उज्जैनदेश-दुनिया

मीडिया द्वारा सवाल उठाना अब देशद्रोह के समान

मालवा पत्रकारिता उत्सव में मंथन : वरिष्ठ पत्रकार भी सत्ता के दबाव से दु:खी

निराशा – उज्‍जैन में सम्‍मान लायक एक भी मीडियाकर्मी नहीं

हरिओम राय

समाचार आज @ उज्जैन

वर्तमान दौर में सत्ता की राजनीति का है। सत्ताधारी मीडिया भी उनके मुताबिक चाहते हैं। हालात यह है कि वर्तमान में पत्रकार का सवाल उठाना भी देशद्रोह के समान माना जाता है। पिछले कुछ सालों में ही देश में ऐसे हालात बने हैं।

यह बात शनिवार को प्रेस क्लब द्वारा आयोजित मालवा पत्रकारिता उत्सव मे वर्तमान समय मे बदलती पत्रकारिता विषय पर वक्ताओं ने कहे। मालवा पत्रकारिता उत्सव 2023 के मुख्य अतिथि महापौर मुकेश टटवाल, उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक पारस जैन, तराना विधायक महेश परमार, विकास प्राधिकरण अध्यक्ष श्याम बंसल थे। मंथन के प्रथम सत्र के वक्ता वरिष्ठ पत्रकार पंकज शर्मा नईदिल्ली, ह्रदयेश दीक्षित भोपाल, डॉ. राकेश पाठक थे। स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल, प्रेस क्लब के संस्थापक सुनील जैन ने अतिथियों के साथ माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्जवलन के साथ इस कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम में ज्योतिषशास्त्र अध्ययनशाला के आचार्य राजराजेश्वर शास्त्री मूसलगांवकर के द्वारा मंगलाचरण किया गया।

मालवा के इन मीडियाकर्मियों का सम्मान, उज्‍जैन जिले में एक भी सम्‍मान योग्‍य नहीं मिला

कार्यक्रम में सुश्री नीता सिसोदिया इंदौर, सुनील शर्मा धार, नईम कुरेशी शाजापुर, अनिल सिंह सिकरवार देवास, शौकीन जैन नीमच, राजेश जैन रतलाम को मीडिया अवार्ड 2023 से नवाजा गया। अतिथियों का स्वागत प्रेस क्लब अध्यक्ष विशाला हाड़ा, सचिव विक्रमसिंह जाट, हर्ष जायसवाल ने किया। खास बात यह है कि मालवा अंचल के सभी जिलों से एक-एक मीडियाकर्मी को उज्‍जैन प्रेस क्‍लब ने उनके सराहनीय कार्यों को लेकर सम्‍मानित किया, लेकिन इसमें उज्‍जैन शहर या उज्‍जैन जिले का एक भी ऐसा मीडियाकर्मी नहीं था जिसे यह सम्‍मान मिला हो। शायद आयोजकों को उज्‍जैन शहर या जिले में एक भी पत्रकार ऐसा नहीं मिला जो लायक हो और सम्‍मान पाने का हक रखता हो। अगर वाकइ ऐसा सही है तो तकरीबन 400 मीडियाकर्मियों के समूह उज्‍जैन प्रेस क्‍लब के अस्तित्‍व पर भी सवाल खड़ा होता है कि प्रेस क्‍लब आखिर किन लोगों का प्रतिनिधित्‍व कर रही है। खैर, प्रेस क्‍लब के इस कदम से उज्‍जैन के मीडियाकर्मियों में निराशा है।

मंथन का निष्कर्ष : प्रिंट का बुरा दौर, इलेक्ट्रानिक मार्ग से भटका, सोशल मीडिया गैर जिम्मेदार

सिर्फ पत्रकार पर जनता को भरोसा बचा, इसे कायम रखें

मंथन के प्रथम सत्र की शुरुआत करते हुए वरिष्ठ पत्रकार राकेश पाठक ने कहाकि आज पत्रकार को अपना मूल काम करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। सत्ता चाहती है सबकुछ उनके मुताबिक हो। अधिकारी-जनप्रतिनिधि लीड हैडिंग भी तय कर रहे हैं। उस पर सोशल मीडिया के जरिए सूचनाओं का जो भंडार हमारे आसपास घूम रहा है उसमें से भी समाचार निकालना एक चुनौती हो गया। लेकिन इन सबके बीच खास बात यह है कि प्रिंट मीडिया का दौर कभी खत्म नहीं होगा। हमें बस डटे रहने की जरूरत है। वरिष्‍ठ पत्रकार पंकज शर्मा ने कहा कि पत्रकारिता के लिए अब संक्रमण काल चल रहा है सभी अपनी जिम्मेदारी भूल चुके हैं लोकतंत्र की पालकी के कहारों की आंखो का पानी मर चुका है हमें चौथा स्तंभ माना गया है लेकिन इस पालकी के तीन स्तंभ सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं। वर्तमान में पत्रकार भी अपनी जिम्मेदारियों को ठीक तरीके से नहीं निभा रहे हैं और सत्ता के चारण और भाट के रूप में पत्रकारिता कर रहे हैं, जबकि उन्हें सत्ता में बैठे लोगों से सवाल करना चाहिए पर उनके सवाल सत्ता से नहीं बल्कि उनके विरोध में खड़े लोगों से हैं वर्तमान में कोई सत्ता से सवाल पूछता है तो ऐसा माना जाता है जैसे कोई ईश निंदा कर रहा हो। वरिष्‍ठ पत्रकार हृदयेष दीक्षित ने कहा कि यह सही है कि अखबार मालिकाें पर सत्‍ता और लाालफीताशाही का बहुत दबाव है। साथियों के रोजगार की खातिर दबाव काफी हद तक सहना भी पड़़ता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारा अस्तित्‍व नहीं। आपस सवाल उठाते रहिए, जब तक सवाल पूछते रहोगेे, आपकी पहचान बनी रहेगी। शाम के सत्र में वरिष्ठ पत्रकार सुनील जैन, राकेश पाठक, प्रवीण खारीवाल, सुमीत अवस्‍थी ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन शैलेंद्र व्यास स्वामी मुस्कुराके ने किया। आभार विक्रमसिंह जाट ने माना।

अतिथियों से चर्चा करते विक्रम विश्‍वविद्यालय के पत्रकारिता के विद्यार्थी।

मीडिया स्टूडेंट्स ने किये सवाल-भविष्य कैसा है पत्रकारिता में

प्रथम सत्र के विराम के बाद विक्रम विश्वविद्यालय के जर्नलिज्म के विद्यार्थियों ने सुश्री हिना तिवारी के साथ वरिष्ठ पत्रकार पंकज शर्मा व राकेश पाठक से मार्गदर्शन लिया। सवाल उठा कि नई पीढ़ी का पत्रकारिता में कैसा भविष्य है। अतिथियों से मार्गदर्शन मिला कि भविष्य उज्जवल है। डरना मत, घबराना मत, सही को सही कहने और लिखने की हिम्मत रखना और सच्चाई पर कायम रहना। पत्रकारिता का युग हमेशा रहेगा। निराशा का दौर लंबा नहीं है।

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