
इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो ट्रेन चलाने में सरकार और रेलवे जुट गई है। समय पर योजना को मंजूरी मिल गई तो सिंहस्थ 2028 तक मेट्रो ट्रेन दौड़ना शुरू कर देगी। इससे उज्जैन-इंदौर के बीच यात्रा करने वाले यात्रियों को काफी सुविधा होगी। 55 किमी का यह मार्ग मेट्रो से तकरीबन आधा घंटा में तय हो जायेगा। एक अनुमान के अनुसार इस प्रोजेक्ट में एक से डेढ़ हजार करोड़ रुपए लागत हो सकती है।
सूत्रों का कहना है दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट पर पहले ही काम शुरू कर दिया था। करीब डेढ़ साल पहले योजना का जमीनी सर्वे हो चुका है। जिसमें यह देखा गया था कि मेट्रों के लिए कितनी लंबी लाइन की जरूरत होगी। बीच में कितने स्टेशन होंगे और इस प्रोजेक्ट को पूरा करने में कितनी लागत आ सकती है। अब इन सभी मुद्दों पर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा रही है। यह (DPR) भी दिल्ली मेट्रों के अधिकारी ही बना रहे हैं। यह रिपोर्ट दिसंबर तक पूरी होकर सरकार के पास चली जायेगी।
इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो ट्रेन की योजना तीन साल में होगी पूरी
सूत्रों का कहना है कि दिसंबर में दिल्ली मेट्रों डीपीआर सरकार को सौंप देगी। इसे कैबिनेट में रखा जायेगा और कैबिनेट में मंजूरी मिलने के बाद फंडिंग और निर्माण एजेंसी तय की जायेगी। इस सब पूरा होते ही काम की शुरुआत हो जाएगी। दिल्ली मेट्रों के सूत्रों के मुताबिक यह प्रोजेक्ट करीब 3 साल में पूरा करने की डेड लाइन रहेगी। जिसके मुताबिक अगर अप्रैल 2025 के पहले प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो जाता है तो सिंहस्थ 2028 तक इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो ट्रेन दौड़ने लगेगी।
इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो ट्रेन का करीब 55 किमी लंबा मार्ग रहेगा
इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो चलाने के लिए साल 2022-23 में जमीनी तैयारी (फिजिबिलिटी स्टडी) दिल्ली मेट्रो ने की थी। इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जा चुकी है। दिल्ली मेट्रो ही डीपीआर भी बना रहा है। डीपीआर में ही लागत, स्टेशनों की संख्या तय होगी। इंदौर-उज्जैन के बीच सड़क मार्ग की दूरी करीब 55 Km है। इस मार्ग के साथ ही मेट्रो ट्रेन भी चलाने की पूरी संभावना है। नया रूट जमीनी सर्वे में नहीं है। इसके तहत इंदौर के लवकुश चौराहे (अरविंदो मेडिकल कॉलेज के पास ) से उज्जैन रेलवे स्टेशन तक का रूट तय किया गया है। अगले साल मार्च-अप्रैल तक पूरी प्रक्रिया खत्म करना है। समय पर काम शुरू हो गया तो सिंहस्थ में मेट्रो चलाने में कोई अड़चनें नहीं आएगी।
इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो ट्रेन के 2 या 3 स्टेशन ही बनेंगे मार्ग में
इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो ट्रेन की डीपीआर में सभी बातों का बारीकी से ध्यान रखा जा रहा है। इंदौर-उज्जैन के बीच कितनी दूरी, कितने स्टेशन बनेंगे, कितनी संभावित लागत होगी आदि डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट में शामिल रहेगा। इस प्रोजेक्ट में 2 से 3 मेट्रो स्टेशन ही बनेंगे। इंदौर-उज्जैन के अलावा बीच में एक स्टेशन और बन सकता है। इसलिए रैपिड रेल रहेगी। रैपिड रेल का उद्देश्य ‘इंटर सिटी कनेक्टिविटी’ को बढ़ाना है। इंदौर और उज्जैन के बीच मेट्रो के कम स्टेशन रहेंगे। इससे लागत भी कम आएगी। दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) इंदौर के लवकुश चौराहा से उज्जैन महाकाल तक रूट का मौका मुआयना कर चुकी है। टीम ने स्टेशन, डिपो और अन्य सुविधाओं के लिए जगह देखी थी। इस मार्ग पर एलिवेटेड ट्रैक बनाने की योजना है।
सड़क मार्ग पर दबाव कम हो जायेगा
फिलहाल इंदौर और उज्जैन के बीच सड़क मार्ग पर ट्रैफिक दबाव ज्यादा है। करीब 75 प्रतिशत ट्रैफिक सड़क मार्ग से ही गुजरता है। प्रतिदिन हजारों लोग इंदौर-उज्जैन के बीच अप-डाउन करते हैं। इससे सड़क पर ट्रैफिक का दबाव बना रहता है। आये दिन गंभीर हादसे भी होते हैं। ऐसे में इंदौर और उज्जैन के बीच मेट्रो बेहतर कनेक्टिविटी का बड़ा विकल्प हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है दोनों शहरों के बीच मेट्रो चलने के बाद सड़क मार्ग का ट्रैफिक एक तिहाई रह जाएगा।
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इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो सिंहस्थ में महत्वपूर्ण साबित होगी
इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो का प्रोजेक्ट आम दिनों में तो महत्वपूर्ण है ही लेकिन सिंहस्थ में यह काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। सिंहस्थ में उज्जैन आने वाले ट्रैफिक का करीब आधा भाग तो इंदौर होकर ही उज्जैन पहुंचता है और लौटता है। जो पूरी तरह सड़क मार्ग पर निर्भर होता है। ऐसे में सड़क मार्ग पर घंटो जाम की स्थिति भी बनी रहती है। ऐसे में मेट्रो के जरिए क्राउड का काफी बड़ा हिस्सा मेट्रों के जरिए इंदौर तक आना-जाना कर सकेगा।
क्या है रैपिड रेल जो मेट्रो के रूप में इंदौर-उज्जैन के बीच दौड़ेगी
इंदौर-उज्जैन के बीच मेट्रो के रूप में रैपिड रेल चलाने की योजना है। रैपिड रेल, भारत की सबसे तेज़ गति से चलने वाली ट्रेन है। इसे रीजनल रैपिड ट्रांज़िट सिस्टम (RRTS) भी कहा जाता है. यह ट्रेन 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चलने के लिए डिज़ाइन की गई है। लेकिन अभी इसे 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चलाया जा रहा है. रैपिड रेल की औसत रफ़्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटा है।