हो सकती है। वेस्टर्न यूनिवर्सिटी के रसायनज्ञ योलांडा हेडबर्ग के 2021 के अध्ययन में 70 से अधिक टैटू स्याही के नमूनों का विश्लेषण किया गया, जिसमें परीक्षण किए गए लगभग सभी नमूनों में निकल और क्रोमियम जैसी संभावित हानिकारक धातुओं के निशान पाए गए। एक-एक नमूने में आर्सेनिक, पारा और सीसा पाया गया। अध्ययन में पाया गया कि परीक्षण की गई 93 प्रतिशत स्याही यूरोपीय लेबलिंग आवश्यकताओं का उल्लंघन करती हैं। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला कि 61 प्रतिशत स्याही में “चिंताजनक रंगद्रव्य” मौजूद थे, लेकिन पाया कि धातु का स्तर “केवल कुछ मामलों में” प्रतिबंध सीमा से अधिक था।