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तीसरी लहर में MP के 6000 बच्चे संक्रमित, 4000 घर में ही ठीक, बाकी भी अस्पताल नहीं गए….

ग्वालियर के थाटीपुर क्षेत्र की कुम्हारपुरा कॉलोनी की 12 साल की सोनल (परिवर्तित नाम) को सर्दी खांसी थी। जांच कराई तो 14 जनवरी को रिपोर्ट पॉजिटिव आई। घर में कोहराम मच गया। लाड़ली को डॉक्टर को दिखाया। डॉक्टर ने कुछ दवाएं दीं। होम आइसोलेशन में रखने के लिए कहा। सोनल ने रोजाना की तरह पढ़ाई के साथ और आइसोलेशन रूम में अकेले ही खेलना जारी रखा। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है। कोविड गाइडलाइन के तहत सोनल शुक्रवार को होम आइसोलेशन से डिस्चार्ज होगी।

सोनम की तरह मध्यप्रदेश के 4 हजार से ज्यादा बच्चों ने दुनिया को रुला देने वाले कोरोना को खेल-खेल में हरा दिया। अब भी 2 हजार बच्चे ऐसे हैं, जो घर पर ही रहकर कोरोना की जंग जीतने में लगे हैं। ये बच्चे 7 दिन पहले ही पॉजिटिव हुए हैं। इसमें से कई ठीक हो गए हैं, लेकिन गाइडलाइन के तहत 7 दिन का होम आइसोलेशन पूरा करना है। प्रदेश में 25 दिसंबर 2021 से अब तक 6 हजार बच्चे संक्रमित हुए हैं। इनकी उम्र 1 से 18 साल के बीच है।

गजरा राजा मेडिकल कॉलेज ग्वालियर के शिशु रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. अजय गौर का कहना है तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक बताई जा रही थी। बच्चे संक्रमित भी हो रहे हैं, लेकिन इनमें से किसी भी बच्चे को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ी। बच्चों की इम्यूनिटी पावर अच्छी होने के कारण वह जल्दी ठीक हो रहे हैं।

ग्वालियर के अलग-अलग अस्पतालों में कोविड संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों का तर्क है कि वायरस इस बार गले तक ही जा पा रहा है। गले में ही वायरस खत्म हो रहा है। यदि यह गले से नीचे फेफड़ों पर असर डालता, तो हालात चिंताजनक होते। वायरस का संक्रमण गले से नीचे फेफड़ों में नहीं जाने के कारण ही बड़ों की तरह की बच्चे भी सामान्य दवाओं से कोरोना से जिंदगी की जंग जीत रहे हैं।

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